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UP Bypoll Result: यूपी उपचुनाव ने इस फैक्टर ने बदल दी भाजपा की किस्मत, सपा और बसपा भी हैरान

यूपी में दलित वर्ग ने जीत का सेहरा भाजपा के सिर बांधने में मदद की लेकिन कुछ मतदाता बसपा को अब भी सहारा दे रहे हैं जिसने फूलपुर कटेहरी और मझवां में सपा को हराने में मुख्य भूमिका निभाई और तीसरा यह कि मीरापुर और कुंदरकी में आजाद समाज पार्टी को तीसरे स्थान पर लाकर सांसद चंद्रशेखर आजाद को भी विकल्प की तरह कनखियों से देखना शुरू कर दिया है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 24 Nov 2024 10:00 PM (IST)
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सीएम योगी, अखिलेश यादव और मायावती। (Photo Jagran)
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। अनुसूचित जाति वर्ग के भाजपा से मोहभंग का जो विमर्श लोकसभा चुनाव परिणाम के साथ खड़ा हुआ, वह कुछ माह बाद ही हुए नौ विधानसभा सीटों के उपचुनाव में पलट गया। नौ में से सात सीटें जीतने वाली भाजपा को बेशक यह दावा करने में संकोच नहीं है कि दलित फिर पूरी तरह उसकी तरफ लौट आया है, लेकिन वास्तविकता में आंकड़े इस जाति वर्ग की उलझन की कहानी भी फुसफुसा रहे हैं।

सपा का खेल बिगाड़ दिया

अनुसूचित जाति की बहुलता वाली सीटें संकेत दे रही हैं कि उत्तर प्रदेश का दलित फिर चिंतन के चौराहे पर है। जो दलित लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा के गठबंधन को ताकत देता दिखा, इस उपचुनाव में उसकी प्राथमिकता भाजपा रही। वहीं, बसपा की झोली में सीट तो नहीं डाली, लेकिन तीन सीटों पर इतना वोट दे दिया कि उसने सपा का खेल बिगाड़ दिया।

विमर्श का आधार बने आंकड़े

वहीं, संभावनाएं देख वोटों का कुछ निवेश चंद्रशेखर आजाद के नाम पर भी कर डाला। उपचुनाव के परिणाम के बाद फिर से चर्चा के केंद्र में पिछड़ों के अलावा दलित मतदाता मुख्य रूप से है। इस विमर्श का आधार बने हैं आंकड़े। जैसे अंबेडकरनगर की कटेहरी विधानसभा सीट पर कुल लगभग चार लाख मतदाताओं में सबसे अधिक करीब एक लाख दलित मतदाता हैं।

मुस्लिम-यादव गठजोड़

दूसरा स्थान भाजपा के पक्ष में कहे जाने वाले ब्राह्मण का है तो तीसरे स्थान पर 40 हजार मुस्लिम और फिर करीब 22 हजार यादव वोटर हैं। मुस्लिम-यादव गठजोड़ सपा के पक्ष में स्वाभाविक है। इसमें यदि दलित भी अच्छा मिल जाता तो सपा की जीत तय थी, लेकिन सपा 56 हजार वोटों के आसपास सिमट गई।

अन्य पिछड़ों व सवर्णों का गठजोड़

यहां दलित ने भाजपा को जिताया तो विकल्प में बसपा को रखते हुए 41647 वोट दे दिए। इसी तरह मीरापुर में करीब एक लाख 30 हजार मुस्लिम मतदाता हैं। सपा को 50 हजार मतों वाले दलित वर्ग का भी साथ मिलता तो जीत की राह निकल सकती थी, लेकिन यहां रालोद के पक्ष में दलित-जाट गठजोड़ व अन्य पिछड़ों व सवर्णों का गठजोड़ विजय दिलाने वाला रहा।

दलित यहां भी सपा से विमुख हुआ

मगर, यहां भी दलित विकल्प तलाशता दिखा और बसपा से ऊपर आजाद समाज पार्टी को तीसरे नंबर की वरीयता पर रखते हुए 22661 वोट दे दिए। ऐसा ही उदाहरण फूलपुर है, जहां सबसे अधिक 75 हजार दलित मतदाता हैं। दूसरे स्थान पर 70 हजार कुर्मी हैं तो यादव-मुस्लिम के एकजुट वोट का आंकड़ा भी एक लाख दस हजार पर पहुंचता है। परिणाम का इशारा है कि दलित यहां भी सपा से विमुख हुआ भाजपा को विजयी बनाने के साथ 20342 वोट बसपा को दे डाला।

इस बीच कांग्रेस के नेताओं को दबी जुबां से यह कहने का मौका जरूर मिल गया कि दलितों ने कांग्रेस के कारण सपा को लोकसभा चुनाव में जिताया और गठबंधन में कांग्रेस को हाशिए पर रखा गया तो दलित ने भी मुंह मोड़ लिया।