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Presidential Election in India : विपक्षी किले को भेदने के लिए क्‍या अटल बिहारी वाजपेयी की राह पर चलेंगे पीएम मोदी..?

देश में आगामी राष्ट्रपति चुनाव देखते हुए विभिन्‍न दलों के बीच अंदरखाने मंथन का दौर चल रहा है। एक अनुमान यह है कि क्‍या विपक्षी किले को भेदने के लिए पीएम मोदी वाजपेयी की रणनीति अपनाएंगे... जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 07 May 2022 10:58 PM (IST)
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आगामी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विभिन्‍न दलों में मंथन जारी है। (File Photo)

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। देश में आगामी राष्ट्रपति चुनाव देखते हुए भाजपा ऐसे उम्मीदवार की तलाश में है जिसे रायसीना हिल भेजा जा सके। हालांकि भाजपा के लिए यह बेहद चुनौतीपूर्ण मुकाबला होगा क्योंकि सभी क्षेत्रीय दल उसके टकराव की तैयारी कर रहे हैं। गौर करने वाली बात है कि अब तक सत्‍ता पक्ष और विपक्ष की ओर से इस चुनाव को लेकर कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया है। सत्‍ता पक्ष संसद में अपनी संख्या बल के कारण चुनाव जीतने के प्रति आश्वस्त नजर आ रहा है तो विपक्ष में भी आंतरिक मंथन जारी है।

हालांकि विपक्षी एकजुटता भाजपा के समीकरणों को बिगाड़ सकती है। बड़ा सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री मोदी अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) की राह पर चलेंगे और किसी ऐसे उम्‍मीदवार को उतारने को तरजीह देंगे जिससे विपक्षी एकजुटता की चुनौती से पार पाया जा सके। सनद रहे साल 2002 एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) की उम्मीदवारी ने विपक्षी खेमे में विभाजन पैदा कर दिया था। हालांकि इस बार चीजें थोड़ी अलग हैं क्योंकि भाजपा वाजपेयी युग की तुलना में अब कहीं ज्‍यादा मजबूत है।

मौजूदा वक्‍त में लोकसभा में भाजपा के 300 से अधिक सांसद और राज्‍य सभा में लगभग 100 सांसद हैं। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के मसले पर सत्ता पक्ष के सूत्र चुप्पी साधे हुए हैं। हालांकि इस मसले पर किसी नतीजे पर पहुंचने के लिए आरएसएस नेताओं के साथ कई दौर की बैठक हो चुकी है। सनद रहे कि वाजपेयी के बाद यूपीए ने भी राष्‍ट्रपति चुनावों में प्रतिभा पाटिल (Pratibha Patil) और प्रणब मुखर्जी (Pranab Mukherjee) को उतार कर ऐसी पार्टियों से समर्थन हासिल किया था जो उस समय एनडीए का हिस्सा थीं।  

साल 2002 के राष्‍ट्रपति चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) ने एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) को उतार कर समाजवादी पार्टी जैसे विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल किया था। वाजपेयी ने कलाम को राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित करने के लिए वामपंथी संगठनों को छोड़कर कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों को भी सफलतापूर्वक एकजुट किया था। एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) को करीब 90 फीसद वोट मिले थे। टीएमसी, शिवसेना, बीजेडी ने भी कलाम का समर्थन किया था और तमिलनाडु कनेक्शन के कारण द्रमुक (DMK) और अन्‍नाद्रमुक (AIADMK) भी साथ आ गए थे।

भाजपा सूत्रों का कहना है कि यदि पार्टी एक बड़ा राजनीतिक संदेश देना चाहती है तो वह इस बार एक आदिवासी उम्मीदवार को उतार सकती है। जैसा की भाजपा ने पिछले राष्ट्रपति चुनाव में राम नाथ कोविंद को उतार कर बड़ा संदेश दिया था। मौजूदा वक्‍त में भाजपा की ओर से दो नाम चर्चा में हैं। पहला नाम अनुसुइया उइके (Anusuiya Uikey) का है जो मौजूदा वक्‍त में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल हैं जबकि दूसरा नाम झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) का है। उइके मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखती हैं जबकि मुर्मू ओडिशा के एक आदिवासी जिले मयूरभंज से हैं।