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Salman Rushdie Book Ban: नटवर सिंह हैं सलमान रुश्‍दी के फैन, फिर भी राजीव गांधी सरकार में पुस्‍तक पर लगाया गया प्रतिबंध; बताई वजह

Salman Rushdie Book Ban राजीव गांधी सरकार ने 1988 में लेखक सलमान रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक द सैटेनिक वर्सेज पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पुस्‍तक पर प्रतिबंध किसी अन्‍य देश की अपेक्षा सबसे पहले लगाया गया था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sat, 13 Aug 2022 05:20 PM (IST)
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पूर्व केंद्रीय मंत्री के नटवर सिंह लेखक सलमान रुश्दी
नई दिल्ली, एजेंसी। राजीव गांधी सरकार ने 1988 में लेखक सलमान रुश्दी की विवादास्पद पुस्तक 'द सैटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस पुस्‍तक पर प्रतिबंध किसी अन्‍य देश की अपेक्षा सबसे पहले लगाया गया थो। इस बारे में पूर्व केंद्रीय मंत्री के नटवर सिंह ने शनिवार को फैसले का जोरदार बचाव करते हुए कहा कि पुस्‍तक पर प्रतिबंध का आदेश विशुद्ध रूप से कानून के तहत लिया गया था।

आलोचकों के आरोपों को बकवास कहा

1988 में सलमान रुश्दी की पुस्‍तक पर जब प्रतिबंध लगाया गया था, तब नटवर सिंह विदेश राज्‍य मंत्री थे। न्यूयार्क में शुक्रवार को सलमान रुश्दी पर हुए हमले के मद्देनजर उनकी किताब पर ध्यान केंद्रित करते हुए नटवर सिंह ने कहा कि वह फैसले का हिस्सा थे और उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री को इस बारे में बताया था। कहा कि यह पुस्तक गंभीर कानून व्यवस्था की समस्या पैदा कर सकती है क्योंकि इस कारण एक सुमदाय के लोगों की भावनाएं आहत थीं। नटवर सिंह ने आलोचकों के आरोपों को 'बकवास' कहकर खारिज कर दिया कि किताब पर प्रतिबंध लगाने का राजीव गांधी सरकार का फैसला मुसलमानों के तुष्टिकरण से प्रेरित था।

देश के कुछ हिस्‍सों में पैदा हुई थी समस्‍या

नटवर सिंह ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि यह (पुस्तक पर प्रतिबंध लगाने का फैसला) गलत था क्योंकि आप देखते हैं कि इससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हुई थी, खासकर कश्मीर में। भारत के अन्य हिस्सों में भी बेचैनी थी।

कानून व्यवस्था को लेकर लिया फैसला

राजनेता ने कहा कि राजीव गांधी ने मुझसे पूछा कि क्या किया जाना चाहिए। मैंने कहा कि मैं अपने पूरे जीवन में किताबों पर प्रतिबंध लगाने का पूरी तरह से विरोध करता रहा हूं, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की बात आती है तो रुश्दी जैसे महान लेखक की किताब पर भी प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।

सलमान रश्दी के फैन हैं नटवर सिंह

नटवर सिंह ने जोर देकर कहा कि सलमान रुश्दी की 'मिडनाइट्स चिल्ड्रन' 20वीं सदी के महान उपन्यासों में से एक है, लेकिन 'द सैटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगाने का फैसला पूरी तरह से कानून और व्यवस्था के कारणों से लिया गया था। 'द सैटेनिक वर्सेज' पुस्‍तक के विमोचन के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि कई मुसलमानों ने इसे ईशनिंदा के रूप में देखा था। ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी ने सलमान रुश्दी के खिलाफ फतवा जारी किया था और उनको मौत के घाट उतारने का आह्वान किया था।

फैसले का किया जोरदार बचाव

राजीव गांधी सरकार के फैसले का जोरदार बचाव करते हुए नटवर सिंह ने कहा कि मुझे पूरी तरह से लगता है कि यह फैसला उचित था क्योंकि यह गंभीर कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा करने वाला था क्योंकि विशेष रूप से मुस्लिम आबादी के बीच भावनाएं आहत थीं। उस समय मैंने कहा, पूरी मुस्लिम दुनिया भड़कने वाली है। हमारे देश में बड़ी संख्या में मुसलमान हैं। इसके अलावा इस समय किताब में जो है, वह स्वीकार्य नहीं है'।

न्‍यूयार्क में सलमान रश्दी पर किया गया हमला

'द सैटेनिक वर्सेज' लिखने के बाद सालों तक जान से मारने की धमकियों का सामना करने वाले सलमान रुश्दी को शुक्रवार को मंच पर उस समय चाकू मार दिया गया, जब उन्हें पश्चिमी न्यूयार्क में चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन के कार्यक्रम में कार्यक्रम में संबोधन करना था।

न्यूयार्क राज्य पुलिस ने संदिग्ध की पहचान न्यू जर्सी के फेयरव्यू के हादी मटर के रूप में की। घटना के पीछे का मकसद अभी भी अज्ञात है। उनके बोलने से पहले संदिग्ध शख्‍स मंच पर पहुंचा और उसने 75 वर्षीय लेखक पर हमला कर दिया। लेखक को पास के एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी सर्जरी की गई। नटवर सिंह ने कहा कि वह हमले से 'बहुत व्यथित' हैं। यहां एक 75 साल का आदमी है, जो किसी को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है और साहित्य में योगदान दे रहा है और फिर कोई बदमाश आता है और उसे लगभग मार देता है और वह भी तब, जब वह न्यूयार्क में भाषण दे रहा था।

20वीं सदी के महान लेखकों में से एक हैं र‍श्‍दी

नटवर सिंह ने कहा कि सलमान रुश्दी ने इंग्लैंड छोड़ दिया था क्योंकि ब्रिटेन में अमेरिका से ज्यादा मुसलमान थे। इसमें कोई शक नहीं है कि वह 20वीं सदी के महान लेखकों में से एक हैं। इसलिए मैं बहुत व्यथित हूं। मैं उन्हें व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता था लेकिन मैंने उनके मिडनाइट्स चिल्ड्रन की प्रशंसा की। मैंने इसे कई बार पढ़ा, यह उच्च श्रेणी का साहित्य है। उन्होंने साहित्य की दुनिया में रुश्दी के योगदान की सराहना करते हुए कहा।