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आर्थिक गतिविधियों की गति को बढ़ाने के लिए पूरी तरह से प्रयासरत है शिवराज सरकार

MP Politics कुल मिलाकर माना जा रहा है कि केंद्र सरकार ने बजट के माध्यम से जो रोडमैप तय किया है शिवराज सरकार उस पर आगे बढ़ते हुए आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश का खाका राज्य के बजट में प्रस्तुत करेगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 03 Feb 2022 11:25 AM (IST)
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संभव है कि बजट में इसे और विस्तार दिया जाए।

संजय मिश्र। केंद्र सरकार ने बजट के माध्यम से विकास की बुनियाद रख दी है। बजट में मध्यम वर्ग को भले ही कोई तोहफा नहीं मिला है, लेकिन इसमें उठाए गए कई कदम अर्थव्यवस्था की सुधार प्रक्रिया को मजबूती देंगे। मध्य प्रदेश की महत्वाकांक्षी केन-बेतवा परियोजना के लिए 1400 करोड़ रुपये की किश्त देकर बजट में बड़ी शुरुआत कर दी गई है। इसका सीधा लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा। केंद्रीय बजट में खींची गई लकीर अगले माह तैयार होने वाले मध्य प्रदेश के बजट के लिए मार्गदर्शक का कार्य करेगी।

मार्च में शिवराज सरकार भी राज्य का बजट प्रस्तुत करेगी। जाहिर है कि उसमें भी केंद्रीय बजट के प्रविधानों से निकले संदेश की झलक मिलेगी। मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में है जो केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में आगे रहता है। चाहे शहरी पथ विक्रेताओं को बैंकों से रोजी-रोटी के लिए कर्ज दिलाने की बात हो या प्रधानमंत्री शहरी या ग्रामीण आवास बनाने की, सरकार की स्पष्ट नीति है कि केंद्रीय योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ प्रदेशवासियों को दिलाया जाए। इससे फायदा यह होता है कि राज्य सरकार अपने करों के माध्यम से जो राशि जुटाती है उसका उपयोग अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं पर कर पाती है। वैसे भी जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सरकार के पास राजस्व अर्जित करने के साधन सीमित हो गए हैं। जुलाई 2022 से जीएसटी की क्षतिपूर्ति मिलनी भी बंद हो जाएगी। ऐसे में सरकार के सामने चुनौती है कि वह बजट में ऐसे इंतजाम करे कि किसी भी तरह आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार धीमी न पड़ने पाए और विकास परियोजनाएं भी प्रभावित न हों।

केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए बजट में अनेक महत्वपूर्ण प्रविधान किए हैं। मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में शामिल है, जहां गेहूं, धान के साथ चना, मसूर, सरसों और मूंग का बड़ी मात्र में समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जाता है। इस बार 150 लाख मीटिक टन गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदने का लक्ष्य रखा गया है, जो रिकार्ड होगा। इसके लिए उपार्जन की प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन भी किया गया है, ताकि वास्तविक किसानों को ही लाभ मिले। समर्थन मूल्य की राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में अंतरित करने की व्यवस्था मध्य प्रदेश में पहले से लागू है। जैविक खेती में मध्य प्रदेश देश में अव्वल है। इस बार के बजट में भी इसके लिए अलग से प्रविधान करने की तैयारी है।

संकेत मिल रहे हैं कि उपज के प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर खास ध्यान रहेगा। निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार समयबद्ध कार्यक्रम तैयार कर रही है। बासमती चावल को जीआइ टैग दिलाने के लिए प्रयास जारी है। शिवराज सरकार बजट में जो विशेष प्रविधान करने जा रही है उसमें मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की योजना महत्वपूर्ण है। सहकारिता के माध्यम से विकास की अवधारणा को आगे बढ़ाते हुए नए क्षेत्रों में सहकारी संस्थाओं का प्रवेश सुनिश्चित किया जा रहा है। पहली बार सहकारी नीति बनाई जा रही है। इसका लाभ किसानों के साथ-साथ युवाओं को मिलेगा। माना जा रहा है कि बजट में सरकार का फोकस छोटे और मझोले उद्योगों को बढ़ावा देकर स्वरोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने पर रहेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना बनाई गई है, जिसका अब तेजी के साथ विस्तार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए पूंजीगत व्यय में वृद्धि के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने पूंजीगत व्यय में 33 प्रतिशत का इजाफा किया है। इसका सीधा लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा। प्रदेश को केंद्र सरकार से अधोसंरचना विकास के लिए अधिक राशि मिलेगी। इससे आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। सरकार यह अच्छी तरह से जानती है कि केवल कृषि क्षेत्र पर ध्यान देने से अर्थव्यवस्था में गति नहीं आएगी। इसके लिए औद्योगिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देना होगा। इसमें निवेश की जरूरत है और यह तभी होगा जब निवेशकों को सहूलियत मिलेगी। इसके लिए ही 30 दिन के भीतर व्यवसाय प्रारंभ करने वालों को सिंगल विंडो सिस्टम से आवश्यक अनुमतियां दिलाई जा रही हैं। संभव है कि बजट में इसे और विस्तार दिया जाए।

[स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल]