Electoral Bond Case: 'SBI को चुनावी बॉन्डों के नंबरों का भी खुलासा करना चाहिए था', सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की 10 बड़ी बातें
Electoral Bond Case चुनाव आयोग ने गुरुवार को चुनावी बॉन्डों से जुड़ा ब्योरा सार्वजनिक कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) ने 12 मार्च को यह ब्योरा चुनाव आयोग को सौंपा था। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर इस ब्योरे को 15 मार्च को शाम पांच बजे तक अपलोड करने का समय दिया था। अब 18 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनावी बॉन्डों की सार्वजनिक हुई सूचना में स्टेट बैंक आफ इंडिया द्वारा प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का नंबर न बताए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि एसबीआइ ने चुवानी बॉन्डों के नंबरों (अल्फा न्यूमेरिकल नंबर यानी शब्द और अंकों से मिलकर बना विशिष्ट नंबर ) का खुलासा क्यों नहीं किया।
1. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट का आदेश था कि एसबीआइ चुनावी बॉन्ड से संबंधित सारी सूचना देगा। सारी जानकारी का खुलासा करना उसका कर्तव्य है। कोर्ट ने इस पर एसबीआइ को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले में सोमवार 18 मार्च को फिर सुनवाई होगी।
2. चुनावी बॉन्ड योजना में गोपनीयता बरतने की नीति थी इसलिए जारी किये जाने वाले प्रत्येक बॉन्ड को एक विशिष्ट नंबर दिया जाता था। बॉन्ड खरीदे जाने और बॉन्ड को राजनैतिक दलों द्वारा भुनाए जाने की सूचनाएं अलग अलग एकत्र की जाती थीं। माना जा रहा है चुनावी बॉन्डों के विशिष्ट नंबरों से यह जाना जा सकता है कि किस कारपोरेट हाउस ने किस राजनैतिक दल को कितना चंदा दिया है।
3. अभी एसबीआइ से मिली चुनावी बॉन्ड की जो जानकारी चुनाव आयोग ने वेबसाइट पर डाली है उसमें चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों या लोगों की सूची अलग है और जिन राजनैतिक दलों ने चुनावी बॉन्ड भुनाए हैं उसकी सूची अलग है।
4. दोनों सूचियों को मिलाने की कोई कड़ी उसमें नजर नहीं आती इसलिए यह तो जाना जा सकता है कि किस कंपनी ने कितने चुनावी बॉन्ड खरीदे और किस राजनैतिक दल को चुनावी बॉन्ड के जरिए कितना चंदा मिला लेकिन किसने किसको कितना चंदा दिया यह पता नहीं चलता है।
5. शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में चुनाव आयोग की अर्जी पर सुनवाई के लिए बैठी थी। आयोग ने अर्जी में कहा था कि 2019 से पहले खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड की सूचनाएं वह सील बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा करा चुका है और उसके पास अब सूचना नहीं है। जब कोर्ट उसे वापस करेगा तभी सूचना वेबसाइट पर डालने के 11 मार्च के आदेश का पालन हो पाएगा।
6. कोर्ट ने इस पर रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह आयोग द्वारा सील बंद लिफाफों में जमा कराई सूचना को स्कैन करे उसका डिजटलीकरण करे और इसके बाद मूल दस्तावेज और डिजिटल प्रति आयोग को दी जाए। इसी दौरान चीफ जस्टिस ने पूछा कि एसबीआइ की ओर से कौन है। उन्होंने कहा कि एसबीआइ ने इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबरों (विशिष्ट नंबर) का खुलासा नहीं किया है।7. कोर्ट ने आदेश में एसबीआई को चुनावी बॉन्ड की सारी सूचना उसे खरीदने की तारीख, खरीदने वाले का नाम और उसे भुनाने वाले राजनैतिक दलों का ब्योरा देने को कहा था।
8. तभी केंद्र की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एसबीआइ की ओर से यहां कोई नहीं है। बेहतर होगा कि कोर्ट एसबीआइ को नोटिस जारी करे ताकि एसबीआइ इस पर स्थिति स्पष्ट करे।9. याचिकाकर्ता गैर सरकारी संगठन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट का आदेश स्पष्ट था कि सारी सूचना का खुलासा करना है। उन्होंने आदेश का मूल हिस्सा पढ़ कर भी सुनाया। इसके बाद पीठ ने एसबीआइ को नोटिस जारी किया।
10. एसबीआइ ने कोर्ट से पूरी जानकारी का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय देने की मांग करते हुए कहा था कि दो अलग अलग एकत्र की गई कुल 44434 सूचनाओं को मिलाने में वक्त लगेगा। लेकिन कोर्ट ने कहा था कि उससे मिलान करने को नहीं कहा है। उसके पास जो भी सूचना है वह सारी चुनाव आयोग को दे।यह भी पढ़ें: CAA Law: देश के हर नागरिक को पता होनी चाहिए सीएए कानून से जुड़ी ये 10 बड़ी बातें