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महाराष्ट्र में ऐसे नहीं BJP गठबंधन को मिली प्रचंड जीत, RSS का वो प्लान; जिसके आगे चित हो गया विपक्षी गुट

महाराष्ट्र में भाजपा गठबंधन की प्रचंड जीत में राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की भूमिका बेहद अहम है। लोकसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन करनी वाली महायुति ने विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत दर्ज की। संघ के पदाधिकारियों ने प्रदेश की सभी 288 सीटों पर खास रणनीति बनाई इस रणनीति की झलक परिणामों में बिल्कुल साफ दिखी। महायुति को कुल 236 सीटों पर जीत मिली है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Sun, 24 Nov 2024 10:00 PM (IST)
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Maharashtra Election Result 2024: संघ ने विधानसभा चुनाव में पलटी बाजी।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। करीब छह माह पहले लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद महाराष्ट्र में भाजपा की जो दुर्दशा हुई थी, उसके बाद कोई कल्पना भी नहीं कर रहा था कि छह माह बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में कोई सकारात्मक परिणाम भी आ सकते हैं। मगर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भाजपा में भेजे गए उसके पदाधिकारियों ने मोर्चा संभाला तो आज ऐसे परिणाम आ चुके हैं, जिन पर विपक्ष तो क्या खुद भाजपा भी भरोसा नहीं कर पा रही है।

भाजपा और संघ ने बैठाया तालमेल तो आए चौंकाने वाले परिणाम

कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के एक बयान से नाराज होकर संघ ने चुनाव प्रक्रिया से खुद को दूर कर लिया था। मगर चुनाव परिणाम आने के बाद संघ और भाजपा दोनों ने अपने बीच तालमेल की कमी से होने वाले नुकसान का आकलन किया और छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए नए सिरे से रणनीति बनाने का फैसला किया गया। इसी कड़ी में संघ के सहसरकार्यवाह अतुल लिमये और भाजपा के राष्ट्रीय सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश को विधानसभा चुनाव के लिए काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।

ऐसे साधा चुनाव प्रचार अभियान

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि अतुल लिमये ने जहां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के बीच आपसी तालमेल बैठाने का प्रयास शुरू किया, वहीं शिवप्रकाश ने भाजपा के संगठन को बूथ स्तर तक दुरुस्त करने का काम शुरू कर दिया।

नितिन गडकरी जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता, जोकि लोकसभा चुनाव में अपने चुनाव में व्यस्त रहने एवं कुछ अन्य कारणों से अधिक सक्रिय नहीं हो सके थे, इस बार उन्हें भी पूर्ण सक्रियता से काम करने के लिए राजी किया गया और उन्होंने पूरे मन से काम किया भी। इस काम में संघ की ओर से ही भेजे जाने वाले संगठन मंत्री के रूप में बीएल संतोष भी मार्गदर्शन के लिए हमेशा मौजूद रहे।

सामाजिक समीकरण को कैसे पलटा?

इस टीम के सामने सबसे पहला लक्ष्य था सामाजिक समीकरण सुधारने का। विपक्षी दल मराठा आरक्षण के बहाने देवेंद्र फडणवीस को घेरने का प्रयास कर रहे थे। तो संघ के नेताओं ने महाराष्ट्र के अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के विभिन्न समूहों के नेताओं से संपर्क साधा और उनकी सीधी बैठकें देवेंद्र फडणवीस के साथ करवाई गईं।

सभी को उनके समाज के लिए सरकार द्वारा किए गए, और भविष्य में किए जाने वाले कार्यों की जानकारी स्वयं फडणवीस द्वारा दिलवाई गई, ताकि वे अपने समाज में निचले स्तर तक यह संदेश पहुंचा सकें कि सरकार उनके हितों के लिए काम कर रही है।

ऊपर से नीचे तक ऐसी बैठकें सैकड़ों नहीं, बल्कि हजारों की संख्या में हुईं। जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा द्वारा लड़ी गई अनुसूचित जनजाति की 16 में से 15 सीटों पर उसे जीत हासिल हुई। इस प्रक्रिया में मराठा समाज को भी छोड़ा नहीं गया। मराठा समाज के भी गैर-राजनीतिक नेताओं से संपर्क साधकर उन्हें बताया गया कि अब तक मराठों को दो बार दिया गया 10 प्रतिशत आरक्षण भाजपा की ही सरकार में दिया गया है।

बूथ स्तर पर कार्यकर्तओं को किया सक्रिय

यही काम जिलों में बूथ स्तर तक भी किया गया। प्रत्येक बूथ समिति में जितने सक्रिय कार्यकर्ता होते हैं, सभी को किसी न किसी समाज की जिम्मेदारी देकर उनसे संपर्क में रहने को कहा गया। स्थानीय स्तर पर होने वाली संघ की समन्वय बैठकों में इन छोटे-छोटे कार्यकर्ताओं से बराबर रिपोर्ट भी ली जाती थी।

288 सीटों पर रहा संघ का फोकस

महाराष्ट्र के पिछले बजट में लाडली बहिन योजना घोषित होने के बाद बूथ स्तर के यही कार्यकर्ताओं महिलाओं के फार्म भरवाने एवं उनके खाते तक पैसा पहुंचने के बाद भी उनके संपर्क में रहे। जिसका परिणाम मत प्रतिशत की बढ़ोतरी के अलावा महायुति के पक्ष में उनके मत मिलने तक देखा गया।

संघ ने ये काम सिर्फ भाजपा द्वारा लड़ी गई सीटों पर ही नहीं, बल्कि राज्य की सभी 288 सीटों पर किया। इसका लाभ भाजपा के साथ-साथ उसके साथी दलों को भी हुआ, और आज महायुति 236 सीटें जीतकर पिछले 50 साल में सबसे ज्यादा सीटें जीतनेवाला गठबंधन बन चुकी है।

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