Punjab Political Crisis: कांग्रेस नेतृत्व फिलहाल नवजोत सिंह सिद्धू को ज्यादा तवज्जो नहीं देगा
बताया जाता है कि सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ असंतोष के सुर को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात का समय मांगा था मगर उन्हें यह संदेश दे दिया गया कि हरीश रावत आलाकमान की तरफ से सभी मसलों पर बातचीत कर रहे हैं।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Thu, 02 Sep 2021 09:58 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पंजाब कांग्रेस में घमासान की मुख्य धुरी बने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी को पार्टी आलाकमान ज्यादा तवज्जो देता नजर नहीं आ रहा है। इसी रणनीति के तहत दिल्ली दरबार में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रदेश के प्रभारी महासचिव हरीश रावत की शिकायत करने सिद्धू से पार्टी नेतृत्व ने मिलना तक मुनासिब नहीं समझा।
कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ दबाव बनाने पहुंचे सिद्धू हाईकमान से मिले बिना लौटेप्रदेश कांग्रेस के ताजा घमासान में उनके आक्रामक रुख के बाद भी शीर्ष नेतृत्व के ठंडे रुख को देखते हुए सिद्धू आलाकमान से मिले बिना ही चंडीगढ़ लौट गए। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ कुछ विधायकों और मंत्रियों के असंतोष को हवा दे रहे सिद्धू इस प्रकरण में आलाकमान पर अपना दबाव बनाने के मकसद से बुधवार को दिल्ली पहुंचे। बताया जाता है कि सिद्धू ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात की कोशिशें की। लेकिन पंजाब के मौजूदा संकट में राजनीतिक संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए शीर्ष नेतृत्व ने सिद्धू से सीधे मुलाकात से दूर रखने का कदम उठाया। साफ तौर पर कांग्रेस नेतृत्व कैप्टन अमरिंदर सिंह को नाराज नहीं करना चाहता। पार्टी नेतृत्व का रुख देख सिद्धू प्रियंका या राहुल से मिले बिना लौट गए।
सिद्धू के बयान से कांग्रेस नेतृत्व नाखुशबताया जाता है कि सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ असंतोष के सुर को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात का समय मांगा था, मगर उन्हें यह संदेश दे दिया गया कि हरीश रावत आलाकमान की तरफ से सभी मसलों पर बातचीत कर रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद भी सिद्धू और उनके समर्थकों के असंतोष के सुर से कांग्रेस नेतृत्व नाखुश बताया जा रहा है। खासकर कामकाज की स्वतंत्रता नहीं मिलने की स्थिति में ईंट से ईंट बजाने के सिद्धू के बयान को लेकर आपत्ति है क्योंकि पार्टी नेतृत्व इसे परोक्ष रूप से धमकी मान रहा है।
समझा जाता है कि इन सब वजहों से ही नेतृत्व ने सिद्धू को ज्यादा तवज्जो नहीं देने की रणनीति अपनाई है। शायद यही वजह है कि शीर्ष नेताओं से उनकी मुलाकात नहीं हो पाई।