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लोकसभा में नेता विपक्ष की क्या है ताकत? इन अधिकारों का फायदा उठा सकेंगे राहुल गांधी

लोकसभा में नेता विपक्ष बनने के राहुल गांधी के फैसले से यह भी तय हो गया है कि अब वे कांगेस ही नहीं बल्कि विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े कद के नेता बन गए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आठ जून को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ही एक सुर से राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Wed, 26 Jun 2024 02:47 AM (IST)
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे।(फोटो सोर्स: एएनआई)
संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस की राजनीतिक वापसी के नायक के रूप में उभरे पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी 18वीं लोकसभा में विपक्ष के नेता होंगे। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नई लोकसभा में राहुल गांधी को पार्टी संसदीय दल का नेता नामित करते हुए प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को इसका पत्र भेज दिया है।

लोकसभा चुनाव में पिछले दो आम चुनावों के मुकाबले मिली बड़ी कामयाबी के बाद भविष्य की राजनीति के मद्देनजर राहुल गांधी का नेता विपक्ष बनने का फैसला कांग्रेस के लिहाज से बेहद अहम है। इस निर्णय के जरिए कांग्रेस ने सत्ता-सियासत में अपने नेतृत्व के चेहरे को लेकर लंबे अर्से से उठाए जा रहे सवालों और दुविधाओं का भी पटाक्षेप कर दिया है।

सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर को भेजी चिट्ठी

लोकसभा में नेता विपक्ष के संवैधानिक पद के नए कद के बाद विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए के दलों के लिए भी अब कांग्रेस में राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर किसी तरह के किंतु-परंतु की गुंजाइश नहीं रहेगी। नई लोकसभा के पहले सत्र के दूसरे दिन उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से चुने गए राहुल गांधी के सांसद के रूप में शपथ लेने के बाद सोनिया गांधी की ओर से प्रोटेम स्पीकर को उन्हें नेता विपक्ष बनाए जाने के लिए चिट्ठी भेजी गई।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने देर रात राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाए जाने के लिए सोनिया गांधी की ओर से पत्र भेजे जाने की जानकारी साझा की। राहुल गांधी पर नेता विपक्ष की जिम्मेदारी स्वीकार करने का कांग्रेस नेतृत्व का दबाव इसलिए भी था कि अब भाजपा और पीएम मोदी से राजनीतिक मुकाबला करने के लिए वे ही सबसे मजबूत वैकल्पिक चेहरा बन चुके हैं।

राहुल गांधी ने कई मुद्दों को जोर-शोर से उठाया 

चुनाव के दौरान अग्निवीर, जातीय जनगणना, रोजगार, महंगाई, राष्ट्रीय सौहा‌र्द्र के साथ भाजपा-संघ के संविधान बदलने के इरादे के खिलाफ लड़ाई जैसे विषयों को राहुल गांधी ने लगातार उठाते हुए प्रभावकारी मुद्दे के रूप में तब्दील कर दिया। कांग्रेस का मानना है कि चुनाव नतीजे आने के बाद भी इन सवालों की प्रासंगिकता खत्म नहीं हुई और लोकसभा में राहुल इन सवालों पर विपक्ष की सबसे मजबूत आवाज होंगे।

लोकसभा में सांसद के रूप में मंगलवार को एक हाथ में संविधान की प्रति के साथ शपथ लेकर उन्होंने भाजपा की वैचारिक धारा की सियासत का पूरी शिद्दत से मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करने से गुरेज भी नहीं किया।विपक्ष का नेता बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर राहुल गांधी ने अब अपने उन मुखर आलोचकों के लिए प्रहार का रास्ता बंद कर दिया है जो उन्हें एक अनिच्छुक राजनेता के रूप में प्रचारित करने का अभियान चलाते रहे हैं।

आठ जून को हुई थी कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक

लोकसभा में नेता विपक्ष बनने के राहुल गांधी के फैसले से यह भी तय हो गया है कि अब वे कांगेस ही नहीं, बल्कि विपक्षी गठबंधन के सबसे बड़े कद के नेता बन गए हैं। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद आठ जून को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में ही एक सुर से राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव पारित कर दिया था।

कार्यसमिति ने विपरीत हालातों में भी कांग्रेस को लोकसभा में 99 सीटें दिलाने के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा को लगातार तीसरी बार अकेले बहुमत हासिल करने से रोकने का पूरा श्रेय राहुल गांधी को दिया था। पार्टी की इस कामयाबी के साथ विपक्षी गठबंधन के मजबूत चुनावी प्रदर्शन में राहुल गांधी की दो यात्राओं भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा की इसमें निर्णायक भूमिका बताई गई थी।

खरगे के आवास पर हुई आइएनडीआइए की बैठक

राहुल को नेता विपक्ष बनाने की घोषणा से पहले मंगलवार रात को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर आइएनडीआइए के घटक दलों के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई। इस बैठक में खरगे ने राहुल गांधी को नेता विपक्ष बनाए जाने के कांग्रेस के फैसले की जानकारी वहां मौजूद सहयोगी दलों के नेताओं को दी।

क्या है लोकसभा में नेता विपक्ष की ताकत? 

समझा जाता है कि इस पर आइएनडीआइए के लगभग सभी घटक दलों ने हामी भरी। नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल को अब कैबिनेट मंत्री के बराबर दर्जा और सुविधाएं मिलेंगी। यही नहीं, वे सीबीआइ चीफ, सीवीसी, सूचना आयुक्त जैसे संवैधानिक पदों की नियुक्ति करने वाले पैनल में पीएम मोदी के साथ बतौर कमेटी मेंबर मौजूद रहेंगे।

2004 में अमेठी से लोकसभा चुनाव जीत कर राजनीति में प्रवेश करने वाले राहुल दो दशक के सफर में ही नेता विपक्ष जैसे पद तक पहुंच गए हैं। इस दौरान उन्होंने पांच चुनाव जीते हैं। 

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