लोकसभा चुनाव से सबक, अब RSS और भाजपा में तालमेल बढ़ाने पर फोकस; बैठक में शामिल होने पहुंचे जेपी नड्डा
RSS and BJP Meeting राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के बीच तालमेल बढ़ाने पर जोर है। यही वजह है कि केरल के पलक्कड़ में आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक का आयोजन हो रहा है। बैठक में आरएसएस प्रमुख और भाजपा अध्यक्ष समेत विभिन्न संगठनों के सैकड़ों पदाधिकारी हिस्सा लेंगे। माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में तालमेल की कमी का खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा है।
नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। केरल के पलक्कड़ में शनिवार से शुरू हो रही तीन दिवसीय बैठक में आरएसएस और अनुषांगिक संगठनों के बीच समन्वय बढ़ाने पर विशेष चर्चा होगी। बैठक की जानकारी देते हुए आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि संगठनों के बीच औपचारिक और अनौपचारिक दोनों स्तरों पर समन्वय बढ़ाने पर विचार किया जाएगा।
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जेपी नड्डा बैठक में शामिल होने पहुंचे
ध्यान देने की बात है कि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे आरएसएस और भाजपा के बीच समन्वय की कमी को भी एक कारण माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव के बाद समन्वय को लेकर हो रही बैठक को अहम माना जा रहा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महामंत्री (संगठन) बीएल संतोष भाजपा की ओर से बैठक में हिस्सा लेने पहुंच गए हैं।
बांग्लादेशी हिंदुओं पर होगी चर्चा
आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत समेत 32 से अधिक अनुषांगिक संगठनों से जुड़े 320 प्रतिनिधि बैठक में मौजूद होंगे। सुनील आंबेकर के अनुसार बैठक में बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हो रही हिंसा के साथ-साथ सभी समसामयिक मुद्दों और घटनाओं पर चर्चा होगी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि उन पर अपनी-अपनी राय देंगे। इन मुद्दों पर पूरे संघ परिवार के एकजुट होकर काम करने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।
कोलकाता कांड पर भी होगा विचार विमर्श
माना जा रहा है कि बैठक में पश्चिम बंगाल में महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के बाद उत्पन्न स्थिति पर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार के कुछ जिलों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या और उससे स्थानीय लोगों के सामने बढ़ती चुनौतियां भी चर्चा के विषय में होगी। वहीं आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा और आरएसएस के खिलाफ विपक्ष के दुष्प्रचार और उसके काट पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा।
तीन दिन चलेगी संघ की बैठक
सुनील आंबेकर ने कहा कि तीन दिन की चर्चा में उठे विषयों के बारे में सोमवार को विस्तार से बताया जाएगा। बैठक के दौरान संगठन अपने-अपने क्षेत्रों में किये जा रहे काम के अनुभवों को भी साझा करेंगे। सुनील आंबेकर ने कहा कि स्वाधीनता के 75 साल बाद अब औपनिवेशिक प्रतीकों और मानसिकता से पूरी तरह से स्वतंत्रता का समय आ गया है और यह सभी नागरिकों का कर्तव्य है।
अगले साल आरएसएस मनाएगा शताब्दी समारोह
ध्यान देने की बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी पिछले साल लालकिले से अपने भाषण में गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति का आह्वान किया था। 2025 में आरएसएस की स्थापना का शताब्दी वर्ष शुरू होने जा रहा है। इस दौरान आरएसएस और उसके आनुषंगिक संगठनों के कार्यक्रमों और विस्तार पर भी चर्चा होगी।
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