'उद्धव ही असली गद्दार, शिवसेना छोड़ने वाले नहीं'; राज ठाकरे ने चचेरे भाई पर बोला तीखा हमला
Raj Thackeray attack Uddhav राज ठाकरे ने सोमवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने चचेरे बड़े भाई पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सभी लोग उद्धव के कारण ही शिवसेना छोड़कर गए हैं। इसलिए असली गद्दार वही हैं। महाराष्ट्र में पिछले ढाई वर्षों में शिवसेना एवं राकांपा को बड़ी टूट का सामना करना पड़ा है। तभी से पार्टी तोड़ने वाले नेताओं को गद्दार कहा जा रहा था।
जेएनएन, मुंबई। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) अध्यक्ष राज ठाकरे ने सोमवार को चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने चचेरे बड़े भाई पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि सभी लोग उद्धव के कारण ही शिवसेना छोड़कर गए हैं। इसलिए 'असली गद्दार' वही हैं। महाराष्ट्र में पिछले ढाई वर्षों में शिवसेना एवं राकांपा को बड़ी टूट का सामना करना पड़ा है। तभी से पार्टी तोड़ने वाले नेताओं को 'गद्दार' कहने का विमर्श चलाया जा रहा है।
उद्धव ठाकरे के कारण ही शिवसेना टूटी
चुनाव प्रचार अभियान के आखिरी दिन राज ठाकरे (Raj Thackeray attack Uddhav) ने एक सभा में कहा कि सभी ने उद्धव ठाकरे के कारण ही शिवसेना छोड़ी है। उन्होंने पार्टी का भट्ठा बैठा दिया है। इसलिए, जो लोग शिवसेना छोड़कर गए हैं, वे गद्दार नहीं हैं। असली गद्दार उद्धव ठाकरे हैं।
उद्धव ने लोगों को ठगा
राज ठाकरे ने आगे कहा कि महाराष्ट्र की आज की राजनीतिक परिस्थिति के लिए उद्धव ठाकरे ही जिम्मेदार हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में आप सबने शिवसेना-भाजपा गठबंधन को वोट दिया था। लेकिन, चुनाव परिणाम आने के बाद शिवसेना उन्हीं लोगों के साथ जाकर बैठ गई, जिनके विरुद्ध आपने उसे वोट दिया था। क्या ऐसा करने से पहले उसने आपसे पूछा। ये आपके मत का अपमान नहीं था क्या।
मनसे नेता ने कहा कि आपने तो कांग्रेस-राकांपा नहीं चाहिए, इसके लिए मतदान किया था न। ये किस तरह की राजनीति है। मैंने तो ऐसी राजनीति आज तक नहीं देखी कि जिसके विरुद्ध चुनाव लड़ा, उसी के साथ जाकर बैठ गए।
शरद पवार पर भी बरसे राज ठाकरे
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र को जातियों में बांटने का काम शरद पवार ने किया है। आज महापुरुषों को भी जातियों में बांट दिया गया है। छत्रपति शिवाजी महाराज को मराठा, महात्मा फुले को माली, लोकमान्य तिलक को ब्राह्मण और बाबासाहेब आंबेडकर को सिर्फ दलितों का महापुरुष बना दिया गया है। अपनी जाति पर गर्व करना तो समझा जा सकता है। लेकिन अब दूसरी जाति के प्रति द्वेष निर्माण किया जा रहा है।