उद्धव गुट का नए चुनाव चिह्न और पार्टी नाम के साथ पोस्टर जारी, आदित्य ठाकरे बोले- बालासाहेब की तरह करेंगे काम
चुनाव आयोग ने उद्धव गुट की पार्टी को नया नाम शिवसेना उद्धव बाला साहब ठाकरे और चुनाव चिह्न भी दे दिया है। आयोग ने शिंदे गुट को बालासाहेबबांची शिवसेना नाम तो दे दिया लेकिन चुनाव चिह्न के नए विकल्प मांगे हैं।
By Jagran NewsEdited By: Mahen KhannaUpdated: Tue, 11 Oct 2022 04:37 AM (IST)
मुंबई, आनलाइन डेस्क। शिवसेना के उद्धव गुट को आखिरकार अंधेरी पूर्व विधानसभा उप चुनाव के लिए पार्टी का नया नाम और चुनाव चिह्न दोनों ही मिल गया है। यह गुट फिलहाल राजनीतिक तौर पर शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) के नाम जाना जाएगा। साथ ही इसका चुनाव चिह्न मशाल होगा। इस बीच उद्धव ठाकरे गुट ने नए चुनाव चिह्न और नई पार्टी के नाम के साथ एक पोस्टर जारी किया।
आदित्य ठाकरे ने बालासाहेब को किया याद
पोस्टर जारी होने के बाद आदित्य ठाकरे ने कहा कि हमें उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम पर बेहद गर्व है। बालासाहेब ने महाराष्ट्र में हजारों लोगों की जान बचाकर मुख्यमंत्री के रूप में काम किया है। हम एक सच्ची ईमानदार सरकार चाहते हैं जो लोगों के लिए काम करे। आदित्य ने कहा कि मशाल ऐसी चीज है जिसे हम हर घर में गर्व के साथ ले जाएंगे।
शिंदे गुट को नहीं मिला चिह्न
शिंदे गुट को अपनी पार्टी का नाम 'बालासाहेबबांची शिवसेना' तो मिल गया है, लेकिन चुनाव चिह्न के लिए 11 अक्टूबर को दस बजे तक का इंतजार करना होगा। चुनाव आयोग ने उन्हें फिर से तीन नए विकल्प मुहैया कराने के लिए कहा है। शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को चुनाव चिह्न के लिए जो तीन विकल्प दिए थे, उनमें त्रिशूल, उगता सूरज व गदा था। इनमें से चुनाव आयोग ने त्रिशूल और गदा को धार्मिक जुड़ाव के आधार पर देने से मना कर दिया, जबकि उगता सूरज पहले से किसी राजनीतिक दल के पास होने के चलते नहीं दिया गया। खास बात है कि उद्धव गुट ने भी चुनाव चिह्न के लिए त्रिशूल, उगता सूरज और मशाल का विकल्प दिया था।
आयोग ने दिया बड़ा संदेश
इस बीच चुनाव आयोग ने सोमवार को दोनों गुटों ही की ओर से मुहैया कराए पार्टी नाम और चुनाव चिह्न को लेकर जांच पड़ताल के बाद यह फैसला लिया है। साथ ही शिंदे गुट को नोटिस जारी कर मंगलवार को सुबह दस बजे तक नया विकल्प मुहैया कराने के लिए कहा है। फिलहाल आयोग ने जिस तरह से दोनों ही गुटों की ओर से त्रिशूल और गदा जैसे चुनाव चिह्न की मांग को धार्मिक जुड़व के आधार पर खारिज किया है, वह सभी राजनीतिक दलों को भी एक बड़ा संदेश देने की कोशिश मानी जा रही है।
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