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Assembly Elections: विधानसभा चुनाव के लिए RSS और BJP ने बनाई ये रणनीति, प्लान B से जीतेंगे रण?

भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अभी तक नहीं जीती गई सीटों को फहत करने पर जोर दिया था और इसके लिए अभी तक खराब प्रदर्शन वाले बूथों पर भी बढ़त हासिल करने के लिए ताकत झोंकी दी थी। लेकिन इसके परिणाम आशा के अनुरूप नहीं मिले और पार्टी को सुनिश्चित जीत वाली सीटों से भी हाथ धोना पड़ा।

By nranjan ranjan Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 08 Sep 2024 05:56 PM (IST)
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विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा ने तैयारी पूरी की। (File Photo)

नीलू रंजन, नई दिल्ली। हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने लड़ाई वाली बूथों पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। ये वो बूथ हैं जिनपर भाजपा को मिलने वाले वोट कम-ज्यादा होते रहते हैं, लेकिन ये किसी सीट पर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं।

लोकसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेते हुए भाजपा ने जुलाई में ही इस रणनीति के तहत विधानसभा चुनावों में उतरने की तैयारी शुरू कर दी दी। पार्टी ने मंडल स्तर से लेकर विधानसभा और लोकसभा स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों को इन बूथों पर जनसंपर्क की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी है और अपने-अपने क्षेत्र में काम देखने को कहा है।

लोकसभा से सबक

लोकसभा चुनाव परिणामों की आंतरिक समीक्षा के दौरान यह साफ हुआ कि 2014 और 2019 में जिन बूथों पर भाजपा ने विपक्षी दलों पर बढ़त हासिल की थी, उन्हीं बूथों पर 2024 में पिछड़ गई और इसका असर चुनाव नतीजों पर पड़ा। इसे देखते हुए भाजपा ने विधानसभा चुनावों में लड़ाई वाले बूथों पर ज्यादा ध्यान केंद्रीत करने का फैसला किया है।

बूथ स्तर पर काम

दरअसल अमित शाह के अध्यक्ष रहने के दौरान 2014 से 2019 के दौरान भाजपा ने देश भर में 10 लाख से अधिक बूथों को तीन श्रेणियों में बांटकर काम शुरू किया था। इनमें ए श्रेणी में उन बूथों को रखा गया था, जिनपर भाजपा को पिछले तीन चुनावों में लगातार 69 फीसद से अधिक वोट मिलते रहे हैं।

वोट हासिल करने की रणनीति

दूसरी बी श्रेणी में उन बूथों को रखा गया था, जिनपर भाजपा को 40 से 60 फीसद के बीच वोट मिले थे और तीसरी सी श्रेणी में 40 फीसद से कम वोट वाले बूथों पर रखा गया था। अमित शाह ने एक श्रेणी के बूथों पर स्थिति को मजबूत रखते हुए बी श्रेणी के बूथों पर सक्रियता बढ़ाने और सी श्रेणी के बूथों पर भी अपेक्षाकृत बेहतर वोट हासिल करने की रणनीति बनाई थी।

भाजपा और आरएसएस की दूरी कम

इसका परिणाम विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों और 2019 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। लेकिन कभी नहीं जीत पाने सीटों को फतह करने और सी श्रेणी के बूथों पर विपक्ष की तुलना में बढ़त हासिल करने की कोशिश में ए और बी श्रेणी के बूथों पर ध्यान नहीं दिया गया। आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा का सबसे जोर इन्हीं बी श्रेणी के बूथों पर है। वहीं लोकसभा चुनाव से सीख लेते हुए भाजपा और आरएसएस ने आपसी दूरी कम करने की कोशिशें तेज कर दी है।

समर्थकों को एकजुट किया

खासतौर पर विधानसभा चुनाव में आरएसएस और भाजपा संयुक्त रणनीति के तहत काम कर रही है। आरएसएस के स्वयं सेवकों और जिला व राज्य स्तर के वरिष्ठ पदाधिकारियों को भी बी श्रेणी के बूथों पर विशेष ध्यान देने को कहा गया है ताकि तमाम मतभेदों को भुलाकर सभी समर्थकों को एकजुट किया जा सके।

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