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Pema Khandu: कौन हैं पेमा खांडू? जिन्होंने अरुणाचल में भाजपा की कराई वापसी, कभी कांग्रेस से की थी बगावत

Arunachal Pradesh Assembly Election भारतीय जनता पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश की 60 विधानसभा सीटों में से 46 पर कब्जा कर अपनी सत्ता को बरकरार रखा है। अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू उन 10 उम्मीदवारों में से एक थे जिन्होंने बिना किसी मुकाबले के अपनी सीट जीती। इस प्रचंड जीत के साथ खांडू लगातार तीसरी बार राज्य की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। जानिए उनका सियासी सफर...

By Sachin Pandey Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 02 Jun 2024 10:15 PM (IST)
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Arunachal Pradesh: पेमा खांडू लगातार तीसरी बार राज्य की कमान संभालेंगे।
ऑनलाइन डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ने अरुणाचल प्रदेश की 60 विधानसभा सीटों में से 46 पर कब्जा कर अपनी सत्ता को बरकरार रखा है। सत्तारूढ़ भाजपा ने मतदान शुरू होने से पहले ही 10 सीटों पर "निर्विरोध" जीत हासिल कर ली थीं। इधर, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीईपी) को राज्य की पांच सीटों पर जीत मिली है।

अरुणाचल के मुख्यमंत्री पेमा खांडू उन 10 उम्मीदवारों में से एक थे, जिन्होंने बिना किसी मुकाबले के अपनी सीट जीती। इस प्रचंड जीत के साथ खांडू लगातार तीसरी बार राज्य की कमान संभालने के लिए तैयार हैं। बता दें कि पेमा खांडू अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री दोरजी खांडू के बेटे हैं। 2016 में सीएम के रूप में चुने जाने के बाद वह पूर्वोत्तर में बड़े नेता के रूप में उभरे।

2016 में बने पहली बार मुख्यमंत्री

पेमा के पिता दोरजी खांडू की 2011 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई। खांडू ने तब प्रशंसा और पहचान हासिल की, जब उन्हें 2016 में देश के सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। सितंबर 2016 में खांडू ने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल में शामिल हो गए। इसी साल दिसंबर महीने में वह बीजेपी में शामिल हो गए।

चीन की सीमा से लगे तवांग के रहने वाले खांडू ने पहली बार 2011 में अपने पिता के निधन के कारण खाली हुई सीट से अरुणाचल प्रदेश विधानसभा में प्रवेश किया था। इससे पहले वह 2000 की शुरुआत में कांग्रेस में शामिल हुए और 2005 में अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव और 2010 में तवांग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनाए गए थे।

शुरू की कई पहल

मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में खांडू ने अरुणाचल के नागरिकों के लिए कई अभियान चलाए। उन्होंने जमीनी स्तर पर राज्य और केंद्र की प्रमुख कार्यक्रमों को हाइलाइट करने के लिए 'अरुणाचल राइजिंग अभियान' शुरू किया था। सार्वजनिक पहुंच और शिकायत निवारण के लिए सरकार की पहल के रूप में उन्होंने राज्य में 'सरकार आपके द्वार' पहल शुरू की थी।

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