शशि थरूर बोले- देश में हिंदू नहीं, संविधान खतरे में; अब विपक्ष की आवाज सुनी ही नहीं जाती
शशि थरूर ने कहा जब मैं पहली बार सांसद बना था तब संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ हुआ करते थे। तब विपक्ष के साथ हर विषय पर चर्चा होती थी लेकिन अब सरकार विपक्ष की बात ही नहीं सुनना चाहती है।
By Jagran NewsEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 04 Apr 2023 10:57 PM (IST)
जागरण, जेएनएन। चुनाव नजदीक हैं और कांग्रेस हर मंच से सत्ता पक्ष की नीतियों को निशाना बनाने का मौका नहीं चूक रही। संविधान संरक्षण और संविधानवाद के उत्थान पर चर्चा करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भाजपा पर विपक्ष की आवाज को दबाने का आरोप लगाया है। भारतीय राजनीति की चर्चा 'हिंदू' शब्द के बिना अधूरी रहती है और यहां भी थरूर हिंदू को बीच में ले आए।
उन्होंने कहा कि देश में हिंदू खतरे में नहीं है, संविधान खतरे में है। ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस द्वारा 'संविधान का संरक्षण एवं संविधानवाद का उत्थान' विषय पर मंगलवार को परिसंवाद और संगोष्ठी रवींद्र नाट्यगृह में आयोजित की गई। थरूर से श्रोताओं द्वारा बताए गए प्रश्न पूछे गए तो उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा- देश में मन की बात करने कि आदत ज्यादा हो गई है, इसलिए मैं आपके प्रश्नों के उत्तर जरूर दूंगा।
सरकार विपक्ष की बात ही नहीं सुनना चाहती: थरूर
उन्होंने आगे कहा,"जब मैं पहली बार सांसद बना था तब संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ हुआ करते थे। तब विपक्ष के साथ हर विषय पर चर्चा होती थी, लेकिन अब सरकार विपक्ष की बात ही नहीं सुनना चाहती है। बहुमत में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक विचारों को दबा दिया जाता है। संसद चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है, लेकिन इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार संसद नहीं चलने दे रही है।"थरूर ने आगे कहा,"बिना किसी बहस के 45 हजार करोड़ रुपये का बजट सिर्फ नौ मिनट में पास हो गया। भारत की आजादी के बाद जो संविधान बना उसमें अधिकार व्यक्ति को दिया गया, किसी समूह, धर्म या सम्प्रदाय को नहीं, मगर यह न जनसंघ को पसंद था और न आज की भाजपा को। कोई हिंदू खतरे में नहीं है।"
थरूर ने 1971 युद्ध को लेकर कही दिलचस्प बात
उन्होंने आगे कहा कि यदि ऐसे ही चलता रहा तो पहले पार्टीशन इन द सोइल आफ इंडिया (जमीन का बंटवारा) हुआ था, अब पार्टीशन इन सोल आफ इंडिया (आत्मा का बंटवारा) हो जाएगा।थरूर ने कहा कि वर्ष 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना प्रमुख बेवकूफ थे, जो उन्होंने इसे हिंदू राष्ट्र के खिलाफ युद्ध बताया था। भारतीय सेना के अहम पदों पर सिर्फ हिंदू नहीं पारसी, सिख, ईसाई और यहूदी भी थे।