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संयोग या प्रयोग, चुनावों के समय ही कांग्रेस नेतृत्व की सिरदर्दी क्यों बढ़ा रहा वीरभद्र सिंह का कुनबा?

हिमाचल के दिग्गज नेता रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के कुनबे की चुनाव के दौरान पहचान पत्र दुकान पर लगाने जैसे संवेदनशील मुद्दे को गरमाने के पीछे पार्टी का एक वर्ग निश्चित पैटर्न देख रहा है। गौरतलब है कि राज्यसभा चुनाव से पहले भी विधायकों के विद्रोह की पटकथा लिखी गई थी जिससे अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sat, 28 Sep 2024 09:11 PM (IST)
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यह चुनौती लोकसभा के बाद विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को परेशान कर रही है। (File Image)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश कांग्रेस में सत्ता-सियासत की अंदरूनी खींचतान पिछले कुछ समय से चुनावों के दौरान ही राष्ट्रीय स्तर पर भी पार्टी की सिरदर्दी बढ़ा रही है। इस वर्ष राज्यसभा चुनाव में विधायकों के बगावत से शुरू हुई यह चुनौती लोकसभा चुनाव के बाद अब दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को परेशान कर रही है।

कांग्रेस के लिए चिंता की बात यह है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर जैसे दो पड़ोसी राज्यों के चुनाव के दरम्यान हिमाचल कांग्रेस की अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और उनके पुत्र राज्य सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह एक बार फिर पार्टी की चुनौतियों में इजाफा कर रहे हैं।

पार्टी हाईकमान ने किया आगाह

खान-पान की दुकान के मालिकों को दुकान के आगे अपने नाम-पहचान पत्र लगाने संबंधी विक्रमादित्य के बयान से बढ़ा विवाद चुनावों में पार्टी की सियासत को नुकसान न पहुंचा जाए, इसके मद्देजनर हाईकमान ने उन्हें कांग्रेस की वैचारिक नीतिगत रेखा पार नहीं करने को लेकर आगाह किया है।

हिमाचल में दुकान मालिकों के पहचान प्रदर्शित करने की तैयारी संबंधी विक्रमादित्य के बयान से गरमाए विवाद को लेकर असहज कांग्रेस नेतृत्व ने उन्हें गुरूवार को तलब कर इस तरह की बयानबाजी से परहेज करने का निर्देश भी दिया। दरअसल, पिछले महीने कांवड़ यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के एक ऐसे ही आदेश के खिलाफ मुखर रही कांग्रेस पर भाजपा तथा उसके कुछ सहयोगी दल विक्रमादित्य के बयानों के आधार पर दोहरे मानदंड का आरोप लगाते हुए निशाना साध रहे हैं।

संयोग या प्रयोग?

हरियाणा और जम्मू-कश्मीर दोनों हिमाचल के पड़ोसी सूबे हैं और कांग्रेस यहां सत्ता की दावेदारी की होड़ में शामिल है। इसीलिए हिमाचल के दिग्गज नेता रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह के कुनबे की चुनाव के दौरान पहचान पत्र दुकान पर लगाने जैसे संवेदनशील मुद्दे को गरमाने के पीछे पार्टी का एक वर्ग निश्चित पैटर्न देख रहा है।

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि अब इसे संयोग कहें या प्रयोग, मगर हकीकत यही है कि राज्यसभा चुनाव से पहले विधायकों के विद्रोह की पटकथा प्रतिभा-विक्रमादित्य की नाराजगी से शुरू हुई, जिसका परिणाम अभिषेक मनु सिंघवी की हार के रूप में सामने आया और भाजपा को इसका अप्रत्याशित फायदा मिला। इतना ही नहीं सूबे में लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को नुकसान हुआ।

प्रतिभा सिंह से भी हुई बातचीत

अब दिलचस्प यह है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव के निर्णायक पड़ाव पर भी मां-बेटे पार्टी के सियासी दांव ने पार्टी नेतृत्व को हैरान कर दिया है। इसीलिए कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विक्रमादित्य को गुरूवार को बुलाकर पार्टी की नीतिगत और वैचारिक धारा की लक्ष्मण रेखा पार नहीं करने का स्पष्ट रूप से निर्देश दिया। समझा जाता है कि प्रतिभा सिंह से भी उनकी इस बारे में बातचीत हुई। हिमाचल के कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ल से भी दोनों की मुलाकात हुई, जिसमें हाईकमान के रूख को बेबाकी से साफ कर दिया गया।