त्रिकोणीय लड़ाई की ओर बढ़ रहा त्रिपुरा, टिपरा मोथा ने भाजपा के सहयोगी दल को दिया गठबंधन का न्योता
त्रिपुरा राज परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन की पार्टी टिपरा मोथा ने अभी तक दोनों गठबंधनों से बराबर की दूरी बना रखी है। यहां तक कि उसने भाजपा के पुराने सहयोगी दल आईपीएफटी को ग्रेटर टिपरा लैंड के मुद्दे पर साथ आने का निमंत्रण दिया है।
By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Mon, 16 Jan 2023 08:04 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच त्रिपुरा की राजनीति तीसरे मोर्चे की ओर बढ़ती दिख रही है। अभी तक भाजपा और कांग्रेस-वामदल गठबंधन के बीच आमने-सामने की लड़ाई की स्थिति थी, किंतु नवगठित आदिवासी पार्टी 'टिपरा मोथा' ने पेंच फंसा दिया है, जिसमें भाजपा की उलझन भी बढ़ सकती है। कांग्रेस और वामदल की परेशानी तो साफ तौर पर बढ़ती दिख रही है।
टिपरा मोथा की मांग सबसे बड़ा मुद्दा
त्रिपुरा राज परिवार के वंशज प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मन की पार्टी टिपरा मोथा ने अभी तक दोनों गठबंधनों से बराबर की दूरी बना रखी है। यहां तक कि उसने भाजपा के पुराने सहयोगी दल आईपीएफटी को ग्रेटर टिपरा लैंड के मुद्दे पर साथ आने का निमंत्रण दिया है। टिपरा मोथा की मांग सबसे बड़ा मुद्दा है, जिसका समर्थन किसी दल ने अभी तक नहीं किया है। माकपा और कांग्रेस ने दो दिन पहले दावा किया था कि टिपरा मोथा से गठबंधन की बातचीत चल रही है, लेकिन देबबर्मन ने शुक्रवार को इससे इन्कार किया।
10 से 12 सीटों पर भी आदिवासी वोटरों की संख्या प्रभावी
पार्टी की तैयारी लगभग 40 सीटों पर लड़ने की है। ऐसे में कांग्रेस और माकपा को निराशा मिलनी तय है। त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा की 20 सीटें आदिवासियों के लिए आरक्षित हैं। अन्य लगभग 10 से 12 सीटों पर भी आदिवासी वोटरों की संख्या प्रभावी है। यही कारण है कि दोनों गठबंधनों के लिए आदिवासी संगठनों का तुष्टीकरण जरूरी और मजबूरी है। टिपरा मोथा की अपील पर आईपीएफटी ने यदि भाजपा का साथ छोड़ दिया तो राज्य में तीसरा मोर्चा का संकेत साफ-साफ है।टिपरा मोथा की नई चाल से बढ़ सकती है भाजपा की परेशानी
स्वायत्त जिला परिषद चुनावों में भाजपा को हराने वाली टिपरा मोथा की महत्वाकांक्षा अभी उच्च स्तर पर है। गठबंधन के लिए उसे दोस्त तो चाहिए, लेकिन अपनी शर्तों पर ही चाहिए। भाजपा ने आईपीएफटी के साथ 2018 में गठबंधन कर विधानसभा का चुनाव लड़ा था और लगभग ढाई दशक के वामपंथी शासन का अंत किया था। इस बार भी भाजपा की ओर से आईपीएफटी के साथ गठबंधन की घोषणा पहले ही की जा चुकी है। ऐसे में टिपरा मोथा की नई चाल से भाजपा की परेशानी बढ़ सकती है।
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