Move to Jagran APP

Lalduhoma: एक सख्त IPS जिनके काम से इंदिरा गांधी हुईं थीं इंप्रेस, दल-बदल कानून से रहा पुराना नाता; अब बनेंगे मिजोरम के सीएम

Who is Lalduhoma 22 फरवरी 1949 को जन्मे पूर्व आईपीएस लालदुहोमा का बचपन संघर्षों से भरा था। उन्होंने मैट्रीकुलेशन तक पढ़ाई की। 1977 में उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी। परक्षी में वो शानदार परफॉर्म करते हुए आईपीएस बन गए। इंदिरा गांधी की राजनीति ने उन्हें काफी प्रभावित किया। मिजोरम के सीएम बनने वाले लालदुहोमा का राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है।

By Piyush KumarEdited By: Piyush KumarUpdated: Tue, 05 Dec 2023 11:20 AM (IST)
Hero Image
पूर्व आईपीएस लालदुहोमा बनेंगे मिजरोम के नए मुख्यमंत्री।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Lalduhoma। मिजोरम विधानसभा चुनाव में जोरम पीपुल्स मूवमेंट (Zoram People's Movement) को दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत मिला है। 40 विधानसभा सीटों वाले राज्य में लालदुहोमा की पार्टी जोरम पीपुल्स मूवमेंट को 27 सीटें मिली।

इसी के साथ लालदुहोमा (Lalduhoma) का मुख्यमंत्री बनना तय हो चुका है। उन्होंने चुनाव में सेरछिप सीट पर मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) के जे. माल्सावमजुआला वानचावंग को 2,982 वोटों से हराया है।

22 फरवरी 1949 को जन्मे पूर्व आईपीएस लालदुहोमा का बचपन संघर्षों से भरा था। उन्होंने मैट्रीकुलेशन के बाद उन्होंने गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा के लिए पढ़ाई की। इसी बीच पूर्व सीएम सी चुंगा के शासन में साल 1972 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में प्रधान सहायक के रूप में नौकरी पर रखा गया।

लालदुहोमा के कामकाज ने इंदिरा गांधी को किया इंप्रेस

इसके बाद 1977 में उन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा दी। परक्षी में वो शानदार परफॉर्म करते हुए आईपीएस बन गए। आईपीएस के तौर पर उन्होंने गोवा में स्मगलर्स और ड्रग माफिया के खिलाफ जबरदस्त कार्रवाई की।

लालदुहोमा के कामकाज नें तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को काफी प्रभावित किया। साल 1982 में वो इंदिरा गांधी के सिक्योरिटी इंचार्ज बन गए। उन्हें डीसीपी की जिम्मेदारी भी दी गई। यहां से उनके राजनीति सफर की शुरुआत भी होती है। 

कांग्रेस के जरिए राजनीति में दी दस्तक

साल 1982 के एशियन गेम्स के आयोजन के समिति के सचिव भी बने। इंदिरा गांधी की राजनीति ने उन्हें काफी प्रभावित किया। लालदुहोमा ने नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखने का फैसला किया। वो बतौर कांग्रेस राजनीति में दाखिल हुए। उन्हें मिजोरम कांग्रेस का अध्यक्ष भी बनाया गया था। 

विवादों से घिरे रह चुके हैं लालदुहोमा

वो साल 1984 में लोकसभा सांसद बने। राजनीति में उनका विवादों से भी नाता रहा है। दरअसल, वो दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करने वाले पहले सांसद हैं। बतौर राजनेता उन्हें मिजोरम की जनता से काफी प्यार मिला। हालांकि, साल 1984 में इंदिरा गांधी की मौत के बाद उन्हें कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।ॉ

कांग्रेस से क्यों दिया इस्तीफा? 

तत्कालीन मुख्यमंत्री ललथनहवला और कुछ कैबिनेट मंत्रियों के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगने के बाद जेडपीएम नेता ने 1986 में राज्य कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। वहीं, लालदुहोमा ने यह भी कहा था कि मिजोरम की शांति के लिए कांग्रेस द्वारा सही कदम न उठाए जाने से निराश होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है। 

छह दलों के साथ जोरम पीपल्स मूवमेंट की हुई स्थापना

उन्होंने साल 1986 में मिजो नेशनल यूनियन का गठन किया। साल 2018 विधानसभा चुनाव में वो जोरम पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुए। छह दलों के गठबंधन के साथ इस जोरम पीपुल्स मूवमेंट को आकार दिया गया था। 

 सेक्युलर विचारधारा को आगे बढ़ाने और अल्पसंख्यकों के हितों के लिए जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) की स्थापना हुई। हालांकि, 2019 में 3 संगठनों ने इस दल से नाता तोड़ लिया था।

जब विधायक के तौर पर हुए अयोग्य 

साल 2020 में मिजोरम विधानसभा अध्यक्ष लालरिनलियाना सेलो ने उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित कर दिया था। ऐसी सजा पाने वाले वह पहले विधायक थे, लेकिन 2021 में उपचुनाव जीत गए।

यह भी पढ़ें: Mizoram Election: मिजोरम में ZPM को दो तिहाई बहुमत, मुख्यमंत्री जोरमथांगा और उप मुख्यमंत्री तावंलुइया समेत कई मंत्री हारे चुनाव