Move to Jagran APP

राजस्थान कांग्रेस को 'गहलोत युग' से मुक्त करने की हिमायत, प्रदेश में नए चेहरों के साथ संपूर्ण बदलाव के उठ रहे सुर

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद सूबे के पार्टी नेताओं के साथ नए चुने गए अधिकांश विधायक राजस्थान कांग्रेस को गहलोत युग से मुक्त करने की पैरोकारी में जुट गए हैं। गहलोत विरोधी खेमे के नेताओं का साफ कहना है कि सूबे में लोकसभा चुनाव में पार्टी के सम्मानजनक सीटें हासिल करने का रास्ता बनाना है तो प्रदेश कांग्रेस में अनिवार्य तौर पर बदलाव करना होगा।

By Sanjay MishraEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 07 Dec 2023 09:35 PM (IST)
Hero Image
राजस्थान कांग्रेस में बदलाव के उठे सुर।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी शिकस्त के बाद सूबे के पार्टी नेताओं के साथ नए चुने गए अधिकांश विधायक राजस्थान कांग्रेस को गहलोत युग से मुक्त करने की पैरोकारी में जुट गए हैं। हार की समीक्षा के लिए कांग्रेस हाईकमान की ओर से शनिवार को बुलाई गई बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री के अपने गृह क्षेत्र में ही पार्टी के कमजोर चुनावी प्रदर्शन के आंकड़ों का आईना दिखा राजस्थान कांग्रेस में संपूर्ण बदलाव के पक्ष में हैं।

गहलोत विरोधी खेमे ने प्रदेश कांग्रेस में बदलाव का दिया सुझाव

गहलोत विरोधी खेमे के नेताओं का साफ कहना है कि सूबे में लोकसभा चुनाव में पार्टी के सम्मानजनक सीटें हासिल करने का रास्ता बनाना है तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और नेता विपक्ष दोनों पदों पर नए चेहरे को लाना अनिवार्य है। हाईकमान को यह संदेश भी दिया जा रहा है कि यदि अशोक गहलोत ने पर्दे के पीछे से अपने किसी कठपुतली को बिठाने का प्रयास किया तो इसका मुखर विरोध संभव है।

राजस्थान में पार्टी की पराजय की समीक्षा के लिए खरगे ने बुलाई बैठक

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजस्थान में पार्टी की पराजय की समीक्षा के लिए सूबे के वरिष्ठ नेताओं की शनिवार को बैठक बुलाई है। इसमें हार के पोस्टमार्टम के साथ प्रदेश कांग्रेस संगठन में बदलाव और विधायक दल के नए नेता का चयन करने से पहले हाईकमान सूबे के नेताओं का मूड भांपने की कोशिश करेगा।

यह भी पढ़ेंः एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ को नया सीएम मिलने में लगेगा चार से पांच दिन का समय, कारण जान लीजिए

अशोक गहलोत बना रहे हैं बहाना

इस बैठक के संदर्भ में सूबे के कुछ वरिष्ठ नेताओं-विधायकों ने कहा कि सरकार की लोकप्रिय योजनाओं का श्रेय लेने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हार की पूरी जिम्मेदारी लेने की बजाय कई बहाने बना रहे। इतना ही नहीं कांग्रेस विधायक दल के नए नेता के लिए आदिवासी नेतृत्व के नाम पर अपने समर्थक कुछ ऐसे चेहरों को आगे बढ़ा रहे जो राजस्थान में कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ चर्चित विद्रोह में शामिल रहे हैं।

नेता विपक्ष के लिए गहलोत कर रहे महेंद्र जीत का समर्थन

बताया जा रहा है कि आदिवासी नेतृत्व के नाम पर गहलोत इस विद्रोह में शामिल अपने समर्थक विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीय को नेता विपक्ष बनाए जाने के लिए जोर लगाने की तैयारी में हैं। सूबे में आदिवासी समुदाय के कांग्रेस के 12 विधायक जीते हैं। वहीं, जाट समुदाय से सबसे अधिक 17 विधायक चुने गए हैं, जबकि भाजपा के 14 विधायक जाट वर्ग से हैं।

यह भी पढ़ेंः Yogi Balaknath: बाबा बालकनाथ ने लोकसभा से दिया इस्तीफा, कौन होगा राजस्थान का नया मुख्यमंत्री?

सचिन पायलट की अनदेखी से हुआ कांग्रेस को नुकसान

सचिन पायलट की अनदेखी का नतीजा इस बार कांग्रेस को गुर्जर समाज की नाराजगी के रूप में झेलनी पड़ी है और भाजपा के पांच की तुलना में उसके केवल तीन गुर्जर विधायक चुने गए हैं। नेता विपक्ष पद के लिए सचिन पायलट को एक प्रबल दावेदार माना जा रहा है मगर अभी उनकी ओर से कोई सक्रिय पहल नहीं की गई है और माना जा रहा कि उनके मामले में सीधे हाईकमान निर्णय लेगा। जाट समुदाय के दो वरिष्ठ नेता बृजेंद्र ओला और नरेंद्र बुढ़ानिया भी कांग्रेस विधायक दल की रेस में शामिल हैं।

कांग्रेस कर रही कई राज्यों में हार की समीक्षा

राजस्थान में पिछले दो लोकसभा चुनाव से पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया है और ऐसे में विधानसभा चुनाव के ताजा नतीजों ने 2024 के लिए कांग्रेस नेतृत्व की परेशानी बढ़ा दी है। इसके मद्देनजर ही तत्काल छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान की हार की समीक्षा की जा रही है।

प्रदेश नेतृत्व में करनी होगी बड़ी बदलावः नवनिर्वाचित विधायक

राजस्थान कांग्रेस के एक नवनिर्वाचित वरिष्ठ विधायक ने कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए कार्यकर्ताओं को कोई स्पष्ट संदेश और उत्साह देना है तो फिर संपूर्ण बदलाव कर पार्टी की नई इबारत लिखनी होगी। गहलोत के प्रॉक्सी को बागडोर सौंपने की स्थिति में लोकसभा चुनाव में राजस्थान में किसी करिश्मे की उम्मीद करनाबेमानी होगा। खासतौर से यह देखते हुए कि मुख्यमंत्री गहलोत खुद अपने गृह जिले जोधपुर में कांग्रेस का उबार नहीं पाए और यहां कि10 में से आठ सीटें पार्टी हार गई।

राजस्थान में कांग्रेस की तीसरी बड़ी हार

सूबे में संपूर्ण बदलाव की पैरोकारी कर रहे नेताओं ने हाईकमान को यह दिलचस्प आंकड़ा भी भेजा है कि राजस्थान में 69 सीटें हासिल करने के बाद भी पार्टी की सूबे में यह तीसरी बड़ी हार है। खास बात यह है कि इससे पूर्व जब पार्टी एक बार 21 सीटों और 56 सीटों पर सिमट कर रह गई थी तब दोनों ही मौके पर मुख्यमंत्री गहलोत थे। हाईकमान से ध्रुवीकरण को हार का एक प्रमुख बताने के गहलोत के तर्क से असहमत कुछ नेताओं का कहना है कि इसमें दम नहीं हैं क्योंकि 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा विध्वंस के बाद हुए अगले चुनाव में राजस्थान में भाजपा को कांग्रेस ने हरा दिया था।