Pramod Mahajan Death Anniversary: अटल-आडवाणी के करीबी थे प्रमोद महाजन, भाई ने ही गोली मारकर ली थी जान
राजनीति में प्रमोद महाजन वो नाम थे जो कम समय में तेजी से शीर्ष पर पहुंचे। अटल के पीएम बनने से लेकर आडवाणी की रथयात्रा और महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन तक प्रमोद महाजन का जिक्र जरूर होता है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। आज से 17 साल पहले मुंबई के वर्ली में एक ऐसी घटना घटी, जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। ये घटना थी भाजपा के कद्दावर नेता प्रमोद महाजन का कत्ल। ये कत्ल किसी और ने नहीं बल्कि प्रमोद महाजन के छोटे भाई प्रवीण महाजन ने किया था। 'इतिहास में आज' में हम आपको इस हाईप्रोफाइल हत्याकांड के बारे में बता रहे हैं, लेकिन इससे पहले प्रमोद महाजन और उनके राजनीतिक सफर के बारे में जान लीजिए।
कौन थे प्रमोद महाजन ?
प्रमोद महाजन 30 अक्टूबर 1949 को तेलंगाना के महबूबनगर में जन्मे थे। स्कूल में पढ़ाई के दौरान ही वह संघ से जुड़ गए थे। उन्होंने पुणे के रानाडे इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज्म से पत्रकारिता की पढ़ाई की। लेकिन, इसमें कुछ खास मौका न मिलने के बाद एक कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक बन गए। पिता पेशे से शिक्षक थे। प्रमोद करीब 22 वर्ष के ही थे, जब उनके सिर से पिता का साया उठ गया था।
1974 में प्रमोद को बनाया गया संघ प्रचारक
प्रमोद की शुरू से ही राजनीति में दिलचस्पी थे। वे अक्सर राजनीतिक बहसों में हिस्सा लिया करते थे। साल 1974 में कॉलेज में पढ़ाना बंद कर दिया। संघ से जुड़ने के बाद आरएसएस के मराठी अखबार 'तरुण भारत' के साथ काम शुरू किया और उप संपादक बन गए। इसके बाद वह पूरी तरह से संघ के लिए काम करने लगे। साल 1974 में उन्हें संघ प्रचारक बनाया गया।
लगातार तीन बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे प्रमोद
आपातकाल के दौरान प्रमोद ने आरएसएस के लिए जमकर काम करते हुए इंदिरा विरोध मार्च भी निकाला। संघ के प्रति उनकी कर्तव्यनिष्ठा और सक्रियता को देखते हुए उन्हें बीजेपी में शामिल कर लिया गया। यहीं से उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई। साल 1983 से 1985 तक प्रमोद महाजन बीजेपी के अखिल भारतीय सचिव थे। इसके बाद 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। साल 1984 में प्रमोद महाजन ने लोकसभा चुनाव लड़ा। हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वे लगातार तीन बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे।
बीजेपी ने भेजा राज्यसभा
साल 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी सत्ता पर काबिज हुए। प्रमोद महाजन अपना पहला लोकसभा चुनाव जीते और उन्हें रक्षा मंत्री बनाया गया। लेकिन यह सरकार महज 13 दिन ही चल सकी। 1998 में एक बार फिर चुनाव हुए, बीजेपी ने सत्ता में फिर से वापसी की, लेकिन प्रमोद हार गए। उन्हें राज्यसभा भेजा गया। राजनीति में प्रमोद महाजन वो नाम थे, जो कम समय में तेजी से शीर्ष पर पहुंचे। अटल के पीएम बनने से लेकर आडवाणी की रथयात्रा और महाराष्ट्र में शिवसेना से गठबंधन तक प्रमोद महाजन का जिक्र जरूर होता है। वे अटल और आडवानी के बेहद करीबी नेता थे।
3 मई 2006 छोटे भाई ने ही कर दी थी प्रमोद की हत्या
22 अप्रैल 2006 को प्रमोद महाजन मुंबई में वर्ली स्थित अपने आवास पर मौजूद थे। उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन उनसे मिलने पहुंचे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, दोनों भाइयों के बीच किसी बात को लेकर बहस हुई। गुस्से में आकर छोटे भाई प्रवीण ने रिवॉल्वर से प्रमोद पर फायर कर दिया। प्रमोद महाजन को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान 3 मई 2006 को उनकी मौत हो गई। माना जाता है कि प्रॉपर्टी को लेकर दोनों भाइयों में विवाद चल रहा था।