राज्यसभा चुनाव: सेठ और हर्ष दो किरदार... यूपी और हिमाचल प्रदेश में भाजपा ने कैसे पलट दी बाजी
Rajya Sabha Election Result 2024 हर्ष महाजन और संजय सेठ की जीत ने कई कद्दावर नेताओं की जमी-जमाई रणनीति और राजनीतिक समीकरण को तोड़ दिया है। एक तरफ हिमाचल में जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है वहीं दूसरी तरफ भाजपा के संजय सेठ की जीत ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कई विधायकों को बागी बना दिया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मंगलवार का दिन भारतीय जनता पार्टी के लिए मंगलकारी रहा। उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक की 15 सीटों के लिए राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई, जिसमें भाजपा ने 10 सीटें, कांग्रेस ने तीन और समाजवादी पार्टी ने दो सीटें जीतीं। लोकसभा से पहले राज्यसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा लाभ हुआ, उसने उत्तर प्रदेश में एक अतिरिक्त सीट जीती और हिमाचल प्रदेश में एक सीट हासिल की।
राज्यसभा चुनाव में मची खलबली
सबसे बड़ा आश्चर्य हिमाचल प्रदेश से हुआ, जहां कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी हार गए क्योंकि सत्तारूढ़ कांग्रेस के छह विधायकों ने चुनाव में क्रॉस वोटिंग की। हिमाचल प्रदेश से भाजपा के हर्ष महाजन विजयी हुए, जिसके परिणामस्वरूप एक वर्ष से अधिक पुरानी कांग्रेस सरकार गिरने के कगार पर पहुंच गई। वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश से बीजेपी के संजय सेठ के सिर जीत का ताज सजा। इन दोनों की जीत ने राज्यसभा चुनाव में खलबली मचा दी।
संजय सेठ से लगा सपा को झटका
हर्ष महाजन और संजय सेठ की जीत ने कई कद्दावर नेताओं की जमी-जमाई रणनीति और राजनीतिक समीकरण को तोड़ दिया है। एक तरफ हिमाचल में जहां मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा के संजय सेठ की जीत ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के कई विधायकों को बागी बना दिया है। सबसे बड़ा सपा को झटका तब लगा जब संजय सेठ के समर्थन में समाजवादी पार्टी के विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर सबको चौंका दिया।क्रॉस वोटिंग ने बदले समीकरण
राज्यसभा चुनाव में हुई इस क्रॉस वोटिंग की वजह से राज्यसभा के लिए संजय सेठ का रास्ता साफ हो गया। जबकि दूसरी तरफ हिमाचल में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। राज्यसभा में बदलते समीकरणों पर भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस ने विधानसभा में बहुमत खो दिया है, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ताकत का परीक्षण विधानसभा के पटल पर किया जा सकता है। आइए जानते हैं कौन हैं संजय सेठ और हर्ष महाजन, जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में खलबली मचा दी है।
कौन हैं संजय सेठ
संजय सेठ एक बिजनेस टायकून के साथ साथ उत्तर प्रदेश के बड़े नेता भी हैं। लखनऊ के रहने वाले संजय सेठ रियल एस्टेट डेवलपर हैं। संजय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत समाजवादी पार्टी के साथ की। संजय सेठ सपा के संस्थापक मुलायम सिंह के करीबी माने जाते हैं। 2015 में उन्हें सपा द्वारा विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के उम्मीदवार के रूप में नामित किया गया।समाजवादी पार्टी में उथल-पुथल के बीच संजय सेठ को एसपी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने 235 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की, उस लिस्ट में संजय का नाम नहीं होने से मुलायम सिंह नाराज हो गए थे। यह नाराजगी इतनी बढ़ गई कि अखिलेश यादव को पार्टी से छह साल के लिए निष्काषित कर दिया, लेकिन तीन दिन के अंदर ही सपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बुलाई गई और सर्वसम्मति से अखिलेश को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया।
सपा में चल रही आंतरिक उथल-पुथल के बीच संजय सेठ ने अखिलेश यादव के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए। संजय ने पहले अखिलेश यादव का विश्वास जीता और फिर अखिलेश के पार्टी नेतृत्व संभालने के बाद उन्हें पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष के पद पर पदोन्नत किया गया। संजय सेठ ने कथित तौर पर 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले बसपा और सपा के बीच गठबंधन को सुविधाजनक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।हालांकि, 2019 में संजय सेठ ने बीजेपी में शामिल होने से पहले राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और भाजपा ने सेठ को वापस राज्यसभा में नियुक्त किया। वर्तमान में संजय सेठ 106.46 करोड़ रुपए से ऊपर की चल-अचल संपत्ति के मालिक हैं। वहीं उनकी पत्नी के पास 16.91 करोड़ की चल व 21.30 करोड़ की अचल संपत्ति है। संजय सेठ पर 29 करोड़ रुपए की देनदारियां भी हैं। जबकि उनकी पत्नी पर 2.46 करोड़ रुपए की देनदारियां हैं।