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आज तक अपना एक उत्तराधिकारी नहीं बना पाए शरद पवार, 'सामना' में संजय राउत ने एनसीपी सुप्रीमो पर कसा तंज

शिवसेना (यूबीटी गुट के) नेता संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में महाविकास आघाड़ी गठबंधन में सहयोगी पार्टी एनसीपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि शरद पवार अभी तक अपना उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे हैं। पढ़ें राउत ने भाजपा को लेकर क्या कहा...

By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Mon, 08 May 2023 01:50 PM (IST)
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संजय राउत ने 'सामना' में लिखे अपने लेख में एनसीपी प्रमुख शरद पवार पर साधा निशाना
मुंबई, जागरण डेस्क। यूं तो शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) महाविकास आघाड़ी का हिस्सा है, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार पर लगातार निशाना साध रही है। अब मुखपत्र 'सामना' में लिखे अपने लेख में पार्टी सांसद संजय राउत ने पवार पर अपना उत्तराधिकारी तैयार न कर पाने का आरोप लगाया है। इसके अलावा, राउत ने पवार के इस्तीफे वाले दांव को मास्टरस्ट्रोक करार दिया और कहा कि इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) का गेमप्लान खराब हो गया।

''शरद पवार का मतलब ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है''

संजय राउत ने सामना में लिखे अपने लेख में कहा, ''राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष पद छोड़ने की शरद पवार द्वारा घोषणा करते ही खलबली मचना स्वाभाविक था। यह हलचल देश की राजनीति में मच गई, उससे ज्यादा उनकी पार्टी में मची, क्योंकि शरद पवार का मतलब ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी है। पवार राजनीति में एक पौराणिक वटवृक्ष की तरह हैं। उन्होंने मूल कांग्रेस पार्टी से अलग होकर `राष्ट्रवादी’ नामक एक स्वतंत्र पार्टी बनाई, चलाई और उसे स्थापित किया, लेकिन शरद पवार के बाद पार्टी को आगे ले जाने वाला नेतृत्व पार्टी में तैयार नहीं हो पाया।''

''उत्तराधिकारी तैयार करने में विफल रहे पवार''

राउत ने आगे कहा, ''पवार निश्चित रूप से राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़े नेता हैं और राष्ट्रीय राजनीति में उनके शब्दों का सम्मान किया जाता है, लेकिन वे एक उत्तराधिकारी बनाने में विफल रहे, जो पार्टी को आगे ले जा सके। इसलिए चार दिनों पहले जैसे ही उन्होंने सेवानिवृत्ति की घोषणा की, पार्टी जड़ से हिल गई और हर कोई अब हमारा क्या होगा? इस चिंता से कांप गए। कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए। पार्टी के प्रमुख नेताओं ने मनाया और लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए पवार ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। इसके आगे भी वही राकांपा की कमान संभालेंगे। इससे पिछले चार-पांच दिनों से चल रहे ड्रामे पर पर्दा गिर गया है।''

''भाजपा एक पेटदर्द वाली पार्टी है''

शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने अपने लेख में भाजपा पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, ''पवार ने इस्तीफे का जो ड्रामा किया वह `नौटंकी’ थी, ऐसी आलोचना भाजपा ने की। भारतीय जनता पार्टी एक पेटदर्द वाली पार्टी है। वह कभी नहीं चाहती कि दूसरे का अच्छा हो या बेहतर हो। यह पार्टी दूसरों की पार्टियां या घरों को तोड़कर खड़ी हुई है। दूसरा यह कि दूसरों पर `नौटंकी’ का आरोप लगाने से पहले उन्हें दुनिया के सबसे बड़े नौटंकीबाज के तौर पर ख्याति प्राप्त अपने प्रधानमंत्री मोदी को देखना चाहिए।''

''शरद पवार के खेल से भाजपा का बढ़ा पेटदर्द''

राउत ने कहा, ''जो लोग देश की राजनीति की `नौटंकी’ करते हैं, उन्हें दूसरे लोगों के मामले नौटंकी ही लगेंगे। भाजपा का पेटदर्द ऐसा है कि शिवसेना की तरह ही राष्ट्रवादी कांग्रेस को तोड़ने का उनका `प्लान’ था। लोग बैग भरकर तैयार थे और कहा जा रहा था कि आनेवालों के लिए `लॉजिंग-बोर्डिंग’ की व्यवस्था पूरी हो गई है। हालांकि, शरद पवार के खेल से भाजपा का `प्लान’ कचरे की कुंडी में चला गया और पेटदर्द बढ़ता गया। पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भाजपा के तंबू में ले जाएं और अपने सहयोगियों को ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स के छल से छुटकारा दिलाएं, ऐसा एक गुट का आग्रह था, लेकिन पवार ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। ''

