कांग्रेस की सक्रियता से बेचैन सपा को सता रही वोट बैंक की चिंता, ओबीसी-अल्पसंख्यकों को साधने की पहल से अखिलेश यादव असहज
कांग्रेस की सक्रियता से बेचैन सपा को वोट बैंक की चिंता सता रही है। पीडीए फार्मूले पर रणनीति बुन रहे अखिलेश यादव ओबीसी-अल्पसंख्यक को साधने की कांग्रेस की पहल से असहज हैं। भाजपा से छिटकने वाले मतदाताओं को विपक्षी नेताओं में बढ़ता राहुल का कद रिझा सकता है।
By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Fri, 27 Oct 2023 09:13 PM (IST)
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। तमाम खींचतान के बावजद सपा और कांग्रेस की ओर से आइएनडीआइए गठबंधन बरकरार रहने की बात बेशक कही जा रही हो, लेकिन कुछ घटनाक्रम इशारा दे रहे हैं कि अंदरखाने सबकुछ सामान्य तो नहीं है। कांग्रेस के जातीय जनगणना और ओबीसी के मुद्दे पर अधिक मुखरता के बाद सपा के सबसे कद्दावर मुस्लिम नेता के प्रति कांग्रेस की 'हमदर्दी' पर अखिलेश यादव के तंज से स्पष्ट है कि पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर कांग्रेस के यह डोरे उन्हें असहज कर रहे हैं।
राहुल गांधी के बढ़ते कद से सपा चिंतित
सपा प्रमुख की अपने वोट बैंक को लेकर चिंता इसलिए भी हो सकती है, क्योंकि पिछले कुछ समय से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का कद विपक्षी नेताओं में लगातार बढ़ा है, जो कि भाजपा के छिटकने वाले मतदाताओं को रिझाकर भविष्य के लिए क्षेत्रीय दलों की जमीन कमजोर कर सकते हैं। देश के जिन राज्यों में भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला है, वहां अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के खाते में जाने की संभावनाएं पहले से ही प्रबल हैं।
कांग्रेस को विकल्प के तौर पर देखते हैं मुस्लिम मतदाता
वहीं, उत्तर प्रदेश के संदर्भ में माना जाता है कि विधानसभा चुनावों में सपा-बसपा के पाले में कम-ज्यादा होने वाला मुस्लिम मतदाता लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को भी विकल्प के तौर पर देखता है। कुछ पुष्टि आंकड़े भी करते हैं। लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में 79 प्रतिशत मुस्लिमों ने सपा को वोट दिया था, जबकि कांग्रेस को सिर्फ चार प्रतिशत मत मिले।पिछले लोकसभा चुनाव में 14 प्रतिशत मुस्लिमों ने कांग्रेस पर जताया विश्वास
इससे पहले, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में तस्वीर थोड़ी अलग थी। तब सपा-बसपा के गठबंधन को 73 प्रतिशत मुस्लिम मत मिला था, जबकि 14 प्रतिशत ने कांग्रेस पर विश्वास जताया था। तब निस्संदेह मोदी लहर में कांग्रेस बेहद कमजोर थी। अन्य राज्यों में भी उसे लगातार हार मिल रही थी।यह भी पढ़ें: UP में मुस्लिम सियासत का केंद्र बने आजम खान, काफी समय से डोरे डाल रही कांग्रेस; चंद्रशेखर भी कर रहे कोशिश