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महाराष्ट्र में ही क्यों सिमट कर रह गई शिवसेना? संजय राउत ने बताया अटल बिहारी वाजपेयी का कनेक्शन

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि हम महाराष्ट्र से बाहर पार्टी का विस्तार चाहते हैं। अगर बालासाहेब महाराष्ट्र से बाहर पार्टी का विस्तार करते तो जरूर इसका फायदा होता। संजय राउत ने कहा कि अयोध्या आंदोलन के बाद बाला साहेब ठाकरे की लहर थी। उन्होंने महाराष्ट्र से बाहर पार्टी के विस्तार न होने के पीछे की वजह भी बताई।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 12 Nov 2024 05:21 PM (IST)
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शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत। ( फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि हम महाराष्ट्र से बाहर पार्टी का विस्तार चाहते हैं। अगर बालासाहेब महाराष्ट्र से बाहर पार्टी का विस्तार करते तो जरूर इसका फायदा होता। संजय राउत ने कहा कि अयोध्या आंदोलन के बाद बाला साहेब ठाकरे की लहर थी। उन्होंने महाराष्ट्र से बाहर पार्टी के विस्तार न होने के पीछे की वजह भी बताई।

अयोध्या आंदोलन के बाद बाला साहेब ठाकरे की लहर थी

संजय राउत ने कहा कि उस वक्त हमारा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन था। अयोध्या आंदोलन के बाद बाला साहेब ठाकरे की लहर थी। हम पार्टी का विस्तार महाराष्ट्र से बाहर चाहते थे। हिंदी भाषीय राज्यों में बाला साहेब ठाकरे की लहर थी। 1992 के बाद शिवसेना चुनाव भी लड़ने जा रही थी। बाला साहेब ठाकरे हिंदुओं के नेता थे। उनकी छवि सुपरस्टार की बन चुकी थी।

अटल जी के सम्मान में नहीं लड़े चुनाव

एक टीवी चैनल से बातचीत में संजय राउत ने कहा कि जब शिवसेना चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी, तभी बाला साहेब ठाकरे के पास भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी का फोन आया। उन्होंने कहा कि चुनाव लड़ने पर मतों का विभाजन होगा। इससे हमारा ही नुकसान होगा। संजय राउत ने आगे कहा कि बाला साहेब ठाकरे ने मुझसे बताया कि अटल जी का फोन आया था। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। इसके बाद ही महाराष्ट्र से बाहर चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लिया गया था।

अन्य राज्यों में चेहरा नहीं खोज सके

संजय राउत ने कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत उत्तर भारत में बाला साहेब ठाकरे की लहर थी। अगर चुनाव लड़ते तो उस वक्त 10 से 15 सांसद हमारे महाराष्ट्र से बाहर से चुनकर आते। उन्होंने आगे कहा कि इस घटनाक्रम के बाद महाराष्ट्र के बाहर पार्टी चेहरा खोज नहीं पाई। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि इससे हमारा नुकसान हुआ है। हालांकि कई राज्यों में पार्टी की इकाई काम कर रही है।

दो फाड़ हो चुकी शिवसेना

जून 2022 में शिवसेना दो फाड़ हो चुकी है। अब शिवसेना का नेतृत्व महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के हाथों में है। वहीं शिवसेना (यूबीटी) की कमान प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बाला साहेब ठाकरे के बेटे उद्धव ठाकरे के पास है। विधानसभा चुनाव 2024 में शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस (SP) महाविकास अघाड़ी गठबंधन के तहत चुनाव मैदान में उतरे हैं। 20 नवंबर को महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों पर मतदान है। 23 नवबंर को रिजल्ट आएंगे।

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