लोकसभा चुनाव से पहले श्वेत पत्र क्यों लाई मोदी सरकार? जानें क्या होता है ये और कब हुई थी इसकी शुरुआत
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में श्वेत पत्र पेश कर दिया। श्वेत पत्र में यूपीए सरकार की नाकामियों के बारे में उल्लेख है। वित्त मंत्री ने बजट भाषण के दौरान श्वेत पत्र लाने का एलान किया था। कहा जा रहा है कि इस वजह से बजट सत्र का कार्यकाल एक दिन के लिए बढ़ाया गया है। श्वेत पत्र से पहले कांग्रेस ने ब्लैक पेपर जारी किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संसद का बजट सत्र जारी है। एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था कि मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र लेकर आएगी। वित्त मंत्री के एलान के बाद आज संसद में श्वेत पत्र पेश कर दिया गया। श्वेत पत्र को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
वित्त मंत्री ने क्या कहा था?
बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा था कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देश आर्थिक संकट में था। निर्मला ने इसके लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बहुत मेहनत की है।
श्वेत पत्र क्या होता है?
श्वेत पत्र के जरिए यूपीए और एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुए कार्यों की तुलना की जाएगी। साथ ही सरकार अपने कार्यकाल में उठाए गए सकारात्मक कदमों के बारे में भी बताएगी। श्वेत पत्र एक रिपोर्ट होती है, जिसके जरिए सरकार की उपलब्धियों के बारे में बताया जाता है। श्वेत पत्र में शामिल दस्तावेज कई रंगों में होते हैं। इन्हीं रंगों के हिसाब से दस्तावेजों का वितरण किया जाता है।कौन जारी करता है श्वेत पत्र?
सरकार के अलावा कोई भी कंपनी, या संस्था श्वेत पत्र ला सकती है। आमतौर पर कंपनियां इसके जरिए अपनी स्थिति के बारे में बताती हैं। इससे कंपनी के ग्राहकों और उत्पादों के बारे में विस्तृत जानकारी भी मिलती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, साल 1922 में ब्रिटेन में पहली बार श्वेत पत्र लाया गया था।