Telangana News: महिला आरक्षण बिल के समर्थन में सीएम केसीआर ने लिखी पीएम को चिट्ठी, कहा- महिलाओं को मिले हक
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने महिलाओं को संसद और राज्यों की विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण देने की वकालत की है। सीएम केसीआर ने देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि महिलाओं को उनका हक दिया जाना चाहिए। केसीआर ने कहा कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को पास किया जाना चाहिए।
By Jagran NewsEdited By: Gaurav TiwariUpdated: Fri, 15 Sep 2023 06:25 PM (IST)
हैदराबाद, डिजिटल टीम। भारत राष्ट्र समिति के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने महिलाओं को संसद और राज्यों की विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण देने की वकालत की है। सीएम केसीआर ने देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि महिलाओं को उनका हक दिया जाना चाहिए। केसीआर ने कहा कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को पास किया जाना चाहिए, ताकि महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का रास्ता साफ हो सके।
पीएम को लिखे अपने पत्र में लिखा है कि हमारे संविधान ने महिलाओं के खिलाफ भेदभाव को दूर करने के लिए उनके पक्ष में प्रावधानों की परिकल्पना की है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि तेलंगाना राज्य सरकार रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में महिलाओं के लिए 30 फीसदी आरक्षण लागू कर रही है। - मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव
केसीआर ने पत्र में लिखा कि समाज में उपेक्षित वर्गों को लोकतांत्रिक राजनीति में संसद और राज्य विधानमंडलों में उपयुक्त प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होती है। इस बात को समझते हुए तेलंगाना राज्य विधानसभा ने 14.06.2014 को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया था जिसमें भारत सरकार से संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का अनुरोध किया गया था। हालांकि, भारत सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई शुरू नहीं की है।
केसीआर ने कहा कि आज (15 सितंबर) को हुई बीआरएस की संसदीय समिति की बैठक में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण को लागू करवाने को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है। मैं आपसे अपील करता हूं कि संसद के विशेष सत्र में महिला के आरक्षण से संबंधित बिल को लागू करवाने के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाए जाएं।सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि भारत सरकार से संसद और सभी राज्यों की विधानसभाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का अनुरोध किया जाए, ताकि अन्य पिछड़ों की राजनीतिक भागीदारी में सुधार हो सके।