Raghubar Das: रघुवर को राज्यपाल बनाकर भाजपा ने साधे कई निशाने, चुनावी राज्यों में जाएगा इस फैसले का संदेश
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाकर भाजपा ने एक साथ कई संदेश देने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री पद के लिए बाबूलाल मरांडी अब निर्विवाद रूप से अग्रिम पंक्ति में होंगे। विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़कर रघुवर को पराजित करने वाले सरयू राय की घर वापसी संभव हो सकेगी।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Thu, 19 Oct 2023 08:10 PM (IST)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को ओडिशा का राज्यपाल बनाकर भाजपा ने एक साथ कई संदेश देने का प्रयास किया है। मुख्यमंत्री पद के लिए बाबूलाल मरांडी अब निर्विवाद रूप से अग्रिम पंक्ति में होंगे। विधानसभा चुनाव में निर्दलीय लड़कर रघुवर को पराजित करने वाले सरयू राय की घर वापसी संभव हो सकेगी।
चुनावी राज्यों में भाजपा का संदेश साफ
द्रौपदी मुर्मु के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भाजपा के इस ताजा कदम से स्पष्ट हो गया कि वह अपनी आदिवासी राजनीति के पुराने ट्रैक को सशक्त करने के लिए फिर से प्रयासरत है। इसका तात्कालिक असर पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों पर पड़ना तय माना जा रहा है, क्योंकि इसी उद्देश्य से भाजपा ने सबसे बड़े आदिवासी राज्य मध्य प्रदेश में पहले ही केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता को विधानसभा प्रत्याशी भी बना रखा है।
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देश में आदिवासियों की आबादी लगभग साढ़े दस करोड़
देश में आदिवासियों की आबादी लगभग साढ़े दस करोड़ है। इनके लिए लोकसभा में 47 सीटें आरक्षित हैं, जिन पर भाजपा का अच्छा प्रदर्शन रहा है, किंतु मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा की आरक्षित सीटों पर 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा पर बढ़त बना ली थी।
तीनों राज्यों में कुल 101 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। इनमें से भाजपा के पास अभी सिर्फ 28 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास 67 सीटें हैं। राजस्थान की 25 आरक्षित सीटों में से भाजपा को सिर्फ नौ और मध्य प्रदेश की 47 सीटों में से भाजपा को सिर्फ 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
सबसे ज्यादा खराब स्थिति तो छत्तीसगढ़ में रही, जहां की 29 आरक्षित सीटों में से कांग्रेस को 25 सीटें मिलीं और भाजपा के हिस्से में सिर्फ तीन सीटें आईं।