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PM मोदी और राहुल का आक्रामक तेवर, विपक्ष ने भी झोंकी पूरी ताकत; इन घटनाओं ने संसद के विशेष सत्र को बनाया यादगार

संसद के विशेष सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच आक्रामक तनातनी की बिसात बिछ गई है। संसद के दोनों सदनों के पीठासीन शीर्ष अधिकारियों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ की सदन संचालन की व्यवस्थाओं पर उबाल ने सियासी पारे को गरम किया। तो दोनों पीठासीन अधिकारियों के तेवर भी विपक्ष के खिलाफ काफी तीखे नजर आए।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Published: Thu, 04 Jul 2024 12:27 AM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 12:27 AM (IST)
संसद के विशेष सत्र में सत्ता और विपक्ष के बीच खूब हुई तकरार।(फोटो सोर्स: एएनआई)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। नवगठित 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में नई एनडीए सरकार ने कामकाज के अपने सीमित एजेंडे को पूरा कर लिया हो मगर आठ दिन के सत्र में ही सरकार और विपक्ष के बीच आक्रामक तनातनी की बिसात बिछ गई है। चुनाव नतीजों से बदली राजनीतिक तस्वीर की झलक साफ दिख रही है जहां मजबूत हुआ विपक्ष संसद में अब अपनी भूमिका में किसी गैरवाजिब अनदेखी या कटौती को तैयार नही है।

जबकि लगातार तीसरी बार सत्ता में आयी एनडीए सरकार किसी सूरत में विपक्ष के बढ़े हुए राजनीतिक मनोबल के सामने कमजोर पड़ने का संदेश नहीं जाने देना चाहती। पक्ष-विपक्ष की इस मनोवैज्ञानिक राजनीतिक जंग की झलक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच चले शब्दों के खुले तीर में साफ दिखी।

ओम बिरला और जगदीप धनखड़ का दिखा आक्रमक अंदाज

संसद के दोनों सदनों के पीठासीन शीर्ष अधिकारियों लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ की सदन संचालन की व्यवस्थाओं पर उबाल ने सियासी पारे को गरम किया। तो दोनों पीठासीन अधिकारियों के तेवर भी विपक्ष के खिलाफ काफी तीखे नजर आए।

मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट पेपर लीक धांधली मुद्दे पर संसद में चर्चा कराने की मांग दरकिनार किए जाने को लेकर 28 जून को गरम हुए विपक्ष के तीखे तेवर तो दूसरे ही दिन शुरू हो गए जब लोकसभा अध्यक्ष चुनाव पर सर्वसम्मति नहीं बन पायी।

पांच दशक बाद पहली बार स्पीकर पद का हुआ चुनाव

विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन के लिए परंपरानुसार कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर पद देने की मांग रखी सरकार ने इससे इनकार कर दिया। नतीजा हुआ कि करीब पांच दशक बाद पहली बार स्पीकर पद का चुनाव हुआ। स्पीकर चुनाव से शुरू हुई यह तल्खी ओम बिरला के चुने जाने के तत्काल बाद भी नजर आयी जब बधाई देने की परंपरा के दौरान ही विपक्षी नेताओं ने सरकार ही नहीं स्पीकर को नई लोकसभा में विपक्ष की संख्या बल की बढ़ी ताकत का अहसास कराते हुए अनदेखी नहीं करने को लेकर आगाह किया।

विपक्ष के शोर-शराबे के खिलाफ लाया गया प्रस्ताव

साथ ही यह संदेश दिया कि पिछली लोकसभा की तरह डेढ़ सौ विपक्षी सांसदों को निलंबित करने जैसा कदम की अब उनके पास गुंजाइश नहीं है। विपक्ष अपने मजबूत होने के दम पर सदन में लचीलेपन की उम्मीद कर रहा था मगले अगले ही पल स्पीकर ने आपातकाल पर अपनी तरफ से प्रस्ताव लाकर हतप्रभ कर दिया। इसके बाद लोकसभा में आखिरी दिन पीएम के जवाब के बाद रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की ओर से विपक्ष के शोर-शराबे के खिलाफ प्रस्ताव को भी पारित कराया।

