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Pranab Mukherjee: आज ही के दिन भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए थे 'प्रणब दा', नाम पर दर्ज है यह खास उपलब्धि

प्रणब मुखर्जी आज के ही दिन 22 जुलाई 2012 को भारत के 13वें राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे। उन्होने एनडीए उम्मीदवार पीए संगमा को हराया था। इससे पहले उन्होंने यूपीए सरकार में वित्त रक्षा और विदेश मंत्री के रूप में काम किया था। उन्होंने करीब पांच दशकों तक राजनीति की। वे पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति थे जिन्होंने आरएसएस के किसी कार्यक्रम को संबोधित किया।

By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarSat, 22 Jul 2023 06:05 AM (IST)
Pranab Mukherjee: आज ही के दिन भारत के 13वें राष्ट्रपति चुने गए थे 'प्रणब दा', नाम पर दर्ज है यह खास उपलब्धि
Pranab Mukherjee: 12 जून को राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे प्रणब मुखर्जी

Pranab Mukherjee: 22 जुलाई 2012... इसी दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कई बार केंद्रीय मंत्री रह चुके प्रणब मुखर्जी को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत का राष्ट्रपति चुना गया था। वे इस पद पर पूरे पांच साल तक रहे। लोग उन्हें 'प्रणब दा' भी कहकर बुलाते थे। उनसे पहले प्रतिभा पाटिल (Pratibha Patil) देश की राष्ट्रपति थीं। आइए, आज प्रणब दा के जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं....

प्रणब मुखर्जी का जन्म कब और कहां हुआ था? (Pranab Mukherjee Biography)

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को बंगाल के बीरभूम जिले के मिराती गांव में एक बंगाली ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था।

प्रणब मुखर्जी की पढ़ाई कहां से हुई? (Pranab Mukherjee Education)

प्रणब मुखर्जी की पढ़ाई बीरभूम के सूरी विद्यासागर कॉलेज से हुई। यह कॉलेज उस समय कलकत्ता यूनिवर्सिटी का हिस्सा था। उन्होंने बाद में राजनीति विज्ञान और इतिहास में एमए की डिग्री हासिल की। उनके पास एलएलबी की भी डिग्री थी।

प्रणब मुखर्जी की शादी कब हुई? (Pranab Mukherjee Wife Son Daughter)

प्रणब मुखर्जी की शादी 13 जुलाई 1957 को सुव्रा मुखर्जी से हुई, जिनकी 18 अगस्त 2015 को 74 साल की उम्र में मौत हो गई। दोनों के दो बेटे और एक बेटी हैं। बेटों का नाम अभिजीत और इंद्रजीत है। अभिजीत कांग्रेस पार्टी से जुड़े हुए हैं। बेटी का नाम शर्मिष्ठा मुखर्जी है, जो कत्थक नृत्यांगना हैं।

प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कब की? (Pranab Mukherjee Political Career)

प्रणब मुखर्जी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1967 में बांग्ला कांग्रेस के संस्थापक सदस्य के रूप में की। उन्होंने कांग्रेस के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रणब मुखर्जी पहली बार राज्यसभा के लिए कब चुने गए?

प्रणब मुखर्जी पहली बार 1969 में बांग्ला कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए चुने गए। इंदिरा गांधी ने 1972 में बांग्ला कांग्रेस का कांग्रेस में विलय करवा दिया, जिसके बाद प्रणब दा कांग्रेस में शामिल हो गए।

प्रणब मुखर्जी राज्यसभा के लिए कब-कब चुने गए?

प्रणब मुखर्जी सबसे पहले राज्यसभा के लिए 1969 में चुने गए। इसके बाद वे 1975, 1981, 1993 और 1999 में फिर से उच्च सदन के लिए निर्वाचित हुए।

प्रणब मुखर्जी राज्यसभा में सदन का नेता कब बने?

प्रणब मुखर्जी 1979 में राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता बने। इसके बाद 1980 में उन्हें सदन का नेता बनाया गया। वे प्रधानमंत्री की गैर-मौजूदगी में कैबिनेट मीटिंग की अध्यक्षता करते थे।

प्रणब मुखर्जी ने नई पार्टी की स्थापना कब की? (Pranab Mukherjee Party Name)

प्रणब मुखर्जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए दरकिनार करने पर 1986 में बंगाल में एक नई पार्टी की स्थापना की, जिसका नाम उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस (RSC) रखा। हालांकि, तीन साल के बाद राजीव गांधी के साथ समझौता होने पर उन्होंने आरएससी का कांग्रेस में विलय कर दिया।

प्रणब मुखर्जी को योजना आयोग का उपाध्यक्ष कब बनाया गया?

प्रणब मुखर्जी को पीवी नरसिम्हाराव ने 1991 में भारतीय योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाया। इसके बाद उन्हें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया गया। प्रणब दा ने राव के मंत्रिमंडल में 1995 से लेकर 1996 तक विदेश मंत्री के रूप में काम किया।

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के महासचिव कब बने?

प्रणब मुखर्जी 1998-99 में कांग्रेस के महासचिव बने। इसके बाद 2000 में उन्हें बंगाल का अध्यक्ष बनाया गया। वह 2010 तक इस पद रहे। इससे पहले, 1985 में उन्होंने इस पद पद कार्य किया था।

प्रणब मुखर्जी ने पहली बार लोकसभा का चुनाव कब और कहां से जीता?

प्रणब मुखर्जी ने पहली बार 2004 में बंगाल की जंगीपुर सीट से लोकसभा का चुनाव जीता, जिसके बाद उन्हें सदन का नेता बनाया गया। उन्होंने 2009 में भी यहां से जीत दर्ज की। कांग्रेस के 2004 में लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री बनने से इनकार कर दिया तो प्रणब दा को इस पद का दावेदार माना जाने लगा, लेकिन उनकी बजाय डॉक्टर मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री चुना गया।

प्रणब मुखर्जी ने कौन-कौन से मंत्रालय संभाले?

