Shiv Sena Symbol Freeze: शिवसेना का चुनाव चिह्न फ्रीज! जानें अब ठाकरे और शिंदे के पास क्या है विकल्प?
Shiv Sena Symbol Freeze चुनाव आयोग ने एक अंतरिम आदेश में संगठन पर नियंत्रण के लिए दावा कर रहे दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों से अपने-अपने गुट के लिए सोमवार यानी 10 अक्टूबर तक तीन-तीन नामों के विकल्प और साथ ही नए चुनाव चिह्न का सुझाव देने के लिए कहा है।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Sun, 09 Oct 2022 03:16 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। चुनाव आयोग ने शनिवार को उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों को अंधेरी पूर्व विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। मूल शिवसेना का चुनाव चिह्न धनुष बाण है, जिस पर दोनों गुट दावा कर रहे हैं। आयोग ने एक अंतरिम आदेश में संगठन पर नियंत्रण के लिए दावा कर रहे दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों से अपने-अपने गुट के लिए सोमवार यानी 10 अक्टूबर तक तीन-तीन नामों के विकल्प और साथ ही नए चुनाव चिह्न का सुझाव देने के लिए कहा है।
आयोग प्रस्तुत विकल्पों में से दोनों गुटों को नाम और चिह्न आवंटित कर सकता है। अब सवाल खड़ा होता है कि एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट कौन-सा नया चिह्न चुनेगा। शिंदे गुट की दशहरा रैली में स्टेज पर तलवार रखी गई थी। तलवार पूजा से ही रैली शुरू हुई थी। शिवसेना विधायक ने सीएम शिंदे को 12 फुट की चांदी की तलवार भेंट भी की थी। अगर सांकेतिक रूप से यह मानें कि शिंदे गुट तलवार चिह्न लेने की कोशिश करेगा तो जवाब यह है कि चुनाव आयोग की लिस्ट में जितने चुनाव चिह्न हैं, उनमें तलवार नहीं है।
अब उद्धव ठाकरे गुट की बात करें तो उद्धव के करीबी मिलिंद नार्वेकर ने आज एक ट्वीट किया, जिसमें एक बाघ का फोटो डालकर कैप्शन में लिखा है- आमचं चिह्न- श्री उद्धव बालासाहेब ठाकरे। यहां भी सवाल जस का तस बना हुआ है कि चुनाव आयोग जिन तीन चुनाव चिह्नों में से एक विकल्प को चुनने का विकल्प देगा, उस लिस्ट में बाघ का चुनाव चिह्न भी नहीं है।
Our party's name is Shiv Sena, if ECI gives any of the names related to Shiv Sena including 'Shiv Sena (Balasaheb Thackeray)', 'Shiv Sena (Prabodhankar Thackeray)' or 'Shiv Sena (Uddhav Balasaheb Thackeray)', that would be acceptable to us: Shiv Sena (Uddhav faction) MP A Sawant pic.twitter.com/ae9Su8CD1S
— ANI (@ANI) October 9, 2022
फिर क्या होगा नया चुनाव चिह्न ?
थोड़ा पीछे जाएं तो पाएंगे कि ठाकरे की दशहरा रैली में गदा का जिक्र काफी हुआ। इससे पहले जब राज्य में हनुमान चालीसा पढ़ने को लेकर विवाद शुरू था तब उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया था कि उनके पास सिर्फ शिवसेना का ‘धनुषबाण’ (चुनाव चिह्न) ही नहीं हनुमान जी की गदा भी है। इसे अगर हम नए चुनाव चिह्न के च्वाइस का संकेत समझें तो, यह भी इलेक्शन कमीशन के चुनाव चिह्नों की सूची में नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि दोनों पार्टियां कौन सा चुनाव चिन्ह लेना चाहेगी?यह भी पढ़ेंः शिवसेना पर वर्चस्व की लड़ाई में EC का फैसला; फ्रीज हुआ पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न
चुनाव आयोग के सामने फिर खड़ी होगी समस्या
पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न दोनों का ही इस्तेमाल अब ना शिंदे गुट कर पाएगा और ना ही ठाकरे गुट। इस पर आज शरद पवार ने कहा है कि जब कांग्रेस टूटी थी तो इंदिरा गांधी वाले गुट ने ‘कांग्रेस इंदिरा’ नाम को चुना था। इसी तरह ‘शिवसेना बालासाहेब ठाकरे’ नाम एक ऑप्शन हो सकता है। लेकिन यहां भी पेंच यह है कि दोनों ही गुट यह नाम लेना चाह रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग के सामने फिर एक जटिल सवाल खड़ा हो जाएगा। ऐसे में हो सकता है चुनाव आयोग ऐसे नामों का कोई सुझाव दे- शिवसेना ठाकरे, शिवसेना शिंदे। लेकिन शिंदे गुट शिवसेना बालासाहेब ठाकरे नाम पर से अपना दावा हटाकर शिवसेना शिंदे नाम पर सहमत हो जाए, इसकी संभावना कम है। ऐसे में मुश्किलें अभी और भी भारी-भरकम हैं।