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US में भी भारतीय उत्पादों पर लगती है कस्टम ड्यूटी, जब हमने लगाई तो हुआ ट्रंप को दर्द

कस्टम ड्यूटी को लेकर दिए गए डोनाल्डज ट्रंप के बयान के बाद भारत के घरेलू बाजार में एक बेचैनी महसूस की जा रही है।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Sun, 11 Mar 2018 04:29 PM (IST)
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US में भी भारतीय उत्पादों पर लगती है कस्टम ड्यूटी, जब हमने लगाई तो हुआ ट्रंप को दर्द

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्क]। अमेरिका की तरफ से लगातार भारत को ये धमकी दी जा रही है कि यदि भारत ने कस्‍टम ड्यूटी कम नहीं की तो अमेरिका भी अपने यहां पर कस्‍टम ड्यूटी लगाएगा। डोनाल्‍ड ट्रंप की तरफ से आए इस बयान के बाद भारतीय घरेलू उद्योग में कहीं न कहीं बेचैनी देखी जा रही है। उनके इस बयान से उन कंपनियों को ज्‍यादा डर है जो निर्यात के क्षेत्र में काम करती है। इंजीनियरिंग एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (ईईपीसी) ने अमेरिका के इस कदम के बाद भारत का इंजीनियरिंग उत्पाद निर्यात घटने की आशंका जताई है। ईईपीसी के चेयरमैन रवि सहगल ने कहा कि अमेरिका के इस फैसले के खिलाफ यूरोप और चीन जैसे अन्य क्षेत्र जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। इससे भारत से इंजीनियरिंग उत्पादों के निर्यात को धक्का लगेगा। सहगल ने कहा, ‘प्रत्यक्ष रूप से न सही, लेकिन परोक्ष रूप से निर्यात को झटका लग सकता है। अमेरिकी फैसले से इंजीनियरिंग उत्पादों के दाम अस्थिर हो जाएंगे। ऐसा लगता है जैसे दुनिया वापस शीत युद्ध की ओर जा रही है।’ वर्तमान में भारत करीब 3,250 करोड़ रुपये मूल्य के स्टील का निर्यात अमेरिका को करता है। अमेरिकी स्टील आयात का यह 1.28 फीसद हिस्सा ही है।

अब क्‍यों परेशान है अमेरिका

इन सभी के बीच नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी की सलाहकार और अर्थशास्त्री राधिका पांडे एक हद तक डोनाल्‍ड ट्रंप की ड्यूटी कम करने की मांग को जायज मानती हैं। लेकिन साथ ही उनका यह भी कहना है कि अब तक अमेरिका प्रोटेक्‍श्‍निस्‍ट पॉलिसी पर अमल कर रहा था, लेकिन अब जब भारत ने इस तरह की पॉलिसी पर अमल करना शुरू किया है तो अमेरिका को इससे तकलीफ हो रही है। लिहाजा अमेरिका के लिए यह जरूरी है कि वह भी अपनी उन पॉलिसी पर दोबारा विचार करे जिनसे भारत समेत दूसरे देशों को व्‍यापार में तकलीफ होती है। राधिका का कहना है कि अमेरिका ने अपने उद्योगों को प्रोटेक्‍शनिस्‍ट पॉलिसी के तहत शील्‍ड दे रखी है। लेकिन अब उन्‍हें भी अपने यहां उन प्रोडेक्‍ट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी को कम करनी चाहिए, जहां ये अधिक है। अभी तक भारत फ्री ट्रेड पॉलिसी को ही फॉलो कर रहा था, लेकिन 1990 के बाद देश में पहली बार 'मेक इन इंडिया' के चलते प्रोटेक्‍श्‍निस्‍ट पॉलिसी को अपनाया गया है। लिहाजा अमेरिका को भी इस बारे में सोचने की बेहद जरूरत है।

