कर्नाटक में बजरंग दल मामले पर कांग्रेस का यू टर्न, कहा- पूरे प्रदेश में बनाएंगे बजरंगबली का मंदिर
दो दिन पहले कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद अब कांग्रेस ने पलटी मार ली है। वीरप्पा मोईली ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है। चुनाव से महज चार पांच दिन पहले इस तरह का असमंजस सेल्फ गोल से कम नहीं है।फाइल फोटो।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Thu, 04 May 2023 10:18 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दो दिन पहले कर्नाटक में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा के बाद अब कांग्रेस ने पलटी मार ली है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वीरप्पा मोईली ने कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव ही नहीं है। चुनाव से महज चार पांच दिन पहले इस तरह का असमंजस सेल्फ गोल से कम नहीं है। साथ ही फिर से यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया है कि आखिर पार्टी को नियंत्रित कौन कर रहा है। पार्टी के लिए रणनीति कौन बना रहा है और उसे हरी झंडी कौन दिखा रहा है।
अपने घोषणापत्र से पलटी कांग्रेस
यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है कि क्योंकि बताया जाता है कि खुद पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इस फैसले से सहमत नहीं थे और गुरुवार को वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने भी ऐसे किसी प्रस्ताव को नकार दिया। हालांकि, दो दिन पहले ही कांग्रेस घोषणापत्र में इसकी घोषणा की गई थी। अब पार्टी के अंदरखाने यह चर्चा तेज पकड़ गई है कि आखिर किसके निर्देश पर इसकी घोषणा हुई थी। वहीं भाजपा की रणनीति से पार पाने के लिए अब प्रदेश अध्यक्ष डी शिवकुमार ने घोषणा की है कि पार्टी सत्ता में आई तो बजरंगबली के मंदिर बनाएगी।
कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी लड़ाई
कर्नाटक में भाजपा और कांग्रेस के बीच तीखी लड़ाई मानी जा रही है और ऐसे में कांग्रेस ने बजरंग दल की तुलना प्रतिबंधित संगठन पीएफआई से करते हुए बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। यह खासकर मैसूर क्षेत्र की स्थिति को ध्यान में रखकर किया गया था। ओल्ड मैसूर क्षेत्र की 61 सीटों में मुख्यरूप से लड़ाई कांग्रेस और जनता दल एस के बीच है। भाजपा 12 सीटों पर सिमटी थी। कांग्रेस का ध्यान मुस्लिम वोट को एकजुट करने पर था ताकि यहां जनता दल को सीमित कर बडी संख्या में सीटें जीती जा सकें।बंगलुरू में भाजपा के पास है 15 सीट
मालूम हो कि इस क्षेत्र में ठीक ठाक मुस्लिम वोट जनता दल एस को मिला करता है। पर इस एक क्षेत्र में बढ़त की जुगत में कांग्रेस बाकी के कर्नाटक को भूल गई। खासकर तटीय क्षेत्र जहां भाजपा मजबूत है लेकिन इस बार कांग्रेस 5-7 सीट पर टक्कर देने की स्थिति में थी। बेंगलूरू में कुल 28 सीट है जहां भाजपा फिलहाल 15 सीट पर है और कांग्रेस 12 पर।
उल्टा पड़ने लगा था दाव
बताया जाता है कि कांग्रेस के इस फैसले से न सिर्फ जनता में बल्कि पार्टी कार्यकर्ताओं में भी रोष था। हो सकता है कि बजरंग दल मुद्दे को उछालकर कांग्रेस ओल्ड मैसूर क्षेत्र में कुछ ज्यादा सीटें जीत ले लेकिन बाकी के कर्नाटक में इसका उल्टा असर अभी से दिखने लगा था। खासकर बेंगलूरू शहर से कांग्रेस के धुलने की आशंका गहराने लगी थी क्योंकि यहां बड़ी संख्या प्रवासियों की भी है।पीएम मोदी जताई थी तीखी प्रतिक्रिया
गौरतलब है कि भाजपा ने इस मुद्दे को लपक लिया था। मंगलवार को पूरे प्रदेश में हनुमान चालीसा का पाठ करने की योजना भी तैयार हो गई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शनिवार और रविवार को बेंगलूरू में रोड शो भी आयोजित होने वाला है। दो दिन पहले ही उन्होंने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा था कि कांग्रेस के काल मे पहले राम ताले में बंद थे और अब बजरंगबली के भक्तों को जेल में बंद करने की बात हो रही है।