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Afzal Guru: कौन था अफजल गुरु, उमर अब्दुल्ला ने ऐसा क्या कहा जिस पर मचा सियासी भूचाल

Who Was Afzal Guru आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा हुआ था। 2001 के दिसंबर महीने में संसद पर हमले की उसने प्लानिंग बनाई थी। इस आतंकी हमले का वो मास्टरमाइंड था। अफजल समेत पांच आतंकियों ने संसद पर हमले को अंजाम दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी। अफजल की फांसी पर उमर अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Sun, 08 Sep 2024 10:28 PM (IST)
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आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर उमर अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है।(फोटो सोर्स: जागरण)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। साल 2001 संसद हमले के दोषी अफजल गुरु (Afzal Guru) को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah on Afzal Guru) के बयान ने सियासी हंगामा खड़ा कर दिया है।

दरअसल, उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि अफजल गुरु को फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ था। उमर के इस बयान पर भाजपा ने कड़ी आपत्ति जाहिर की। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव से पहले उमर अब्दुल्ला के इस बयान से देश का सियासी पारा चढ़ा हुआ है।

कौन था अफजल गुरु

आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद  से जुड़ा हुआ था। 2001 के दिसंबर महीने में संसद पर हमले की उसने प्लानिंग बनाई थी। इस आतंकी हमले का वो मास्टरमाइंड था। अफजल समेत पांच आतंकियों ने संसद पर हमले को अंजाम दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 में उसे फांसी की सजा सुनाई थी।

कैसे आतंकी बना अफजल गुरु

कश्मीर के सोपोर का रहने वाला था। वो वहां फलों की एक कमीशन एजेंसी चलाता था। व्यापार के दौरान अफजल की मुलाकात तारिक नाम के एक शख्स से हुई, उसने उसे कश्मीर की आजादी और जिहाद के लिए उकसाया। तारिक उसे गुलाम कश्मीर (PoK) ले गया।

 पाकिस्तान ले जाकर कई आतंकियों से तारिक ने उसकी मुलाकात करवाई। उसे जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य बनाया गया। अफजल को वहां फिदायीन हमले की ट्रेनिंग दी गई।

13 दिसंबर को संसद पर हुआ हमला

13 दिसंबर 2001 का दिन । संसद में विंटर सेशन चल रहा था। महिला आरक्षण बिल पर पक्ष और विपक्ष के बीच बहस जारी थी। बिल पर चर्चा होनी थी,लेकिन 11 बजकर 2 मिनट पर संसद को स्थगित कर दिया गया। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और विपक्षी नेता सोनिया गांधी संसद से जा चुके थे।

करीब साढ़े 11 बजे एक सफेद एम्बेसडर कार में सवार पांच आतंकियों ने गेट नंबर-12 से एंट्री ली। परिसर में पांचों आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग करनी शुरू कर दी। ताबड़तोड़ 45 मिनट तक हुई फायरिंग में 9 लोगों की मौत हो गई। वहीं, 15 लोग घायल हो गए।  

हमले के दो दिनों बाद अफजल गुरु जम्मू-कश्मीर से पकड़ा गया। अफजल से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके चचेरे भाई शौकत हुसैन गुरु, शौकत की पत्नी अफसान गुरु (शादी से पहले नवजोत संधू) और दिल्ली विश्वविद्यालय में अरबी के प्रोफेसर एसएआर गिलानी को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया।

सर्वोच्च न्यायालय ने सुनाई फांसी की सजा

इस हमले के लिए अफजल, गिलानी, शौकत और अफसान को आरोपी माना गया। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने शौकत हुसैन गुरु की सजा को मौत से घटाकर 10 साल की कैद कर दिय। दिसंबर 2010 में शौकत हुसैन गुरु को उसके अच्छे आचरण के कारण दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। वहीं, अफसान गुरु को बरी किया गया। वहीं, गिलानी को भी बरी कर दिया गया। हालांकि, अफजल गुरु की मौत की सजा बरकरार रखी गई।  

राष्ट्रपति ने क्षमा याचिका की खारिज

इसके बाद अफजल गुरु की पत्नी तबस्सुम गुरु ने तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के समक्ष दया याचिका दायर की थी, लेकिन उसकी क्षमा याचिका खारिज कर दी गई।

अफजल को फांसी की सजा सुनाई जाने पर कई मानवाधिकार संगठनों ने काफी आलोचना की। उनका तर्क था कि निष्पक्ष तरीके से सुनवाई नहीं की गई। कश्मीर के कई लोगों का मानना था कि अफजल को बलि का बकरा बनाया गया है।

पूरी हुई अफजल गुरु की आखिरी इच्छा 

अफजल की फांसी की तारीख 9 फरवरी तय की गई। फांसी की जानकारी से माहौल न बिगड़े इसके लिए तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने उसे गुप्त रूप से फांसी देने का फैसला कर लिया।

अफजल से उसकी अंतिम इच्छा भी पूछी गई, जिसके बाद जेल के अधिकारियों से उसने कुरान दिए जाने की मांग की थी, जो पूरी कर दी गई। जेल अधिकारियों के मुताबिक अफजल पूरी रात सो नहीं सका और न ही उसने शुक्रवार की रात को खाना ही खाया।

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