सरकार के फैसले का प्रतिकूल असर

अर्थशास्‍त्री राधिका पांडे का कहना है कि सरकार ने इस बजट में कस्‍टम ड्यूटी को बढ़ाया है। उसके ही जवाब में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने भी अपनी प्रतिक्रिया स्‍वरूप कहा है कि यदि भारत इसको वापस नहीं लेता है तो वह भी भारत से आने वाले सामान पर इतना ही कर लगाएंगे जितना उन्‍हें भारत में देना पड़ रहा है। लेकिन यदि ऐसा होता है तो इसका प्रतिकूल असर भारत के विदेश व्‍यापार पर जरूर पड़ेगा। ऐसा होने पर अमेरिका में किया गया निर्यात काफी महंगा हो जाएगा और इसका असर आयात पर भी सीधेतौर पर पड़ेगा। उनका कहना था कि पिछले कुछ वर्षों से भारत के आयात निर्यात में काफी बड़ी खाई बन गई है। जितना हम आयात कर रहे हैं उस हिसाब ने निर्यात नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में यदि अमेरिका की तरफ से या दूसरे देशों की तरफ आयात और निर्यात शुल्‍क में बढ़ोतरी होती है तो निश्चित तौर पर विदेश व्‍यापार पर यह प्रतिकूल असर डालेगा।

आयात निर्यात के फासले को कम करने की जरूरत

राधिका का कहना है किे फिलहाल भारत को अपने जीडीपी में बढ़ोतरी करनी है और इसके अलावा निर्यात बढ़ाने पर भी ध्‍यान देना है। इसके लिए यह जरूरी होगा कि हम अपनी उत्‍पादन क्षमता को और अधिक विकसित करें। यह पूछे जाने पर कि यदि भारत ट्रंप के बयान पर ध्‍यान देते हुए कस्‍टम ड्यूटी कम करने पर विचार करे भी तो यह कितने फीसद तक हो सकता है। उनका कहना था कि बजट में घोषणा करने से पहले जो स्थिति थी उस पर एक बार सरकार को विचार करना चाहिए। लेकिन इस बाबत विचार करते हुए यह ध्‍यान रखना होगा कि भारतीय निवेशकों और एक्‍सपोटर्स को इसमें कितना फायदा हो रहा है।

इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर को दिया जाना चाहिए बढ़ावा

उनके मुताबिक जब हम उत्‍पादन क्षमता को बढ़ाने की बात करते हैं तो सरकार को देश में उद्योगों को विकसित करने को लेकर इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर भी बढ़ाना चाहिए, जिससे घरेलू उद्योग को बढ़ावा मिल सके और वह दूसरों से लड़ सके। सरकार के इन कदमों का फायदा ये होगा कि वह घरेलू उद्योग को एक शील्‍ड देने में कामयाब हो सकेगी। लेकिन कस्‍टम ड्यूटी को बढ़ा देने से निर्यात नहीं बढ़ने वाला है। उनका यह भी कहना था कि जिन उद्योंगों में इनवर्टेड ड्यूटी स्‍ट्रक्‍चर है उस पर भी ध्‍यान देने की जरूरत है। यह देखना होगा कि इन उद्योंगों को मिलने वाले कच्‍चे माल पर जहां इंपोर्ट ड्यूटी कम लगाई हुई है और फाइनल प्रोडेक्‍ट पर यह अधिक लगी हुई है, उस पर दोबारा विचार कर इसको बढ़ाने की जरूरत है। राधिका मानती हैं कि दुनिया भर में व्‍यापार का एक सिद्धांत है 'फ्री ट्रेड बेनेफिट्स फॉर ऑल' इसको फॉलो करना चाहिए।

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कस्‍टम ड्यूटी कम करने पर हो विचार

राधिका का यह भी मानना है कि मौजूदा बजट में सरकार ने करीब 400 उत्‍पादों पर कस्‍टम ड्यूटी में इजाफा किया है, जिसमें से अधिकतर एग्रीकल्‍चर प्रोडेक्‍ट्स हैं। इनमें से कुछ में सरकार ने 50-75 फीसद तक यह ड्यूटी बढ़ाई है, जिसपर दोबारा सरकार को विचार करना चाहिए। इसको इसलिए भी कम किए जाने की जरूरत है क्‍योंकि इससे हमारे निर्यात पर सीधा असर पड़ता है। लिहाजा इस ओर ध्‍यान देने की सख्‍त जरूरत है। यदि ऐसा नहीं होता है इससे व्‍यापार घाटा बढ़ेगा और रुपये के एक्‍सचेंज रेट पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। व्‍यापार घाटे का बढ़ना मतलब सीधेतौर पर नुकसान है।

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