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Shashi Tharoor: राजपथ का नाम बदलने पर शशि थरूर ने ली चुटकी, कहा- राजस्थान का नाम बदलकर कर्तव्‍यस्थान करें सरकार

शशि थरूर ने ट्वीट किया अगर राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्‍य पथ करना है तो क्या सभी राजभवनों को कर्तव्‍य पथ नहीं बन जाना चाहिए? आगे जोड़ते हुए उन्होंने ट्वीट किया वहां क्यों रुकें? राजस्थान का नाम बदलकर कर्तव्‍यस्थान करें?।

By Shashank MishraEdited By: Updated: Sun, 11 Sep 2022 05:46 PM (IST)
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कांग्रेस नेता और लेखक शशि थरूर ने केंद्र से सवाल किया कि सभी राजभवनों को कर्तव्‍य पथ नहीं बनना चाहिए। (फोटो-एएनआइ)

नई दिल्ली, एजेंसी। राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्‍य पथ करने पर भाजपा सरकार की आलोचना करते हुए , कांग्रेस नेता और लेखक शशि थरूर ने केंद्र से सवाल किया कि सभी राजभवनों को कर्तव्‍य पथ नहीं बनना चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, "अगर राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्‍य पथ करना है, तो क्या सभी राजभवनों को कर्तव्‍य पथ नहीं बन जाना चाहिए? "आगे जोड़ते हुए उन्होंने ट्वीट किया, "वहां क्यों रुकें? राजस्थान का नाम बदलकर कर्तव्‍यस्थान करें?"। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 सितंबर को कर्तव्‍य पथ का उद्घाटन किया , और कहा, "यह कदम तत्कालीन राजपथ से सत्ता का प्रतीक होने के नाते कर्तव्‍य पथ को सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण होने का प्रतीक है"।

प्रधानमंत्री ने कहा, ' कर्तव्‍य पथ ' सत्ता के प्रतीक के रूप में पूर्ववर्ती राजपथ से एक बदलाव का प्रतीक है, कर्तव्‍य पथ सार्वजनिक स्वामित्व और सशक्तिकरण का एक उदाहरण है। उन्होंने इस अवसर पर इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया।

पीएम ने कहा, "आज हम बीते हुए कल को पीछे छोड़ कल की तस्वीर को नए रंगों से भर रहे हैं। आज यह नई आभा हर जगह दिखाई दे रही है, यह नए भारत के विश्वास की आभा है।" उन्होंने आगे कहा "दासता का प्रतीक किंग्सवे (राजपथ), आज से इतिहास का विषय बन गया है और हमेशा के लिए मिटा दिया गया है। आज ' कर्तव्‍य पथ ' के रूप में एक नया इतिहास रचा गया है। मैं सभी देशवासियों को उनके लिए बधाई देता हूं। आजादी के इस अमृत काल में गुलामी की एक और पहचान से आजादी।"

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कर्तव्‍य पथ केवल ईंटों और पत्थरों की सड़क नहीं है बल्कि भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का एक जीवंत उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इसके विपरीत, राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था जो भारत के लोगों को गुलाम मानते थे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राजपथ की भावना और संरचना गुलामी की प्रतीक थी, लेकिन आज वास्तुकला में बदलाव के साथ इसकी भावना भी बदल गई है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक से राष्ट्रपति भवन तक फैला यह कर्तव्‍य पथ कर्तव्य की भावना से जीवंत होगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज का भारत भौतिक, डिजिटल और परिवहन बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे पर काम कर रहा है। सामाजिक बुनियादी ढांचे के लिए, उन्होंने नए एम्स और मेडिकल कालेज, आईआईटी, पानी के कनेक्शन और अमृत सरोवर का उदाहरण दिया।

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उन्होंने कहा कि ग्रामीण सड़कों और आधुनिक एक्सप्रेसवे, रेलवे और मेट्रो नेटवर्क और नए हवाई अड्डों की रिकार्ड संख्या अभूतपूर्व तरीके से परिवहन बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही है। पंचायतों को आप्टिकल फाइबर और डिजिटल भुगतान के रिकार्ड ने भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे को वैश्विक प्रशंसा का विषय बना दिया है।

सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे के बारे में बात करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि इसका मतलब सिर्फ आस्था के स्थानों से जुड़ा बुनियादी ढांचा नहीं है, बल्कि इसमें हमारे इतिहास, हमारे राष्ट्रीय नायकों और हमारी राष्ट्रीय विरासत से संबंधित बुनियादी ढांचा भी शामिल है।

उन्होंने कहा कि ऐसे स्थलों का विकास भी उतनी ही तत्परता से हो रहा है। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि एक महत्वाकांक्षी भारत केवल सामाजिक बुनियादी ढांचे, परिवहन बुनियादी ढांचे, डिजिटल बुनियादी ढांचे और सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे को गति देकर ही तेजी से प्रगति कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा, "मुझे खुशी है कि आज देश को कर्तव्‍य पथ के रूप में सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे का एक और बेहतरीन उदाहरण मिल रहा है।"

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