राहुल गांधी ने हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए कभी भी विदेशी ताकतों की मांग नहीं की: शशि थरूर
भारत में लोकतंत्र पर राहुल गांधी की टिप्पणी का कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने लोकतंत्र को बचाने के लिए किसी भी विदेशी ताकतों की मांग नहीं की है। उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा है जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी पड़े।
By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 17 Mar 2023 03:56 PM (IST)
नई दिल्ली, एएनआई। भारत में लोकतंत्र पर लंदन में अपनी टिप्पणी के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी से माफी मांगने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की लगातार मांग के बीच शशि थरूर ने कहा है कि वायनाड के सांसद ने कभी भी हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए विदेशी ताकतों की मांग नहीं की।
''यह सब बकवास है''
थरूर ने शुक्रवार को एएनआई से कहा, "राहुल गांधी ने कभी भी हमारे लोकतंत्र को बचाने के लिए विदेशी ताकतों के हमारे देश में आने की मांग नहीं की। उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जिसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए। यह बकवास है।"
''देश में लोकतंत्र खतरे में''
कांग्रेस सांसद थरूर ने कहा, "हमारे देश में लोकतंत्र खतरे में है और सभी को इसके बारे में पता होना चाहिए। मैंने इसमें कुछ भी गलत नहीं सुना।"''संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी''
संसदीय बजट सत्र के बारे में आगे बात करते हुए थरूर ने कहा, "संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी है। बजट सत्र चल रहा है, वित्त विधेयक पारित करने की जरूरत है।" उन्होंने कहा, "जब इस तरह के महत्वपूर्ण मामले हैं, तो आप एक गैर-मुद्दे पर संसद को चलने नहीं दे रहे हैं।"
खरगे ने नड्डा पर साधा निशाना
इससे पहले, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राहुल गांधी पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के हमले का जवाब देते हुए भाजपा देशद्रोही है। उसने कभी देश के स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। मालूम हो कि नड्डा ने राहुल को 'राष्ट्र-विरोधी टूलकिट' का 'स्थायी हिस्सा' करार दिया था।''भाजपा ने अंग्रेजों के लिए काम किया"
एएनआई से बात करते हुए, खरगे ने कहा, "वे (भाजपा) खुद राष्ट्र-विरोधी हैं। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं लिया, अंग्रेजों के लिए काम किया और वे दूसरों को राष्ट्र-विरोधी कह रहे हैं? वे बेरोजगारी और महंगाई के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रहे हैं। क्या राहुल गांधी कभी राष्ट्र-विरोधी हो सकते हैं? क्या लोकतंत्र पर बहस करने वाले लोग राष्ट्र-विरोधी हैं?"