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तमिलनाडु सीएम स्टालिन ने किया हिंदी का विरोध, LIC की वेबसाइट को बनाया जरिया; कहा- हिम्मत कैसे हुई?

तमिलनाडु में हिंदी का विरोध काफी पुराना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने हिंदी के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रखा है। तमिलनाडु के राज्यपाल के बाद उन्होंने इस बार भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को अपना हथियार बनाया है। स्टालिन के अलावा तमिलनाडु के कई अन्य नेताओं ने एलआईसी की वेबसाइट पर हिंदी के इस्तेमाल पर प्रहार किया है।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Tue, 19 Nov 2024 07:32 PM (IST)
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तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन। ( फाइल फोटो )
पीटीआई, चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राजभाषा हिंदी के बारे में अपना विरोधी सुर फिर छेड़ दिया है और इस बार उन्होंने एलआईसी को अपने विरोध का जरिया बनाया है। उन्होंने भारतीय जीवन बीमा कॉरपोरेशन (एलआईसी) की वेबसाइट में हिंदी के इस्तेमाल पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि वेबसाइट को हिंदी को थोपने के प्रचार तंत्र के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

स्टालिन ने शेयर किया LIC का स्क्रीनशॉट

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने मंगलवार को इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर एलआईसी के इंडिया वेबपेज पर हिंदी में लिखी विषय सामग्री का स्क्रीनशॉट जारी करते हुए कहा, 'एलआईसी की वेबसाइट को हिंदी का प्रचार करने का जरिया बनाया जा रहा है। यहां तक कि उसमें अंग्रेजी को चयन करने का विकल्प भी हिंदी में ही दिखाया जाता है।'

'भारत की विविधता को रौंदने की कोशिश'

स्टालिन ने आरोप लगाया कि कुछ ताकतों द्वारा संस्कृति और भाषा को थोपकर भारत की विविधता को रौंदने का प्रयास है। एलआईसी सभी भारतीयों के संरक्षण से यहां तक बढ़ी है। आखिर उसके बहुसंख्यक योगदानकर्ताओं को धोखा देने की हिम्मत कैसे हुई?

भाजपा के सहयोगी ने उठाए सवाल

भाजपा के सहयोगी और पीएमके के संस्थापक डॉ. एस.रामदास ने एक्स पर पोस्ट साझा करते हुए कहा कि एलआईसी का यह प्रयास बहुत निंदनीय है। एलआईसी गैर हिंदी भाषी लोगों पर एक भाषा को थोपने का प्रयास कर रही है। एलआईसी एक उपभोक्ता केंद्रित संस्था है और उसमें अकेले हिंदी को वरीयता देना अस्वीकार्य है।

होमपेज को अंग्रेजी में करने की मांग

रामदास ने कहा कि केंद्र और अन्य संस्थान सभी तबके के लोगों के लिए हैं और वह सिर्फ हिंदी भाषी आबादी के लिए नहीं हैं। इसलिए एलआईसी के होमपेज को तत्काल प्रभाव से बदलकर अंग्रेजी में करना चाहिए और एक तमिल वर्जन की भी वेबसाइट शुरू की जानी चाहिए।

पलानीस्वामी ने क्या कहा?

अन्नाद्रमुक के महासचिव इडापड्डी के.पलानीस्वामी ने भी एलआईसी को पूरा हिंदी का बनाने पर निशाना साधते हुए कहा कि मौजूदा समय में हिंदी नहीं जानने वाले लोगों के लिए एलआईसी की वेबसाइट अनुपयोगी हो गई है।

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