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Parliament Circular: संसद परिसर में अब धरना प्रदर्शन रोक सर्कुलर पर मचा घमासान, विपक्ष ने बोला हमला तो स्पीकर ने दी यह सलाह

circular to stop protest in parliament premises संसद सत्र से पहले विपक्ष ने एक ऐसे मुद्दे पर विवाद खड़ा कर दिया जो लंबे वक्त से संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है। यह संप्रग काल में भी होता रहा है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Fri, 15 Jul 2022 08:45 PM (IST)
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संसद सत्र से पहले ही राजनीति गरमाने लगी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद सत्र से पहले ही राजनीति गरमाने लगी है। एक दिन पहले असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद छिड़ा था। शुक्रवार को फिर एक ऐसे मुद्दे पर विपक्ष ने विवाद खड़ा कर दिया जो लंबे वक्त से संसदीय प्रक्रिया का हिस्सा है और वह संप्रग काल में भी होता रहा है। राज्यसभा सचिवालय की ओर से एक सर्कुलर जारी हुआ जिसमें संसद परिसर के अंदर धरना, विरोध प्रदर्शन, उपवास, धार्मिक अनुष्ठान आदि की अनुमति न होने की बात कही गई थी।

यूपीए सरकार में भी जारी हुआ था सर्कुलर 

विपक्ष ने छूटते ही इसे 'लोकतंत्र की आवाज को कुचलने का एक और कदम' करार दे दिया। मगर संसदीय सचिवालय ने इसे गैर जरूरी विवाद बताते हुए साफ किया कि सत्र से पहले इस तरह के सर्कुलर नियमित रूप से जारी होते रहे हैं। कांग्रेस की यूपीए सरकार के दौरान भी इस तरह के सर्कुलर जारी किए गए थे।

ओम बिरला ने विवाद को बताया गैर जरूरी 

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस विवाद को अनावश्यक बताते हुए कहा कि संसद की गरिमा को राजनीतिक वाद-विवाद का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। राज्यसभा सचिवालय की ओर से गुरूवार को जारी सर्कुलर पर विवाद की शुरूआत कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश के बयान से हुई। उन्होंने सर्कुलर की प्रति टवीट की ओर पीएम नरेन्द्र मोदी पर परोक्ष कटाक्ष करते कहा कि अब संसद परिसर में धरना प्रदर्शन भी मना है।

विपक्ष ने बोला हमला 

जयराम रमेश के बयान के बाद तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इसे असंसदीय शब्दों की नई सूची के प्रसंग से जोड़ते हुए भाजपा सरकार पर हमला बोल दिया। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने टवीट करते हुए कहा कि भारत की आत्मा, उसके लोकतंत्र और उसकी आवाज को दबाने की कोशिश विफल हो जाएगी। माकपा नेता ने यह भी कहा कि सरकार जितनी बेकार है, उतनी ही कायर है।

लोकसभा अध्‍यक्ष से दखल की मांग 

राजद के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि यह कहने के लिए बुलेटिन लाना कि हम संसद के अंदर धरना नहीं दे सकते। यह संसद को कब्र तक ले जाने का प्रयास है। हम मांग करते हैं कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।

वर्षों से चलती आई है प्रक्रिया 

शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी सरकार पर इसको लेकर तीखा तंज कसा। अचरज की बात है कि इनमें कई नेता वर्षों से संसद में हैं। लेकिन उन्हें इसका अहसास ही नहीं था कि यह प्रक्रिया तो वर्षों से चल रही है। फिर भी संसद परिसर में लगातार ऐसे प्रदर्शन होते रहे हैं। हर सत्र से पहले यह सर्कुलर भी जारी किया जाता है कि सदस्य बैनर पोस्टर लेकर सदन के अंदर नही आएंगे। लेकिन उसका भी खुलेआम उल्लंघन होता रहा है।

पहले भी जारी होते रहे हैं ऐसे सर्कुलर 

यह हर कार्यकाल में होता है लेकिन प्रक्रिया के तहत सर्कुलर भी जारी होता है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस पर तस्वीर साफ करते हुए कहा कि यह नियमित प्रक्रिया है ओर इस तरह के सर्कुलर हर सत्र से पहले जारी किए जाते हैं। इसलिए सांसदों व राजनीतिक दलों से अनुरोध है कि खबर की सुर्खियों के लिए संसद की नियमित प्रक्रियाओं का इस्तेमाल न करें और संसद की गरिमा को बनाए रखें।