''कार्यकारिणी में शामिल थे भाजपा में जाने की योजना बनाने वाले लोग''

लेख में कहा गया, ''एनसीपी का नया अध्यक्ष कौन बनेगा? यह तय करने के लिए पवार ने एक बड़ी कार्यकारिणी नियुक्त कर दी। उस कार्यकारिणी में, भाजपा में जाने की जिन्होंने योजना बनाई थी, उसमें से ही ज्यादा लोग थे, लेकिन कार्यकर्ताओं का दबाव और भावनाएं ऐसी तीव्र थीं कि उस कार्यकारिणी को पवार का इस्तीफा नामंजूर करके `इसके आगे आप और आप ही,’ ऐसा पवार से कहना पड़ा और तीसरे अंक का घंटा बजने से पहले ही पवार के नाट्य का पर्दा गिर गया।

''पवार के पास वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था''

सामना में लिखे अपने लेख में राउत कहते है पवार की वापसी से उनकी पार्टी में चेतना आ गई और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ने भी राहत की सांस ली। यह सच है कि पवार के पास वापस लौटने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, लेकिन इस बहाने हमारी पार्टी असल में कहां है और अपने इर्द-गिर्द रहनेवालों के दिल कहां घूम रहे हैं, इसका अंदाजा पवार ने लगा लिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस छोड़कर जिन्हें जाना है वे जाएं, उन्हें नहीं रोकूंगा, ऐसा पवार ने कहा। यानी लोग जाने वाले थे या फिलहाल रुके हुए हैं।

''भाजपा के बहकावे में जाना यानी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना''

राउत ने कहा, ''भाजपा के लॉजिंग-बोर्डिंग में बुकिंग अभी भी रद्द नहीं हुई है, यह स्पष्ट है। जो जाएंगे उनका राजनीतिक करियर लोग ही खत्म कर देंगे, चाहे वह कितना भी बड़ा सरदार हो। शिवसेना छोड़कर जो गए उनकी हालत कूड़ेदान के आवारा कुत्तों से भी बदतर हो गई है। इसलिए भाजपा के बहकावे में जाना यानी खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारने का निमंत्रण है। भारतीय जनता पार्टी के घर में दरवाजा तो क्या साधारण पर्दा भी नहीं है। कोई भी अंदर घुस रहा है। नैतिकता और सदाचार नहीं बचे हैं।'' 

''सिर पर लटकती तलवार रखकर ही आगे जीना होगा''

शिवसेना (यूबीटी गुट) के नेता ने कहा, ''आज सीबीआई, ईडी के डर से भाजपा में जाने से अस्थाई राहत मिलेगी, लेकिन सिर पर लटकती तलवार रखकर ही आगे जीना होगा। खुद को बाहुबली-दिग्गज आदि समझने वाले यदि इस बात को न समझें तो उनका आज तक का आचरण, वाणी और चाल-चलन को कोरी बकवास ही समझना चाहिए।''

''लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव नहीं जीतना चाहती भाजपा''

संजय राउत ने आगे कहा,  ''भारतीय जनता पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव नहीं जीतना चाहती है। उनकी इतनी हैसियत नहीं है, लेकिन विपक्ष की ताकत को तोड़कर और उसे तोड़ने के लिए ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का इस्तेमाल करके उन्हें राजनीति करनी है। सौ दिन बकरी बनकर जीने से अच्छा है कि एक दिन बाघ बनकर जिया जाए, इसका विचार भाजपा के लिए बैग भरने वाले हर किसी को करना चाहिए। 

''बैग भरकर निकलने वालों पर पार्टी निर्भर नहीं रहती''

उद्धव ठाकरे ने लड़ने का फैसला किया। शरद पवार ने भी कहा कि वे अंत तक लड़ेंगे। यह हुआ महाराष्ट्र का, लेकिन लालू यादव, के.सी. चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, स्टालिन जैसे नेता भी लड़ने के लिए उतर गए हैं। कार्यकर्ता लड़ते ही रहते हैं। बैग भरकर निकलने वालों पर पार्टी निर्भर नहीं रहती! सभी पार्टियों के डरपोक सरदारों को एक स्वतंत्र पार्टी की स्थापना करनी चाहिए, ताकि लोगों को पता चले कि असली मर्द कौन है?