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Ram Mandir: 'वो तो दिखावा करते हैं, मेरे दिल में...', रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाने पर कपिल सिब्बल ने दिया ये जवाब

Ram Mandir राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा गया कि क्या आप रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे? इस सवाल पर राज्यसभा सांसद ने कहा यह पूरा मुद्दा दिखावा है। वे (बीजेपी) राम के बारे में बात करते हैं लेकिन उनका व्यवहार उनका चरित्र कहीं भी भगवान राम के करीब नहीं है।

By Agency Edited By: Piyush Kumar Updated: Mon, 25 Dec 2023 02:50 PM (IST)
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रामलला के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने को लेकर कपिल सिब्बल ने अपनी प्रतिक्रया दी।(फोटो सोर्स: जागरण)
एएनआई, नई दिल्ली। अगले साल 22 जनवरी को अयोध्य में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस अवसर पर पीएम मोदी समेत कई हस्तियां उस दिन अयोध्य में मौजूद होंगे। इस बात पर काफी चर्चा हो रही है कि क्या कांग्रेस और विपक्ष के नेता भी इस मौके पर अयोध्या जाएंगे।

उनका चरित्र कहीं भी भगवान राम के करीब नहीं: कपिल सिब्बल

रविवार को राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से पूछा गया कि क्या आप रामलाल के प्राण प्रतिष्ठा के दिन यानी 22 जनवरी को अयोध्या जाएंगे? इस सवाल पर राज्यसभा सांसद ने कहा, "यह पूरा मुद्दा दिखावा है। वे (बीजेपी) राम के बारे में बात करते हैं लेकिन उनका व्यवहार, उनका चरित्र कहीं भी भगवान राम के करीब नहीं है।

कपिल सिब्बल ने आगे कहा,"सच्चाई, सहिष्णुता, त्याग और दूसरों के प्रति सम्मान भगवान राम के कुछ लक्षण हैं. लेकिन वे (भाजपा) बिल्कुल विपरीत करते हैं और कहते हैं कि हम राम का महिमामंडन कर रहे हैं।"

मैं कोई दिखावे के लिए काम नहीं करता हूं: राज्यसभा सांसद

जब उनसे पूछा गया कि क्या वह 22 जनवरी को समारोह में शामिल होंगे, तो उन्होंने कहा," मेरे दिल में तो राम है, मैं कोई दिखावे के लिए काम नहीं करता हूं। राम ने मुझे इस हद तक यहां ला दिया है तो कुछ सही ही कर रहा हूंगा।"

आपराधिक बिलों को लेकर क्या बोले कपिल सिब्बल?

संसद में पारित आपराधिक बिलों पर राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल का कहना है, ''जिस तरह से इन बिलों को पारित किया गया वह संवैधानिक नहीं था। हमने उनसे इन बिलों के लिए जाने-माने वकीलों से सलाह लेने का अनुरोध किया लेकिन उन्होंने अपने नेताओं के साथ जाने का फैसला किया, फिर उन्होंने इन विधेयकों को निर्विरोध (विरोध के बिना) पारित कर दिया।

ये विधेयक मौजूदा कानूनों का अनुवादित संस्करण मात्र हैं और 'औपनिवेशिक' कानूनों की तुलना में अधिक कठोर हैं। मुझे उनमें कोई 'भारतीयता' नहीं दिखती।"

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