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असम में पुलिस मुठभेड़ पर तेज हुई सियासत, दो महीने में मारे गए 12 अपराधी; विपक्ष ने बताया 'क्रूर'

असम राज्य में हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व में नई भाजपा सरकार बनने के बाद अपराधियों पर शिकंजा कस दिया गया है। हालांकि इसे लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी शुरू हो गया है। विपक्ष ने पुलिस को क्रूर बताया है।

By Shashank PandeyEdited By: Updated: Mon, 05 Jul 2021 07:55 AM (IST)
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असम में पुलिस एनकाउंटर पर सियासत।(फोटो: दैनिक जागरण)
गुवाहाटी, प्रेट्र। हिमंता बिस्व सरमा के नेतृत्व में 10 मई को असम में भाजपा की नई सरकार के गठन के बाद पुलिस मुठभेड़ में आई कथित तेजी विपक्ष को रास नहीं आई। विपक्ष ने असम पुलिस को 'क्रूर' बता दिया है। हालांकि, असम पुलिस ने इन आरोप का खंडन करते हुए कहा है कि अपराधियों द्वारा मजबूर किए जाने के बाद ही पुलिस कर्मियों ने फायरिंग की।

नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने कहा, 'अगर अपराधी हिरासत से भागने का प्रयास कर रहे हैं तो यह पुलिस की नाकामी है। पुलिस अपराधियों को अपराध दृश्य की पुनर्रचना के लिए ले जाती है और वे भागने का प्रयास करने लगते हैं। यह अब आम बात हो गई है और ऐसा लगता है कि असम पुलिस क्रूर हो चुकी है।' रायजोर दल प्रमुख व विधायक अखिल गोगोई ने इसे 'सरेआम हत्या' करार दिया है।

विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'राज्य में विगत दो महीनों के दौरान मुठभेड़ में एक दर्जन अपराधी मारे गए हैं। कर्बी आंगलोंग जिले में मारे गए अपराधियों में छह उग्रवादी संगठन डीएनएलए से जुड़े थे, जबकि दो का यूपीआरएफ से संबंध था। चार अन्य आरोपित धेमाजी, नलबाड़ी, शिवसागर व कर्बी आंगलोंग जिले में हुई मुठभेड़ों में मारे गए हैं।'

नई सरकार को खुश करने पुलिस कर रही यह काम : सैकिया

मुठभेड़ों में इजाफे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने दावा किया कि असम पुलिस अपनी कमी को छिपाने और नई सरकार को खुश करने के लिए ऐसा कर रही है। उन्होंने कहा कि जब अपराधी पुलिस हिरासत से भागने की कोशिश करते हैं, तो यह पुलिस की ढिलाई है। अपराधियों को अपराध दृश्य की पुनर्रचना के लिए ले जाया जाता है और वे भागने की कोशिश करते हैं। यह अब एक नियमित मामला बन गया है। ऐसा लगता है कि असम पुलिस क्रूर हो रही है।