बड़ी कार्रवाई: अलगाववादी नेता यासीन मलिक गिरफ्तार, जानें क्या है कारण
जेकेएलएफ के चेयरमैन यासीन मलिक को कश्मीर का माहौल खराब होने की आशंका में पुलिस ने शुक्रवार रात को गिरफ्तार कर लिया।
By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Sat, 23 Feb 2019 07:50 AM (IST)
जागरण संवाददाता, श्रीनगर। जेकेएलएफ के चेयरमैन यासीन मलिक को पुलिस ने शुक्रवार रात को गिरफ्तार कर लिया। श्रीनगर में विधि व्यवस्था बनाए रखने को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध कर रखे हैं। पुलिस ने यासीन मलिक को कोठीबाग थाने में रखा है।
जानकारी के अनुसार अनुच्छेद 35-ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होनी है। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि अलगाववादी पुलवामा हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद देशभर में उपजे हालात के मद्देनजर कश्मीर के माहौल को खराब कर सकते हैं। हालांकि, किसी अन्य नेता को हिरासत में लेने की खबर नहीं है। गौरतलब है कि इस हमले के एक सप्ताह बाद यह कार्रवाई हुई है। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।अलगाववादी नेताओं से वापस ले ली गई थी सुरक्षा
पुलवामा हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद सरकार ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे। इस दौरान घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों से सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इन अलगाववादी नेताओं में एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे। बता दें कि इनकी सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियों के अलावा 1000 पुलिसकर्मी तैनात थे।
पुलवामा हमले (Pulwama Terror Attack) के बाद सरकार ने अलगाववादी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए थे। इस दौरान घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों से सुरक्षा वापस ले ली गई थी। इन अलगाववादी नेताओं में एसएएस गिलानी, अगा सैयद मौसवी, मौलवी अब्बास अंसारी, यासीन मलिक, सलीम गिलानी, शाहिद उल इस्लाम, जफर अकबर भट, नईम अहमद खान, फारुख अहमद किचलू, मसरूर अब्बास अंसारी, अगा सैयद अब्दुल हुसैन, अब्दुल गनी शाह, मोहम्मद मुसादिक भट और मुख्तार अहमद वजा शामिल थे। बता दें कि इनकी सुरक्षा में सौ से ज्यादा गाड़ियों के अलावा 1000 पुलिसकर्मी तैनात थे।
मलिक ने सरकार के इस कदम को झूठा बताते हुए कहा था कि उन्हें 30 साल से कोई सुरक्षा नहीं मिली है। ऐसे में जब सुरक्षा मिली ही नहीं तो वे किस वापसी की बात कर रहे हैं। यह सरकार की तरफ से बिल्कुल बेईमानी है। वहीं गिलानी ने भी इसे को हास्यास्पद बताया था।