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'इंसान सुपरमैन बनना चाहता है' RSS प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस क्यों हुई खुश?

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आदिवासी समाज के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए क्योंकि विकास और मानव महत्वकांक्षा का कोई अंत नहीं है। वहीं उन्होंने कहा कि एक आदमी सुपरमैन बनना चाहता है फिर एक देव और फिर भगवान। मोहन भागवत के इस बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टिप्पणी की है।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Fri, 19 Jul 2024 10:01 AM (IST)
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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने को झारखंड के गुमला में लोगों को संबोधित किया।(फोटो सोर्स: जागरण)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को झारखंड के गुमला में एक गैर लाभाकारी संगठन द्वारा आयोजित ग्राम स्तरीय कार्यकर्ता बैठक को संबोधित किया। आरएसएस सरसंघचालक ने कहा कि प्रगति का कभी कोई अंत होता। जब हम अपने लक्ष्य तक पहुंचते हैं, तो हम देखते हैं कि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है।

उन्होंने आगे कहा कि  एक आदमी सुपरमैन बनना चाहता है, फिर एक देव और फिर भगवान। आंतरिक और बाह्य दोनों ही प्रकार के विकासों का कोई अंत नहीं है। यह एक सतत प्रक्रिया है। बहुत कुछ किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ बाकी है।

मोहन भागवत ने आगे कहा कि लोगों को मानव जाति के कल्याण के लिए अथक प्रयास करना चाहिए, क्योंकि विकास और मानव महत्वकांक्षा का कोई अंत नहीं है।

मोहन भागवत के बयान पर जयराम रमेश ने की टिप्पणी

गौरतलब है कि मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। कांग्रेस नेता ने एक्स पर पोस्ट किया,"मुझे यकीन है कि स्वयंभू नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री को इस ताज़ा अग्नि मिसाइल की ख़बर मिल गई होगी, जिसे नागपुर ने झारखंड से लोक कल्याण मार्ग को निशाना बनाकर दागा है।"

विविधताओं के बावजूद हम सभी भारतीय एक हैं: मोहन भागवत

मोहन भागवत ने आदिवासी समाज के विकास की चर्चा करते हुए कहा कि जनजाति बथु विकास में पीछे तो जरूर हैं, परंतु शांतिप्रिय और प्रामाणिक हैं। इन पर आंख मूंद कर विश्वास कर सकते हैं। सरसंघचालक ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए हम जो काम करते हैं वह उन पर उपकार नहीं करते हैं। दूसरे के लिए सेवा कार्य करते हैं तो अपना भी विकास करते हैं। विकास भारती के सचिव अशोक भगत जी बेहतर कार्य कर रहे हैं।

मोहन भागवत ने आगे कहा कि यहां 33 करोड़ देवी-देवता हैं। 3800 भाषा और बोली है। खान पान रीति रिवाज अलग है, स्वभाव अलग है। इसके बाद भी भारत के लोग एक हैं। यह विदेश में देखने को नहीं मिलता है।

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