UP Election Result 2022: यूपी चुनावों के नतीजे और छोटे दलों की भूमिका...
UP Chunav Result 2022 राज्य में चाहे पिछले कुछ लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर विधानसभा चुनाव कई छोटे दल भी बड़ी भूमिका के साथ सामने आए हैं। चाहे वो अपना दल हो या फिर राष्ट्रीय लोकदल इनका ठीक ठाक प्रभाव राज्य की राजनीति में देखने को मिलता रहा है।
By Praveen Prasad SinghEdited By: Updated: Thu, 10 Mar 2022 12:24 PM (IST)
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए मतगणना जारी है और रुझानों में बीजेपी स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है। राज्य में मुख्य मुकाबला बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच ही था और रुझानों से यह बात स्पष्ट भी हो गई है। राज्य में चाहे पिछले कुछ लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर विधानसभा चुनाव, कई छोटे दल भी बड़ी भूमिका के साथ सामने आए हैं। चाहे वो अपना दल हो या फिर राष्ट्रीय लोकदल, इनका ठीक ठाक प्रभाव राज्य की राजनीति में देखने को मिलता रहा है। इस बार का चुनाव भी इस लिहाज से अलग नहीं है। 403 सदस्यीय विधानसभा में कई सीटें ऐसी हैं जहां किस उम्मीदवार की जीत होगी, ये इन छोटे दलों पर ही निर्भर करता है। इस बार भी भाजपा और सपा दोनों ही दलों ने कई छोटे दलों को अपने साथ रखने का प्रयास किया है। भाजपा जहां लगातार दूसरी बार राज्य की सत्ता पर काबिज होने की जुगत में है, तो वहीं समाजवादी पार्टी सत्ता में वापसी की उम्मीद लगाए बैठी है। भाजपा ने इस चुनाव में अपना दल और निषाद पार्टी के साथ गठबंधन किया है तो वहीं समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसे दलों को साथ लेकर चुनाव मैदान में उतरी है। ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पिछले चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही थी लेकिन अपनी कुछ मांगों लेकर पिछले वर्ष एनडीए से अलग हो गई थी। इस बार पार्टी ने सपा के साथ गठबंधन में 18 सीटों पर चुनाव लड़ा है। वहीं राज्य में सपा की दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे.
राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) (RLD)
प्रदेश के क्षेत्रीय दलों में राष्ट्रीय लोक दल (RLD) भी बड़ा नाम है जिसकी पैठ जाट वोटों के बीच मानी जाती है। 1996 में चौधरी अजित सिंह द्वारा गठित यह पार्टी कई लोकसभा व विधानसभा चुनावों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुकी है। खुद चौधरी अजित सिंह अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह की सरकारों में केंद्रीय मंत्री रहे थे। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में भी पार्टी अपने गठन के बाद से कुछ सीटों पर जीत दर्ज करती आ रही है। 1996 में पार्टी को जहां 8 सीटों पर जीत मिली थी तो वहीं 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में उसकी झोली में 14 सीटें आई थी जो कि राज्य में पार्टी का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। पिछले चुनाव यानी 2017 में हुए विधानसभा चुनाव की बात करें तो उसमें पार्टी को केवल एक सीट पर जीत से संतोष करना पड़ा था। 2017 में पार्टी ने 277 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उनमें से 266 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी। हालांकि पार्टी को कुल 15,45,811 वोट मिले थे जो कि राज्य में पड़े कुल वोटों का 1.78% थे। इस चुनाव में जयंत चौधरी के नेतृत्व में पार्टी चुनाव मैदान में उतरी है। इस बार पार्टी के 33 उम्मीदवार मैदान में हैं।
सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (SBSP)2017 में हुए विधानसभा चुनाव में ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव राजभर भारतीय समाज पार्टी (SBSP)ने बीजेपी के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। पार्टी ने तब आठ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से चार पर उसे जीत मिली थी जबकि अन्य चार उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। पार्टी को कुल 6,07,911 वोट मिले थे जो कि राज्य में पड़े कुल वोटों का 0.70% था। 2002 में ओमप्रकाश राजभर द्वारा गठित की गई पार्टी ने तब से लेकर कई चुनावों में किस्मत आजमाई लेकिन पहली बार जीत उसे 2017 के विधानसभा चुनाव में ही मिली वो भी बीजेपी के साथ गठबंधन में। 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने किस्मत आजमाई थी लेकिन तब उसे मुंह की खानी पड़ी थी। वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में उसके सभी 13 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी।
