लोकतंत्र के 75 साल की यात्रा पर थी चर्चा, सरकार पर हमलावर रहा विपक्ष; खरगे बोले- बदलना है तो हालात बदलो
संसद का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो गया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चर्चा की शुरूआत ही सरकार पर हमले के साथ की और कहा कि बदलना हो तो अब हालात बदलो। उन्होंने पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यहां से वहां जाने से और नाम बदलने से क्या होता है।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Mon, 18 Sep 2023 10:20 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संसद का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो गया। हालांकि, पिछले सत्रों की तरह इस सत्र में कोई वैसा हंगामा तो नहीं दिखा लेकिन विपक्षी दलों ने चर्चा के विषय से हटकर अपना ज्यादातर समय सरकार को घेरने और उसके खिलाफ भड़ास निकालने पर खर्च किया।
रकार के इर्द-गिर्द ही थमी रही विपक्ष की सुई
दोनों सदनों के कामकाज को लेकर पहले से तय एजेंडे के तहत विशेष सत्र के पहले दिन आजादी के अमृत काल और लोकतंत्र के 75 साल की यात्रा पर चर्चा होनी थी। दोनों ही सदनों में इसकी शुरूआत भी हुई लेकिन समूचे विपक्ष की सुई घूम फिर करके सरकार के इर्द-गिर्द ही थमी रही।
खरगे नए संसद भवन में जाने को लेकर साधा निशाना
राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने चर्चा की शुरूआत ही सरकार पर हमले के साथ की और कहा कि बदलना हो तो अब हालात बदलो। इतना ही नहीं, उन्होंने पुराने संसद भवन से नए संसद भवन में जाने को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि यहां से वहां जाने से और नाम बदलने से क्या होता है। इस बीच सभापति भी बार-बार विपक्षी नेताओं को विषय पर बोलने की हिदायत देते दिखे।
यह भी पढ़ेंः 'यह रोने-धोने का नहीं, संकल्प लेकर आगे बढ़ने का समय', PM Modi ने विशेष सत्र को ऐतिहासिक फैसलों वाला बताया
कांग्रेस अध्यक्ष ने पहले प्रधानमंत्री का किया जिक्र
खरगे ने इस दौरान नेहरू का जिक्र किया और कहा कि वह कहते थे कि जब तक एक मजबूत विपक्ष न हो तो मान लो सिस्टम में कोई बड़ी खामी है। उन्होंने अलग-अलग विचार रखने के बाद भी पंडित श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं को अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाया था। उन्होंने सरकार द्वारा विधेयकों को बगैर छानबीन के पारित किए जाने का मुद्दा भी उठाया और कहा कि वर्ष 2009 से 2014 तक जहां 71 प्रतिशत विधेयक स्टैंडिंग कमेटी और सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाते थे, वहीं 2014-19 के बीच यह आंकड़ा 27 प्रतिशत और 2019 के बाद से सिर्फ 13 प्रतिशत रह गया है।