Waqf Bill पर जेपीसी की बैठक में गरमागरम बहस, भिड़ गए BJP और विपक्षी सांसद
वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के लिए जेपीसी की बैठक चल रही है। गुरुवार को दो मुस्लिम संगठनों ने वक्फ बाई यूजर्स प्रविधान हटाने पर आपत्ति जताई। गृह मंत्री अमित शाह ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा था आने वाले दिनों में इसे संसद में पारित किया जाएगा।
पीटीआई, नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक की पड़ताल कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के समक्ष पेश दो प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने गुरुवार को संशोधित विधेयक से 'वक्फ बाई यूजर्स' प्रविधान हटाने पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के प्रतिनिधि जेपीसी के समक्ष पेश हुए।
आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज ने क्या दिया तर्क?
महाज ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित होगी। साथ ही उम्मीद जताई कि यह भ्रष्टाचार व अवसरवाद खत्म करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा। महाज प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि देश कानून से चलना चाहिए, न कि धार्मिक ग्रंथों से। उसने समिति से कहा कि विधेयक में 'वक्फ बाई यूजर्स' का उल्लेख नहीं है और इसे विधेयक में शामिल किया जाना चाहिए।
महाज ने पसमांदा मुस्लिमों व महिलाओं को वक्फ की प्रबंध समितियों में शामिल करने और वक्फ संपत्तियों का कैग से आडिट कराने की भी मांग की।
'इस सच्चे मुस्लिम की आवाज सुनिए' वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्रीय मंत्री ने की मुफ्ती की तारीफ
ये विधेयक असंवैधानिक है: पर्सनल ला बोर्ड
पर्सनल ला बोर्ड ने विधेयक के उस प्रविधान पर आपत्ति की जिसके मुताबिक वक्फ सृजित करने का अधिकार उसी व्यक्ति को होगा जो पांच वर्षों से मुस्लिम धर्म का पालन कर रहा हो। बोर्ड ने कहा कि ऐसा प्रविधान असंवैधानिक और संसद के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसे समुदाय के सदस्यों की धार्मिक निगरानी माना जाएगा।पटना की चाणक्य नेशनल ला यूनिवर्सिटी के कुलपति फैजान मुस्तफा भी जेपीसी के समक्ष पेश हुए और 'एक राष्ट्र, एक कानून' एवं समान नागरिक संहिता को लेकर कुछ टिप्पणियां कीं, जिनका विपक्षी सदस्यों ने कड़ा विरोध किया।