अपना दल (कमेरावादी) (AD)कृष्णा पटेल की अगुवाई वाले अपना दल के धड़े अपना दल (कमेरावादी) ने भी इस बार सपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा है। पार्टी ने इस बार छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और पार्टी प्रमुख कृष्णा पटेल खुद प्रतापगढ़ की सदर सीट से हैं मैदान में हैं। अगर पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो पार्टी ने 2017 में केवल दो उम्मीदवार मैदान में उतारे थे और दोनों ही सीटों पर उनकी जमानत जब्त हो गई थी। तब पार्टी को कुल मिलाकर 994 वोट ही मिल सके थे।
अपना दल (सोनेलाल) (ADAL)अपना दल का गठन 1995 में डा. सोने लाल पटेल के द्वारा किया गया था। हालांकि वर्तमान में पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई है। एक धड़ा अपना दल (कमेरावादी) है जिसका नेतृत्व कृष्णा पटेल के हाथ में है तो वहीं दूसरा धड़ा अपना दल (सोनेलाल) है जिसकी प्रमुख अनुप्रिया पटेल हैं। मूल पार्टी से अलग होने के बाद से ही पार्टी एनडीए का हिस्सा रही है। 2017 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी के साथ गठबंधन में पार्टी ने 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से नौ सीटों पर उसे जीत मिली थी। इस तरह पिछले चुनाव में अपना दल ने कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया था जिसके केवल सात उम्मीदवार ही विधानसभा पहुंच सके थे। पिछले चुनाव में पार्टी को 8,51,336 वोट मिले थे और उसका वोट प्रतिशत 0। 98% रहा था। इस विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन में जारी रखते हुए 18 सीटों पर चुनाव लड़ा है।
निषाद पार्टी (NINSHAD)निषाद पार्टी ने एक बार फिर भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा है। हालांकि उसके 10 उम्मीदवार ही पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतरे जबकि छह अन्य ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। निषाद पार्टी के नौ उम्मीदवार उन सीटों पर उतारे गए जहां पिछले चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। निषाद पार्टी का गठन 2016 में संजय निषाद द्वारा किया गया था जो पहले बहुजन समाज पार्टी के शामिल रहे थे। 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो निषाद पार्टी ने 72 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन बीजेपी की लहर में उसका केवल एक ही उम्मीदवार विधानसभा पहुंच सका था। उसके बाकी के 70 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी। तब पार्टी को कुल 5,40,539 यानी 0.62% वोट मिले थे।
ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM)असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली पार्टी AIMIM ने भी यूपी चुनावों में बड़ा दांव खेला है और पार्टी ने 100 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे। हालांकि एक्जिट पोल में पार्टी को सफलता मिलने को कोई भी अनुमान नहीं जताया गया है। पार्टी में राज्य में चुनाव प्रचार भी जमकर किया। कुछ छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन भी हुआ लेकिन नतीजे आते नहीं दिख रहे। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में भी AIMIM 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। यहां तक कि उसके 38 उम्मीदवारों में से 37 की जमानत तक जब्त हो गई थी। 2017 में पार्टी को 2,04,142 वोट यानी 0। 24% वोट मिले थे।
आजाद समाज पार्टी (ASP)पिछले साल ही गठित हुई आजाद समाज पार्टी पर भी इस बार के चुनावों में सबकी नजरें होंगी। भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के नेतृत्व में पार्टी चुनाव मैदान में हैं। सपा के साथ गठबंधन की बातचीत नाकाम रहने के बाद चंद्रशेखर ने अकेले चुनाव में उतरने का फैसला किया था। हालांकि कई छोटे दलों के साथ मिलकर आजाद समाज पार्टी ने कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। खुद चंद्रशेखर गोरखपुर से सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। पिछले कुछ समय में चंद्रशेखर दलित नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या उनकी पार्टी इस चुनाव में कितनी कामयाब हो पाती है।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया)भतीजे अखिलेश यादव से मनमुटाव के बाद समाजवादी पार्टी छोड़कर शिवपाल यादव ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) नाम से अपनी पार्टी बना ली थी। हालांकि चुनावों से पहले अखिलेश अपने चाचा को मनाने में कामयाब रहे और शिवपाल ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर ही चुनाव लड़ने और उम्मीदवार उतारने का फैसला किया।