कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गुरुवार को कहा कि हिजाब विवाद पर अंतिम फैसला महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राज्य तक ही सीमित नहीं होगा बल्कि पूरे देश में लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में विभाजित फैसला सुनाया।
By Versha SinghEdited By: Updated: Fri, 14 Oct 2022 08:35 AM (IST)
हुवीनादगली (कर्नाटक), एजेंसी। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने गुरुवार को कहा कि हिजाब विवाद पर अंतिम फैसला महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यह राज्य तक ही सीमित नहीं होगा बल्कि पूरे देश में लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध मामले में विभाजित फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत की दो-न्यायाधीशों की पीठ ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब के मुद्दों पर फैसला सुनाते हुए अपने अलग-अलग विचार रखे।
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हिजाब विवाद पर आखिरी फैसला है महत्वपूर्ण
बोम्मई ने यहां संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि हिजाब विवाद पर अंतिम फैसला बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव कर्नाटक तक ही सीमित नहीं है बल्कि पूरे देश पर लागू होता है इसलिए उन्हें अंतिम फैसले के आने का इंतजार करना होगा। उन्होंने कहा कि अदालत हिजाब विवाद से अवगत है और उच्चतम न्यायालय के दो न्यायाधीशों ने अपना फैसला सुनाया है।
छात्रों की मांग अलग और सरकारी आदेश अलग
बोम्मई ने कहा, हिजाब विवाद के कई आयाम थे। छात्रों की मांग अलग है और सरकारी आदेश अलग है। चूंकि इसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे शामिल हैं, इसलिए सरकार अदालत से स्पष्ट फैसले की उम्मीद कर रही है।इससे पहले गुरुवार को न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने कहा कि सिख धर्म के अनुयायियों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं को इस्लामिक आस्था के विश्वासियों द्वारा हेडस्कार्फ़ पहनने का आधार नहीं बनाया जा सकता है। जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि यह आवश्यक धार्मिक अभ्यास का मामला हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन यह अंतरात्मा, विश्वास और अभिव्यक्ति का मामला है।
एक ने फैसले को रखा बरकरार और एक ने किया खारिज
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने हिजाब मुद्दे पर विभाजित फैसला सुनाया, क्योंकि एक ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा, जबकि दूसरे ने इसे खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति गुप्ता ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, सिख धर्म के अनुयायियों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं को इस्लामिक आस्था के विश्वासियों द्वारा हिजाब / हेडस्कार्फ़ पहनने का आधार नहीं बनाया जा सकता है।
हालांकि, न्यायमूर्ति धूलिया, जिन्होंने यह भी टिप्पणी की कि आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का गठन उस धर्म के सिद्धांत पर छोड़ दिया गया था, ने कहा कि यह सार और अभिव्यक्ति का मामला हो भी सकता है और नहीं भी।
अदालत ने 15 मार्च को की थी सुनवाई
अदालत 15 मार्च को कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देने वाली विभिन्न अपीलों पर सुनवाई कर रही थी, जिसने 5 फरवरी के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कर्नाटक सरकार के आदेश ने कर्नाटक के सरकारी स्कूलों को निर्धारित वर्दी का पालन करने का निर्देश दिया था और निजी स्कूलों को उनके प्रबंधन बोर्ड द्वारा तय की गई वर्दी को अनिवार्य करने का निर्देश दिया गया था।
कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलें की दस बड़ी बातें-
1. जस्टिस धूलिया और जस्टिस हमेंत गुप्ता की बेंच इस मामले पर अलग-अगल फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस मामले में अगल-अगल मत है, जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने कहा कि यह पसंद का मामला है।2. पीठ ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आगे की सुनवाई के लिए इस मामले को बड़ी बेंच या किसी अन्य बेंच के गठन के लिए इसको मुख्य न्यायाधीश पास भेज दिया।
3. न्यायमूर्ति धूलिया ने राज्य सरकार के पांच फरवरी 2022 को दिए गए आदेश को रद्द कर दिया। मालूम हो कि राज्य सरकार ने स्कूल और कालेजों में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था।4. न्यायमूर्ति धूलिया ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) और अनुच्छेद 25(1) का हवाला दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में गलत रास्ता अपनाया।
5. जस्टिस धूलिया ने कहा कि इस मामले पर फैसला सुनाते हुए लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिक दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लड़कियों को पहले से ही कई प्रकार के कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि फैसला सुनाते समय मेरे दिगाम में ये प्रश्न था कि क्या हम ग्रामीण इलाकों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों की लड़कियों का जीवन बेहतर बना सकते हैं।
6. न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने इस दौरान कहा कि उन्होंने इस मामले में कुल 11 प्रश्न तैयार किए हैं। उन्होंने भी अनुच्छेद 25 और अनुच्छेद 19(1) का हवाला दिया। अपने प्रश्न को पढ़ कर सुनाते हुए उन्होंने कहा कि मेरे द्वारा तैयार किए प्रश्नों का उत्तर इस मामले में दायर की गई याचिकाओं के खिलाफ है।7. जस्टिस गुप्ता ने अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार को एक दूसरे से अगल मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
8. न्यायमूर्ति धूलिया ने राज्य सरकार के पांच फरवरी 2022 को दिए गए आदेश को रद्द कर दिया। मालूम हो कि राज्य सरकार ने स्कूल और कालेज में समानता, अखंडता और सार्वजनिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया था।9. पीठ ने इस मामले पर दोनों न्यायधीशों के अगल-अगल राय होने के कारण मुख्य न्यायधीश के समक्ष इसको रखने का दिया निर्देश10. जस्टिस धूलिया और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच ने इस मामले में 10 दिन तक सुनवाई की। अदालत ने इस मामले पर 22 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।