प्रणब मुखर्जी ने डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में रक्षा, वित्त और विदेश मामले समेत कई हाई-प्रोफाइल मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। वे 2012 तक कांग्रेस के सदस्य रहे।

प्रणब मुखर्जी की जिंदगी से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

  • प्रणब मुखर्जी ने 1999 से लेकर 2012 तक कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की अध्यक्षता की।
  • उन्हें 1997 में उत्कृष्ट सांसद चुना गया।
  • प्रणब दा ने 2004 से लेकर 2006 तक भारत के रक्षा मंत्री के रूप में कार्य किया।
  • उन्हें 1995 में भारत का विदेश मंत्री नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में ही भारत को आसियान का पूर्ण वार्ता भागीदार देश बनाया गया। वे 1996 तक विदेश मंत्री रहे। उन्हें 2006 में फिर से विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी गई।
  • प्रणब दा तीन बार भारत के वाणिज्य मंत्री रहे। उनका पहला कार्यकाल 1980 से लेकर 1982 तक था।
  • प्रणब मुखर्जी पहली बार इंदिरा गाधी सरकार में 1982 में वित्त मंत्री बने। उन्होंने 1982-83 में अपना पहला बजट पेश किया था।
  • उनका पहला कार्यकाल वित्त स्थिति में सुधार के लिए किए गए उनके कार्यों के लिए जाना जाता है। उन्होंने ही आइएमएफ ऋण की अंतिम किस्त को सफलता पूर्वक लौटाई।
  • प्रणब दा ने मनमोहन सिंह के भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में नियुक्ति करने वाले पत्र पर 1982 में हस्ताक्षर किए थे।
  • 2009 में प्रणब मुखर्जी ने फिर से भारत के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने 2009, 2010 और 2011 में बजट पेश किया।

प्रणब मुखर्जी भारत के राष्ट्रपति कब बने?

प्रणब मुखर्जी को 15 जून 2012 को यूपीए की तरफ से राष्ट्रपति का उम्मीदवार बनाया गया। उन्होंने 19 जुलाई 2012 को हुए चुनाव में एनडीए उम्मीदवार पीए संगमा को हराया था। राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम 22 जुलाई 2012 को घोषित किया गया था।

प्रणब मुखर्जी के खिलाफ कौन खड़ा था?

प्रणब मुखर्जी के खिलाफ राष्ट्रपति चुनाव में पीए संगमा खड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 22 जुलाई को प्रणब को विजेता घोषित किया गया। मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनाव में 7,13, 763 मत मिले, जबकि संगमा को 3,15, 987 मत मिले।

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में कब शपथ ली?

प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 2012 को शपथ ली। उन्होंने 28 जून 2012 को अपना नामांकन दाखिल किया था। इससे पहले 26 जून 2012 को उन्होंने यूपीए सरकार से इस्तीफा दे दिया था।

प्रणब मुखर्जी कितनी बार राष्ट्रपति रहे?

प्रणब मुखर्जी केवल एक बार राष्ट्रपति रहे। वे 2012 से 2017 तक राष्ट्रपति रहे। संविधान के अनुच्छेद 58 के अनुसार, राष्ट्रपति वह व्यक्ति बन सकता है, जो भारत का नागरिक हो और जिसकी आयु 25 वर्ष या इससे ऊपर हो। इसके अलावा, वह लोकसभा में चुने जाने के योग्य भी हो।

प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल कितना है? (Pranab Mukherjee Presidential Tenure)

प्रणब मुखर्जी का राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल 2012 से 2017 तक रहा। वे भारत के 13वें राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति बनने से पहले वे कांग्रेस के सदस्य थे।

प्रणब मुखर्जी ने कितनी दया याचिकाओं को खारिज किया?

प्रणब मुखर्जी ने अपने राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान याकूब मेमन, अजमल कसाब और अफजल गुरु समेत 24 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था। वे अपने कार्यकाल में मौत की सजा पाए कैदियों की सभी दया याचिकाओं को खारिज करने वाले पहले राष्ट्रपति बने। इसके साथ ही 2018 में वे देश के पहले ऐसे पूर्व राष्ट्रपति बने, जिन्होंने आरएसएस के किसी कार्यक्रम को संबोधित किया।

प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न कब मिला? (Pranab Mukherjee Bharat Ratna)

प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न आठ अगस्त 2019 को मिला। भारत का यह सर्वोच्च सम्मान उन्हें अपने पांच दशक के राजनीतिक करियर के दौरान देश के प्रति उनकी असाधारण सेवा के लिए दिया गया। इसके अलावा, उन्हें 2008 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। 

प्रणब मुखर्जी का निधन कब हुआ? (Pranab Mukherjee Death)

प्रणब मुखर्जी का निधन 84 साल की आयु में हुआ। उन्होंने 31 अगस्त 2020 को इस दुनिया को अलविदा कहा। प्रणब दा के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर उनकी मौत की जानकारी दी।

प्रणब मुखर्जी की मृत्यु कैसे हुई?

प्रणब मुखर्जी अपनी मौत से पहले कई दिन से बीमार थे। वे दिल्ली के आर्मी अस्पताल में भर्ती थे। वे अपनी मौत से कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित भी पाए गए थे।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

प्रणब मुखर्जी का जन्म 11 दिसंबर 1935 को हुआ था। उनके पिता का नाम कामदा किंकर मुखर्जी और माता का नाम राजलक्ष्मी मुखर्जी था।