Waqf Bill: क्या है वक्फ बोर्ड, कब हुआ गठन; अब इस पर बवाल क्यों? पढ़ें- 10 सवाल और उनके जवाब
Waqf Amendment Bill 2024 वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर देशभर में राजनीतिक पारा चढ़ा हुआ है। सरकार और विपक्ष आमने-सामने हैं। मगर यह विवाद क्यों मचा वक्फ क्या है वक्फ बोर्ड क्या होता है और इसमें कौन-कौन सदस्य होते हैं। देश में कितने वक्फ बोर्ड हैं। किस कानून के तहत इनका गठन होता है। बोर्ड के पास कितनी संपत्ति है। आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुरुवार को अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। हालांकि विपक्षी दल विधेयक का जमकर विरोध कर रहे हैं। मुस्लिम संगठनों का कहना है कि सरकार इस कदम से धर्म में दखल दे रही है। कांग्रेस इसे धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन बता रही है।
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उधर, सरकार का कहना है कि वह वक्फ संपत्तियों में अनियमितताओं को दूर करना चाहती है। संशोधन के बाद गैर-मुस्लिम व्यक्तियों और मुस्लिम महिलाओं को भी केंद्रीय और राज्य वक्फ निकायों में शामिल किया जा सकेगा। ऐसे में आइए जानते हैं वक्फ बोर्ड से जुड़े 10 अहम सवाल और उनके जवाब...
वक्फ क्या है? (What is Waqf)
वक्फ बोर्ड के बारे में समझने से पहले हमें यह जानना जरूरी है कि वक्फ क्या है? वक्फ अरबी भाषा का शब्द है। इसका अर्थ खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु या परोपकार के लिए दिया गया धन होता है। इसमें चल और अचल संपत्ति को शामिल किया जाता है। बता दें कि कोई भी मुस्लिम अपनी संपत्ति वक्फ को दान कर सकता है। कोई भी संपत्ति वक्फ घोषित होने के बाद गैर-हस्तांतरणीय हो जाती है।
क्या है वक्फ बोर्ड? (What is Waqf Board)
वक्फ संपत्ति के प्रबंधन का काम वक्फ बोर्ड करता है। यह एक कानूनी इकाई है। प्रत्येक राज्य में वक्फ बोर्ड होता है। वक्फ बोर्ड में संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य है। बोर्ड संपत्तियों का पंजीकरण, प्रबंधन और संरक्षण करता है। राज्यों में बोर्ड का नेतृत्व अध्यक्ष करता है। देश में शिया और सुन्नी दो तरह के वक्फ बोर्ड हैं।कौन होता है वक्फ बोर्ड का सदस्य?
वक्फ बोर्ड को मुकदमा करने की शक्ति भी है। (Waqf Board Member) अध्यक्ष के अलावा बोर्ड में राज्य सरकार के सदस्य, मुस्लिम विधायक, सांसद, राज्य बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली को शामिल किया जाता है।
क्या करता है बोर्ड?
वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के अलावा बोर्ड वक्फ में मिले दान से शिक्षण संस्थान, मस्जिद, कब्रिस्तान और रैन-बसेरों का निर्माण व रखरखाव करता है।क्या है वक्फ एक्ट 1954
देश में सबसे पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बना। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का भी जन्म हुआ। इस कानून का मकसद वक्फ से जुड़े कामकाज को सरल बनाना था। एक्ट में वक्फ की संपत्ति पर दावे और रख-रखाव तक का प्रविधान हैं। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में साल 2013 में इसमें संशोधन किया गया था।क्या है केंद्रीय वक्फ परिषद?
केन्द्रीय वक्फ परिषद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक सांविधिक निकाय है। परिषद को 1964 में वक्फ अधिनियम 1954 के प्रविधान के मुताबिक गठन किया गया। इसे वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली और ऑक्फ प्रशासन से संबंधित मामलों में केन्द्र सरकार के सलाहकार निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। परिषद को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और राज्य वक्फ बोर्डों को सलाह देने का अधिकार है। परिषद का अध्यक्ष केंद्रीय मंत्री होता है।वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देश में वक्फ बोर्ड के आठ लाख एकड़ से ज्यादा जमीन है। साल 2009 में यह जमीन चार लाख एकड़ थी। इनमें अधिकांश मस्जिद, मदरसा, और कब्रिस्तान शामिल हैं। वक्फ बोर्ड की अनुमानित संपत्ति की कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये है। देश में उत्तर प्रदेश और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड समेत कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। रेलवे और रक्षा विभाग के बाद देश में वक्फ बोर्ड के पास सबसे अधिक संपत्ति है।इस पर विवाद क्यों?
वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की शक्ति मिल जाती है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। ट्रिब्यूनल के फैसले के बाद हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। मगर यह प्रक्रिया काफी जटिल हो जाती है। दरअसल, अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो जाती है तो हमेशा ही वक्फ रहती है। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। अब सरकार ऐसे ही विवादों से बचने की खातिर संशोधन विधेयक लेकर आई है। विधेयक के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं को भी बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।प्रमुख विवाद
- 2022 में तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के बसाए पूरे थिरुचेंदुरई गांव पर वक्फ होने का दावा ठोंक दिया।
- बेंगलुरू का ईदगाह मैदान विवाद। इस पर 1950 से वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा है।
- सूरत नगर निगम भवन को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा रहा। तर्क यह है कि इसे मुगलकाल में सराय के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
- कोलकाता के टॉलीगंज क्लब, रॉयल कलकत्ता गोल्फ क्लब और बेंगलुरु में आईटीसी विंडसर होटल के भी वक्फ भूमि पर होने का दावा है।
सरकार और विपक्ष का तर्क?
सरकार का तर्क है कि 1995 में वक्फ अधिनियम से जुड़ा मौजूदा विधेयक है। इसमें वक्फ बोर्ड को अधिक अधिकार मिले। 2013 में संशोधन करके बोर्ड को असीमित स्वायत्तता प्रदान की गई। सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्डों पर माफियाओं का कब्जा है।सरकार का कहना है कि संशोधन से संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है। इससे मुस्लिम महिलाओं और बच्चों का कल्याण होगा। ओवैसी ने सरकार को मुसलमानों का दुश्मन बताया। कांग्रेस ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया तो वहीं मायावती ने कहा कि संकीर्ण राजनीति छोड़ राष्ट्रधर्म सरकार निभाए। यह भी पढ़ें: वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के विरोध में उतरीं मायावती, बोलीं- संकीर्ण राजनीति छोड़ राष्ट्रधर्म निभाए सरकार