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Population Control: आबादी तो पशु भी बढ़ाते हैं... मोहन भागवत के बयान पर आगबबूला हुए ओवैसी, बोले- नहीं मानूंगा जनसंख्‍या पर कानून

rss chief mohan bhagwat on Population Control आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा था कि केवल जीवित रहना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है। योग्यतम की उत्तरजीविता जंगल पर लागू होती है जबकि दूसरों की रक्षा करना इंसान की निशानी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 06:28 PM (IST)
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RSS के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के एक बयान को लेकर सियासत गर्म है।
बेंगलुरु, एजेंसी। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh, RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के एक बयान को लेकर सियासत गर्म है। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने बुधवार को कहा था कि केवल जीवित रहना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है। खाना पीना और आबादी बढ़ाने का काम तो जानवर भी करते हैं। शक्तिशाली जीवित रहेगा यह तो जंगल का कानून है। योग्यतम की उत्तरजीविता जंगल पर लागू होती है जबकि दूसरों की रक्षा करना इंसान की निशानी है।

अब संघ प्रमुख मोहन भागवत के आबादी पर दिए बयान को लेकर सियासी खींचतान शुरू हो गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने गुरुवार को कहा कि देश की 50 फीसद आबादी 25 वर्ष से कम उम्र के युवाओं की है। इस देश का ज्वलंत मसला बेरोजगारी है। देश की युवा आबादी के लिए मोदी सरकार ने क्या किया..?

समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक ओवैसी ने कहा कि यदि भारत सरकार दो बच्चों के मानदंड का बिल लाएगी तो मैं उसका बिल्कुल समर्थन नहीं करूंगा, क्योंकि यह भारत के बिल्कुल हक में नहीं होगा। भारत की जनसंख्या अपने आप गिर रही है और 2030 तक यह स्थिर हो जाएगी। ओवैसी ने सवाल किया कि (धर्म) परिवर्तन से भारत का क्या ताल्लुक...? भारत का कोई धर्म है..? RSS चाहती है कि भारत का एक धर्म हो।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि देश के आगे बढ़ने के संकेत अब हर जगह दिखाई दे रहे हैं। अगर किसी ने 10-12 साल पहले कहा होता कि भारत आगे बढ़ेगा, तो हम इसे गंभीरता से नहीं लेते। भागवत कर्नाटक के चिक्कबल्लापुरा जिले के मुद्दनहल्ली के सत्य साई ग्राम स्थित श्री सत्य साई यूनिवर्सिटी फार ह्यूमन एक्सीलेंस के प्रथम दीक्षा समारोह को संबोधित कर रहे थे।

संघ प्रमुख ने कहा कि राष्ट्र की प्रक्रिया तत्काल शुरू नहीं हुई, यह 1857 से है, जिसे स्वामी विवेकानंद द्वारा आगे बढ़ाया गया। संघ प्रमुख ने कहा कि आध्यात्मिक साधनों के जरिये उत्कृष्टता हासिल की जा सकती है क्योंकि विज्ञान अभी तक सृष्टि के स्त्रोत को नहीं समझ पाया है। संघ प्रमुख ने कहा कि मौजूदा विज्ञान में बाहरी दुनिया के अध्ययन में समन्वय और संतुलन का अभाव है, जिसके परिणामस्वरूप हर जगह विवाद की स्थिति पैदा होती है।