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लोकसभा में अटका वक्फ संशोधन विधेयक, अब JPC को भेजा जाएगा; ओम बिरला विपक्ष के नेताओं से करेंगे बात

टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने विधेयक पर सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक 2024 अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है और यह असंवैधानिक है। उन्होंने इसे संघवाद की भावना के खिलाफ बताया। द्रमुक सांसद के. कनिमोझी ने आज के दिन को दुखद बताया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (SP) ने भी विधेयक का विरोध किया। विपक्ष की आपत्ति के बाद सरकार विधेयक को जेपीसी को भेजेगी।

By Jagran News Edited By: Ajay Kumar Updated: Thu, 08 Aug 2024 06:59 PM (IST)
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Waqf Amendment Bill 2024: जेपीसी को भेजा जाएगा विधेयक।
पीटीआई, नई दिल्ली। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ अधिनियम संशोधन विधेयक 2024 गुरुवार को लोकसभा में पेश किया। मगर यह लोकसभा में ही अटक गया। अब विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेजा जाएगा।

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विपक्षी दलों ने विधेयक पर आपत्ति दर्ज कराई। इसके बाद अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव रखा। केंद्र सरकार में सहयोगी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी ने भी विधेयक को जेसीपी के पास भेजने की वकालत की।

ओम बिरला करेंगे समिति का गठन

एनडीए में शामिल जनता दल (यूनाइटेड) और तेलुगू देसम पार्टी (TDP) ने विधेयक का समर्थन किया। वहीं विपक्ष ने विधेयक को संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सभी दलों के नेताओं से बात करके संयुक्त संसदीय समिति का गठन करेंगे।

वेणुगोपाल बोले- यह संविधान पर हमला

कांग्रेस सांसद के सी वेणुगोपाल ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर हमला है। उन्होंने कहा कि विधेयक आस्था और धर्म के अधिकार पर हमला है। उनका तर्क है कि विधेयक महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड विधानसभा चुनाव की वजह से लाया गया है।

अखिलेश बोले- यह सोची समझी राजनीति

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का कहना है कि भाजपा हताश और निराश कट्टर समर्थकों के खातिर यह विधेयक ला रही हैं। उनका कहना है कि यह सोची समझी राजनीति के तहत किया जा रहा है। सपा सांसद मोहिबुल्ला नदवी ने विधेयक के माध्यम से मुस्लिमों के साथ अन्याय होने की बात कही। नदवी का कहना है कि अगर यह कानून पारित हुआ तो अल्पसंख्यक खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे। कहीं ऐसा नहीं हो कि जनता दोबारा सड़कों पर आ जाए।

रिजिजू ने कहा- संविधान का उल्लंघन नहीं

विपक्ष के हर सवाल का अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विधेयक में किसी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है। न ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन किया गया है। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम में संशोधन पहली बार नहीं हो रहा है। 1954 में पहली बार वक्फ विधेयक लाया गया था। समय-समय पर कई संशोधन हुए हैं। रिजिजू ने कहा कि विचार-विमर्श के बाद ही विधेयक लाया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा।

विधेयक में क्या हैं प्रावधान?

विधेयक के मुताबिक वक्फ बोर्डों में मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को भी शामिल करने का प्रस्ताव है। विधेयक में वक्फ अधिनियम- 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम- 1995 करने का भी प्रावधान है। विधेयक में धारा 40 के हटाने का प्रावधान है। इसके तहत वक्फ बोर्ड को कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं तय करने का अधिकार है।

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