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Supreme Court EWS Reservation: EWS के आरक्षण पर पर आया फैसला एक लंबे सामाजिक संघर्ष को झटका : एमके स्टालिन

EWS को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुनाया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने फैसले पर कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण मामले में आज का फैसला सामाजिक न्याय के लिए सदी के लंबे संघर्ष को बड़ा झटका है।

By Versha SinghEdited By: Updated: Mon, 07 Nov 2022 02:27 PM (IST)
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आज का फैसला सामाजिक न्याय के लिए झटका

नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) यूयू ललित की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने केंद्र सरकार के गरीब सवर्णों को आरक्षण देने के फैसले पर सहमति देने के बाद कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने फैसले पर कहा कि आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण मामले में आज का फैसला सामाजिक न्याय के लिए सदी के लंबे संघर्ष को बड़ा झटका है।

स्टालिन ने कहा कि कोर्ट के फैसले के विश्लेषण और कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श के बाद, सामाजिक न्याय के खिलाफ स्वर्ण समुदाय के लिए आरक्षण की इस प्रणाली के खिलाफ हमारे संघर्ष को जारी रखा जाएगा और हम आगे क्या कदम उठाएंगे इस बारे में जल्द ही निर्णय लिया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को दिए गए आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को वैध बताते हुए, इससे संविधान के उल्‍लंघन के सवाल को नकार दिया। हालांकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय बेंच ने 3-2 से ये फैसला सुनाया है। इससे यह साफ हो गया कि केंद्र सरकार ने 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए जो आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी, संविधान का उल्‍लंघन नहीं है। आइए आपको बताते हैं ईडब्ल्यूएस आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ द्वारा दिए गए फैसले की मुख्‍य बातें।

  • सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस कोटे से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं हुआ।
  • संविधान पीठ ने ये फैसला 3-2 से सुनाया है। जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने बहुमत का फैसला दिया। वहीं, जस्टिस एस रवींद्र भट और सीजेआई यूयू ललित ने इस मुद्दे पर असहमति जताते हुए इसे अंसवैधानिक करार दिया है।
  • सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए 50 प्रतिशत कोटा को किसी भी रूप में बाधित नहीं करता है। कोर्ट ने कहा कि गरीब सवर्णों को समाज में बराबरी तक लाने के लिए सकारात्मक कार्रवाई के रूप में संशोधन की आवश्यकता थी।
  • मोदी सरकार ने साल 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को शिक्षा और नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की थी, जिसका कई लोगों ने विरोध किया था।

EWS आरक्षण के पक्ष में 3 जज

  • जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने EWS आरक्षण के समर्थन में अपनी सहमति जताई। उन्होंने कहा कि आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का किसी भी रूप में उल्लंघन नहीं करता है। ईडब्ल्यूएस आरक्षण समानता संहिता का उल्लंघन नहीं करता।
  • जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का को जायज ठहराया है। उन्होंने कहा कि वह जस्टिस माहेश्वरी के साथ सहमत हैं। सामान्य वर्ग में ईडब्ल्यूएस कोटा वैध और संवैधानिक है।
  • जस्टिस जेबी पारदीवाला ने भी ईडब्ल्यूएस आरक्षण का समर्थन किया। उन्‍होंने कहा कि ईडब्‍ल्‍यूएस आरक्षण में को आपत्ति नहीं है। मैं जस्टिस माहेश्वरी और जस्टिस त्रिवेदी के फैसले के साथ हूं। हालांकि, EWS कोटा को अनिश्चितकाल के लिए नहीं बढ़ाना चाहिए।