Tirupati Laddu Row: लड्डू विवाद से घूमा आंध्र प्रदेश का सियासी चक्र, क्या ये है जगन रेड्डी की राजनीति के अंत की शुरुआत?
Tirupati Laddu Row तिरुपति मंदिर के लड्डू में मिलावटी घी के उपयोग के आरोपों ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। आंध्र प्रदेश की सियासत में भी इसका दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा। तिरुपति बालाजी में आस्था के सहारे चिंगारी ऐसी है कि राज्य में दशकों से शिथिल सनातनी भावना उभार पर आ गई है। क्या इसे जगन मोहन की राजनीति के अंत की शुरुआत माना जा सकता है?
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। तिरुपति मंदिर में मिलावटी घी की सप्लाई का असर सिर्फ आस्था और स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहने वाला है। यह 90 प्रतिशत हिंदू आबादी वाले आंध्र प्रदेश की राजनीति पर भी गहरा असर डालने वाला हो सकता है।
तिरुपति बालाजी में प्रचंड आस्था के सहारे चिंगारी ऐसी लगी है कि राज्य में दशकों से शिथिल सनातनी भावना एकाएक उभार पर आ गई है। पूरी जांच रिपोर्ट के बाद अगर यह साबित हो गया कि घी में आपत्तिजनक मिलावट थी तो वाईएसआरसीपी सुप्रीमो और पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी की राजनीति धराशायी हो सकती है।
दूरगामी होगा असर
हालांकि, अभी आंध्र प्रदेश या दक्षिण के किसी राज्य में कोई चुनाव नहीं है, लेकिन यह ऐसा मुद्दा है, जिसका असर लंबा होगा। जगन मोहन के शासनकाल में तिरुपति मंदिर के लड्डू प्रसादम में पशु चर्बी के इस्तेमाल का मामला सामने आने के बाद प्रायश्चित के लिए महाशांति यज्ञ और देवालय परिसर के शुद्धिकरण के अतिरिक्त आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण के 11 दिनों के उपवास पर जाने से साफ है कि राजनीति का चक्र तेजी से घूमने लगा है।दूसरी तरफ जगन मोहन की तरफ से यह चुनौती दी जा रही है कि घी का जो सैंपल भेजा है, वह तब का है, जब राज्य में चंद्रबाबू नायडू सरकार बन गई थी। वाईएसआरसीपी का आरोप है कि राज्य में कुप्रबंधन से ध्यान भटकाने के लिए घी का विवाद उछाला गया है।
जगन मोहन की राजनीति के अंत की शुरुआत!
बहरहाल, देशभर के देवालयों के प्रबंधन से जुड़े अमिय भूषण इसे जगन मोहन की राजनीति के अंत की शुरुआत मानते हैं। वह कहते हैं कि डेढ़ प्रतिशत से भी कम आबादी वाले क्रिश्चियन समुदाय से आने वाले जगन मोहन ने बहुसंख्यकों की भावना को चोट पहुंचाई है। असर तो दूरगामी होगा।वैसे भी आंध्र की राजनीति तेजी से बदल रही है। पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि जातीय समीकरण प्रभावी हो चुका है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश की पांच करोड़ आबादी में हिंदू 90.89 प्रतिशत हैं। मुस्लिम 7.30 और ईसाई मात्र 1.38 प्रतिशत हैं।