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Maharashtra Politics: क्‍या विधायकों के बाद अब शिवसेना के सांसद भी करेंगे बगावत? पार्टी ने भावना गवली को लोकसभा सचेतक पद से हटाया

शिवसेना ने अप्रत्‍याश‍ित कदम उठाते हुए बुधवार को लोकसभा में अपने मुख्य सचेतक सांसद भावना गवली को हटा दिया। पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी। गवली की जगह राजन विचारे को पार्टी ने नया सचेतक नियुक्‍त किया है।

By Praveen Prasad SinghEdited By: Updated: Wed, 06 Jul 2022 11:15 PM (IST)
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शिवसेना के सांसदों में भी भाजपा की ओर भगदड़ की आशंका जताई जा रही है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई: शिवसेना ने यवतमाल-वाशिम क्षेत्र से सांसद भावना गवली को लोकसभा में सचेतक पद से हटा दिया है। उनके स्थान पर एक अन्य सांसद राजन विचारे को सचेतक की जिम्मेदारी दी गई है। महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही चर्चा है कि शिवसेना के 19 में से करीब एक दर्जन लोकसभा सदस्य भी शिवसेना से मुंह मोड़ सकते हैं। इसके अलावा अब तक लोकसभा में शिवसेना की सचेतक रहीं भावना गवली ने महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के दौरान ही पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर उन्हें भाजपा के साथ पुनः गठबंधन कर लेने का सुझाव दिया था। माना जा रहा है कि उनका यह सुझाव ही उन्हें भारी पड़ा। शिवसेना नहीं चाहती कि उसकी पार्टी का सचेतक ही एक दर्जन सांसदों को लेकर एकनाथ शिंदे की तरह बगावत का बिगुल बजा दे।

शिवसेना संसदीय दल के नेता संजय राउत ने संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी को पत्र लिखकर कहा है कि, आपको सूचित किया जाता है कि शिवसेना संसदीय दल ने राजन विचारे, सांसद (लोकसभा) को भावना गवली, सांसद (लोकसभा) के स्थान पर तत्काल प्रभाव से मुख्य सचेतक नामित किया है। विधानसभा में शिवसेना विधायक दल में बड़ी फूट के बाद शिवसेना के सांसदों में भी भाजपा की ओर भगदड़ की आशंका जताई जा रही है।

हाल ही में मुंबई के एक शिवसेना सांसद राहुल शेवाले ने पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को पत्र भेजकर राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने की मांग की है। जबकि महाविकास आघाड़ी में शिवसेना के मार्गदर्शक की भूमिका निभाते आ रहे शरद पवार राष्ट्रपति पद के लिए यशवंत सिन्हा का समर्थन करते आ रहे हैं।

हाल ही में शिवसेना से बगावत करके नई सरकार बना चुके एकनाथ शिंदे गुट के ज्यादातर विधायकों का मानना था कि उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। उसके बाद कांग्रेस-राकांपा के साथ सरकार बनाना एक अप्राकृतिक गठबंधन था। इस गठबंधन के साथ सरकार चलाकर उनके लिए अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। माना जा रहा है कि यही भावना अब शिवसेना के सांसदों में घर कर गई है। भविष्य में वह भी बगावत न करे बैठें, इसलिए सावधानीवश शिवसेना ने लोकसभा में अपना मुख्य सचेतक बदल दिया है।