विपक्षी दलों और स्पीकर के बीच पहले दिन बनी अविश्वास की दरार राष्ट्रपति के धन्यवाद प्रस्ताव पर नेता विपक्ष राहुल गांधी की ओर से शुरू की गई चर्चा के दौरान मुखर रूप में सामने आयी जब उन्होंने स्पीकर चुने गए बिरला के सदन में प्रधानमंत्री मोदी से हाथ मिलाने के दौरान झुकने के वाकए को उठा दिया। नेता विपक्ष ने इसके जरिए स्पीकर के आसन की निष्पक्षता को हमेशा कसौटी पर रखने का संदेश देने की कोशिश की।

धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान दोनों तरफ से खूब हुए जुबानी हमले

राहुल गांधी की टिप्पणियों से असहज हुए बिरला ने भी अभिभाषण पर पीएम के जवाब के दौरान जब मौका मिला तो सदन में विपक्षी खेमे के शोर-गुल को लेकर नेता विपक्ष के व्यवहार की आसन से कड़ी आलोचना कर डाली। पक्ष और विपक्ष का यह तकरार धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान तब चरम पर पहुंच गया जब नेता प्रतिपक्ष के अपने पहले ही संबोधन में राहुल गांधी ने भाजपा-संघ के हिन्दुत्व को नफरत और हिंसा से जोड़ते हुए प्रहार किया।

नॉन-बायलॉजिकल और परमात्मा से सीधे संवाद जैसे तंजों के सहारे पीएम मोदी पर हमले का मौका नहीं छोड़ा। इस दौरान सदन में आधा दर्जन केंद्रीय मंत्रियों से लेकर समूचे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच करीब दो घंटे तक संग्राम चलता रहा। पीएम मोदी ने अपने जवाबी पलटवार में बालक बुद्धि से लेकर मौसी की कहानी के जरिए राहुल पर तीखे हमले बोले।

लोकसभा को एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए किया गया स्थगित

पक्ष और विपक्ष की इस तल्खी का नतीजा ही रहा कि सरकार ने अपने सभी अनिवार्य संसदीय काम पूरा करने के बाद विपक्षी दलों की नीट मुद्दे पर चर्चा की मांग और पीएम को लिखे राहुल गांधी के पत्र को नजरअंदाज करते हुए लोकसभा को एक दिन पहले ही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।

लोकसभा की बदली तस्वीर का प्रभाव से राज्यसभा में भी दिखा जब आक्रामक विपक्ष अपनी मांगों से पीछे हटने को तैयार नहीं दिखा तो सरकार ने कहीं से भी दबाव में नहीं आने का संदेश देने के लिए हर दांव चलने की कोशिश की। दोनों पक्षों की इस सियासी लड़ाई में सभापति धनखड़ की भूमिका पर विपक्षी दलों ने तीखे तीर चलाए।

धनखड़-खरगे के बीच खूब हुई बहस

सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने उन पर हमेशा सरकार का पक्ष लेने का आरोप लगाने से गुरेज नहीं किया तो मौका मिलते ही धनखड़ ने भी खरगे को एक दिन निशाने पर लिया। वहीं सत्र के आखिरी दिन संविधान का सहारा लेते हुए पूरे विपक्ष के आचरण को अमर्यादित और दुखद करार देने में देर नहीं लगाई।

इतना ही नहीं सत्र खत्म होने के बाद संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजु तथा कांग्रेस नेता गौरव गोगोई के एक दूसरे को दी गई सलाह और चेतावनियों का संकेत साफ है कि पहले सत्र में शुरू हुई यह तकरार संसद के आगामी सत्रों के दौरान सियासी गरमागरमी के नए मुकाम की ओर ही बढ़ेगी।

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